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यहां पढ़ें गौतम गंभीर ने संन्यास लेते वक्त क्या कहा, शायद आप अपने आंसू न रोक पाएं

गौतम गंभीर (Gautam Gambhir announces his retirement from all format of Cricket) ने अपने वीडियो संदेश में कहा, 'दोस्तों अपना कीमती वक्त देने के लिए आपका शुक्रिया। आज मैं आप लोगों के साथ कुछ शेयर...

यहां पढ़ें गौतम गंभीर ने संन्यास लेते वक्त क्या कहा, शायद आप अपने आंसू न रोक पाएं
दीपक मिश्रा।,नई दिल्ली।Wed, 05 Dec 2018 02:02 PM
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गौतम गंभीर (Gautam Gambhir announces his retirement from all format of Cricket) ने अपने वीडियो संदेश में कहा, 'दोस्तों अपना कीमती वक्त देने के लिए आपका शुक्रिया। आज मैं आप लोगों के साथ कुछ शेयर करना चाहता हूं जिसके बारे में मैं बहुत दिनों से सोच विचार कर रहा था, पर कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। यह विचार मेरे दिमाग में दिन रात चल रहा था। यह विचार मुझे वैसे ही परेशान कर रहा था, जैसे हवाई यात्रा के दौरान कोई एक्स्ट्रा लगेज आपके लिए परेशानी का सबब बन जाता है। यह विचार अभ्यास के दौरान भी मेरे साथ रहता, मुझे किसी गेंदबाज की तरह धमकी देता रहता। कभी-कभी तो यह विचार मेरे रात के खाने को बेस्वाद बना देता। ग्राउंड, ड्रेसिंग रूम से लेकर वॉशरूम तक यह विचार मुझे डराता था।

'एक डरावना विचार जो गौतम गंभीर का साल 2014 से ही पीछा कर रहा था'
जब भी मैं बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरता, चाहे वह भारत के लिए हो, कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए या फिर दिल्ली डेयर​डेविल्स के लिए। यह विचार परेशान करने वाले एक शोर के रूप में बदल जाता और वापस ड्रेसिंग रूम लौटने तक मेरे कानों में चिल्लाता, 'इट इज ओवर गौती'  (अब अंत आ चुका है गौती)। जब 2014 के आईपीएल सीजन में मैं लगतार तीन मैचों में बिना खाता खोले आउट हो गया था, तब इस विचार ने मेरा परिहास किया और मेरे ऊपर जोर-जोर से हंसा। इसी साल इंग्लैंड दौरे पर भी मैं बुरी तरह असफल रहा और एक बार फिर इस विचार ने मुझे डराया। साल 2016 में एक बार फिर मैं अपने घुटनों पर था। इंग्लैंड के खिलाफ राजकोट टेस्ट मैच के बाद मुझे टीम से बाहर कर दिया गया।

मैं अपना आत्मविश्वास वापस पाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन यह विचार एक शोर बनकर मेरे कानों में गूंज रहा था और मुझे परेशान कर रहा था। बार-बार कह रहा था, 'इट इज ओवर गौती' (अब अंत आ चुका है गौती)। लेकिन मैंने हार मानने से इनकार कर दिया। मैं इस विचार को, इस शोर को हराना चाहता था। जिसके लिए मैंने अपने शरीर को बहुत ज्यादा कष्ट दिया। मैंने कठिन ट्रेनिंग शुरू की। मेरे ट्रेनर्स ने मुझसे कहा कि इस उम्र मैं जोखिम ले रहा हूं। मैं इस तरह आहार लेता था, जैसे मैं कंगाल हो गया हूं और मेरे पास खाने तक के पैसे नहीं हैं। इस तरह की परिस्थितियों में आपके प्यार और अपनापन ने मेरे लिए 'टेस्टास्टेरॉयड' की तरह काम किया। मैं फिर से जीतना चाहता था, मैं फिर से फतेह हासिल करना चाहता था।

साल 2017 के डोमेस्टिक सीजन में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद मैं इस साल के आईपीएल सीजन में पूरे आत्मविश्वास के साथ खेलने के लिए उतरा। मेरे पैरों में नई जान आ गई थी, मेरा दिमाग पूरी तरह खुल गया था। मेरा बल्ला समंदर की लहरों की तरह गरज रहा था। मैंने सोचा कि उस डरावने विचार को मैंने मार दिया था। लेकिन मैं गलत था। दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए 2017 के आईपीएल में 6 मैच खेलने के बाद वह डरावना विचार फिर से मेरे कानों में शोर करने लगा। इस बार यह शोर पहले से भी ज्यादा डरावना था। शायद मेरा समय समाप्त हो चुका था। हां मेरा समय समाप्त हो चुका था। इसलिए आज मैं आपके सामने हूं। लगभग 15 साल तक अपने देश के लिए खेलने के बाद आज मैं क्रिकेट के इस खूबसूरत गेम को अलविदा कह रहा हूं।

'मैं अगले जन्म में फिर क्रिकेटर ही बनना चाहूंगा, लेकिन एक आॅलराउंडर'
हर दर्द, डर और असफलता के बावजूद भी मैं अगले जन्म में क्रिकेटर बनना चाहूंगा। लेकिन मैं अगले जन्म में एक क्रिकेटर के रूप में भारत के लिए और लंबा खेलना चाहूंगा, और ज्यादा रन और शतक बनाना चाहूंगा। सबसे ज्यादा चाहूंगा कि मेरे नाम के आगे कई बार 5 विकेट लेने का कारनामा भी जुड़ा हो। यह भले ही एक काल्पनिक अभिलाषा की तरह लग रहा हो लेकिन मुझे विश्वास है कि कल्पनाएं हकीकत में बदलती हैं। दो विश्व कप और दोनों ही विश्व कप के फाइनल में अपनी टीम के लिए सबसे अधिक रन बनाना किसी भी क्रिकेटर के लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है। मैंने सिर्फ एक ही सपना देखा था, वह सपना था आप लोगों के लिए विश्व कप जीतना। मुझे लगता है कि कोई था जो मेरे जीवन की पटकथा लिख रहा था, लेकिन शायद अब उसके पेन की स्याही खत्म हो गई है।

'मेरे जीवन की कहानी लिखने वाले ने कुछ अध्याय बेहद ही खूबसूरत लिखे हैं'
लेकिन उसने जितना भी लिखा है, उनमें कुछ अध्याय बेहद ही शानदार हैं। जिसमें से दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम का हिस्सा होना भी शामिल है। एक ऐसी ट्रॉफी जिसे पाने की मैंने हमेशा तमन्ना की थी। वह था 'आईसीसी टेस्ट बैट्समैन आॅफ द ईयर', जिससे मुझे 2009 में नवाजा गया। यह एक ऐसे बल्लेबाज का सम्मान था, जिसे हमेशा पता रहता था कि उसका आॅफ स्टंप कहां है। न्यूजीलैंड में टेस्ट सीरीज और आॅस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज जीतना मेरे करियर की कुछ बेहतरीन उपलब्धियों में शामिल है। मैं उम्मीद करता हूं कि वर्तमान भारतीय टीम विदेशी दौरों पर अपने प्रदर्शन से नया इतिहास रचेगी। मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं अपने करियर से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं। लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि मैं इससे ज्यादा पाने के योग्य था। मैंने अपने क्रिकेटिंग करियर में कई यादगार साझेदारियां निभाई हैं। लेकिन आप लोगों के साथ, भारतीय क्रिकेट फैंस के साथ जो साझेदारी बनी है उससे महत्वपूर्ण कुछ भी दूसरा नहीं है। एक क्रिकेटर के लिए आप लोग ही सबसे महत्वपूर्ण साझेदार हो।

भारतीय क्रिकेट फैंस के नाम गौतम गंभीर का संबोधन जो आपको रुला देगा
मैं हमेशा इस बात के खिलाफ रहा हूं कि आपको फैंस या क्राउड कह कर संबोधित किया जाए। मुझे आपको इस नाम से बुलाना अपमानजनक लगता है। क्योंकि मुझे लगता है कि आप लोग ही तो हैं जो किसी भी क्रिकेटर को एक विशिष्ट पहचान दिलाते हैं। इसलिए मैं आप लोगों को अपने क्रिकेटिंग करियर में साझेदार मानता हूं। एक ऐसा साझेदार जिसके बिना भारतीय क्रिकेट ठीक वैसा ही है, जैसा बिना आत्मा के शरीर। मेरा और मैंने जिस भी टीम से खेला उसका सपोर्ट करने के लिए मैं आप लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। मैं कोलकाता के अपने फैंस को विशेष तौर पर धन्यवाद कहना चाहता हूं। कोलकाता के साथ मेरा प्यार हमेशा के लिए बना रहेगा। मैं उन सभी पिच क्यूरेटर्स, ग्राउंड स्टाफ, ड्रेसिंग रूम स्टाफ के सदस्यों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जो बहुत कम के बदले में एक क्रिकेटर को बहुत कुछ देते हैं। उम्मीद करता हूं कि भविष्य में उन्हें अपनी मेहनत का उचित मेहनताना मिलेगा। आप सभी का शुक्रिया। मैं नेट प्रैक्टिस के दौरान मुझे गेंदबाजी करने वाले उन सभी गेंदबाजों का भी शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने ने एक बेहतर बल्लेबाज बनने में मेरी मदद की। वे सब बहुत दूर से सिर्फ नेट में मुझे प्रैक्टिस कराने आते थे। आप सभी का भी मैं शुक्रगुजार हूं।

सारे कोच, माता-पिता, दादा-दादी, मामा-मामी, टीम-मेट्स, दोस्त, पत्नी, बहन, बेटियों के नाम
मेरे कोच संजय भारद्वाज हर परिस्थिति में चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे। मैं जब भी परेशानी में पड़ता था, उन्हें याद करता था। सर मुझे नहीं पता कि मैंने अपने खेल से आपको गौरवान्वित किया या नहीं। लेकिन मैं इतना कहना चाहूंगा कि मेरे अंदर जितनी प्रतिभा थी उसका सौ ​फीसदी मैंने क्रिकेट फील्ड पर दिया। संजय सर ने ही मुझे दूसरे कोचों से भी मिलाया। जिनमें पार्थसारथी शर्मा सर भी शामिल हैं जो अपने आप में एक पूरा बल्लेबाजी संस्थान हैं। स्पिन गेंदबाजों को खेलने की मेरी काबिलियत का सारा श्रेय उनको जाता है। मैं उम्मीद करता हूं कि उन्होंने मुझे जो अपना कीमती वक्त दिया उसके साथ मैंने न्याय किया होगा। आॅस्ट्रेलिया के पूर्व टेस्ट ओपनर जस्टिन लैंगर ने भी मेरे करियर में मेरी बहुत मदद की। मैंने साल 2015 में उनसे सलाह मांगा था, और उन्होंने दिल खोलकर मेरी मदद की। उनकी तरफ से बाद में मुझे ढ़ेर सारी प्रशंसा भी मिली। उनकी पत्नी सू ने मुझे कई मौकों पर शानदार बटर चिकन खिलाया। जस्टिन लैंगर की मदद से मैं उनके बचपन के कोच नॉडी होल्डर से मिला। वह उन शानदार कोचों में से एक थे जिनसे मैं अपने करियर के दौरान मिला। वह बहुत ही विनम्र इंसान हैं। वह खुद को कहते हैं 'नॉडी नोबडी होल्डर', लेकिन मेरी बल्लेबाजी के लिए 'नॉडी इज एवरबडी'।

मैं भारतीय क्रिकेट टीम, कोलकाता नाइट राइडर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स और दिल्ली स्टेट टीम के उन सभी कोचों का भी शुक्रगुजार हूं, जिनके संपर्क में मैं आया। उन सभी का मेरी बल्लेबाजी और मेरे व्यक्तित्व पर गहरा असर है। मैं जिस चीज को सबसे ज्यादा याद करूंगा, वह है भारतीय ड्रेसिंग रूम की कॉमराडरी। यह रहने के लिए दुनिया का सबसे खूबसूरत स्थान है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक प्लेयर के ऊपर दबाव होता है। लेकिन जब आपके पास भारतीय क्रिकेट टीम के प्लेयर्स जैसे साथी हों तो यह दबाव असर नहीं करता। मैंने अपने साथी क्रिकेटर्स से बहुत कुछ सीखा है। मैं उन सभी को मिस करूंगा। धन्यवाद दोस्तों, आप सभी मेरे लिए हमेशा परिवार का हिस्सा ​रहेंगे। आखिरी में मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे इतना प्यार दिया। मेरा इतना सपोर्ट किया। मेरे माता-पिता, दादा-दादी, दोनों मामा और मामी, मेरी पत्नी और मेरी दोनों प्यारी बेटियों का आभारी हूं, जिन्होंने मेरे सारे नखरे और मूड स्विंग्स को बिना कुछ कहे झेला।

मैं अंत में अपनी मां का धन्यवाद कहना चाहूंगा, जिन्होंने मेरी प्रतिभा को पहचाना और मुझे पहली बार 10 साल की उम्र में क्रिकेट एकेडेमी लेकर गईं। उसके बाद सब इतिहास में दर्ज हो चुका है। मेरे हर खराब दौर में मेरी मां मेरे साथ थी। मैं अपना सारा गुस्सा भी उसी पर निकालता था। इसके लिए मैं आपसे माफी मांगता हूं मां। मेरे क्रिकेट खेलने का दबाव मुझसे ज्यादा मेरे पिता पर रहता था। उन्होंने मुझसे कभी कहा तो नहीं लेकिन उनके साथी मुझसे बताया करते थे। मैं जब भी बैटिंग करता था वह टीवी नहीं देखते थे। डैड अब आप भी थोड़ा सहज महसूस करेंगे। मेरे मामा जिन्होंने एक क्रिकेटर के रूप में मुझे गढ़ा, मेरे पीछे एक खंभे की तरह खड़े रहे। वह शब्दों में बहुत कम जाहिर करते थे लेकिन एक्शन से बहुत कुछ कह देते थे। उन्होंने मेरे लिए जो भी किया उसकी कभी बराबरी नहीं की जा सकती ना ही उसका आंकलन किया जा सकता है। मैं उम्मीद करता हूं कि मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरा होउंगा। मैं बिना आपकी इजाजत के यह कहना चाहूंगा कि मैं आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि हूं। धन्यवाद मामा। मेरी मरहूम मामी मेरे लिए दूसरी मां की तरह थीं। मुझे पता है कि वह स्वर्ग में बैठकर भी इस बात की चिंता कर रही होंगी कि मैंने समय पर खाना खाया या नहीं। मेरी मरहूम नानी भी ऐसी ही थीं। मैं आप दोनों को हर रोज याद करता हूं।

मैं अपने दूसरे मामा और मामी का भी शुक्रगुजार हूं, जो बुरे समय में हमेशा मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। मैं अपनी इकलौती बहन एकता से अधिकतर बार रक्षाबंधन पर उसके साथ नहीं रहने के लिए माफी मांगता हूं। मैं अपने दोस्तों दिनेश और विवेक को भी धन्यवाद देता हूं जो हमेशा मेरे लिए दुआ करते थे। मैं तुम दोनों को दोस्त के रूप में पाकर खुद को भाग्यशाली मानात हूं। दिनेश को खासकर जिसने मेरी हर बदतमीजी को बिना कुछ कहे बर्दाश्त किया है। मैं अपनी पत्नी नताशा को विशेष तौर पर याद करता हूं। वही थी जो मेरे मूड स्विंग्स के सामने हमेशा खुद को खड़ी पाती थी। दुर्भाग्य यह है कि वह अच्छे से ज्यादा बुरे समय में मेरी साझेदार रही। मेरे साथ मेरी शक्ति बनने के लिए तुम्हारा शुक्रिया नताशा। अभी तो तुम्हें मेरे साथ बहुत समय गुजारना है। किसी ने कहा भी है कि एक सेवानिवृत्त पति अपनी पत्नी के लिए एक फुल टाइम जॉब बन जाता है। तो इस नए असाइनमेंट के लिए तैयार रहो। 

एक रिटायर्ड क्रिकेटर का अपनी पत्नी और उस खेल के नाम आखिरी संदेश जिसको उसने जिया
मैं अब एक रिटायर क्रिकेटर के टैग के साथ जिउंगा। लेकिन अपने अंदर जो कुछ भी है उसका उपयोग क्रिकेट और किसी अन्य नेक काम के लिए करना चाहूंगा, देखते हैं आगे क्या होता है। आंध्र प्रदेश के साथ अगला रणजी मैच मेरे क्रिकेटिंग करियर का आखिरी मुकाबला होगा। वहीं पर अंत होगा जहां से सबकुछ शुरू हुआ था, फिरोजशाह कोटला क्रिकेट स्टेडियम। विश्वासपात्रता मेरे लिए सबकुछ है। और मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि मैंने अपने क्रिकेटिंग करियर का अंत उन्हीं दो टीमों के साथ किया, जिनके साथ मैंने शुरुआत की थी, दिल्ली रणजी टीम और दिल्ली डेयरडेविल्स। एक बल्लेबाज के रूप में मैंने हमेशा समय की इज्जत की है। मुझे पता है कि यह सही समय है। गुड बॉय एंड गुड लक।'

NOTE: (गौतम गंभीर के रिटायरमेंट स्पीच का हिंदी अनुवाद Live Hindustan के लिए दीपक मिश्रा ने किया है।)

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