धौनी के 'बलिदान चिन्ह' से सेना का कोई लेना-देना नहीं: लेफ्टिनेंट जनरल मैथसन
महेंद्र सिंह धौनी के आईसीसी विश्व कप के दौरान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच के दौरान 'बलिदान चिन्ह' को लेकर उठे विवाद से भारतीय सेना ने खुद को अलग करते हुए इसे इस विकेटकीपर बल्लेबाज का निजी...
महेंद्र सिंह धौनी के आईसीसी विश्व कप के दौरान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच के दौरान 'बलिदान चिन्ह' को लेकर उठे विवाद से भारतीय सेना ने खुद को अलग करते हुए इसे इस विकेटकीपर बल्लेबाज का निजी निर्णय करार दिया।
जीओसी इन सी साउथ वेस्टर्न कमान लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन यहां भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में पासिंग आउट परेड का निरीक्षण करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ''अपने दस्तानों पर बलिदान चिन्ह का उपयोग करना धौनी का निजी निर्णय है। इससे सेना का कोई लेना देना नहीं है।''
एमएस धौनी ने मानी ICC की बात, नहीं पहनेंगे 'बलिदान चिन्ह' वाले दस्ताने
मैथसन ने कहा कि इस मामले में सेना को नहीं घसीटा जाना चाहिए। बकौल मैथसन, “आप जो भी कह रहे हैं, वह धौनी का निजी फैसला है। आईसीसी इस मामले पर फैसला लेगा।”
उन्होंने कहा कि आइसीसी इस संबंध में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। बलिदान सेना की पैरोशूट रेजीमेंट की स्पेशल फोर्स का प्रतीक चिन्ह है । धौनी भी 2011 से इस रेजीमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और उनके दस्तानों पर यह प्रतीक चिन्ह अंकित है।
धौनी के प्रतीक चिन्ह वाले दस्ताने पहनने पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने आपत्ति जतायी थी जिसके बाद बीसीसीआई (BCCI) ने क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था से अनुमति देने का आग्रह किया था। आईसीसी ने हालांकि भारतीय बोर्ड की मांग अस्वीकार कर दी।
धौनी ने मेरठ में बनवाया था ‘बलिदान बैज’ वाला दस्ताना
आईसीसी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ऐसे किसी चिन्ह को पहनने की अनुमति नहीं दे सकता और खिलाडी केवल प्रायोजक का लोगो ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के साथ हुए विश्व कप के पहले मुकाबले के दौरान धौनी को बलिदान बैज के साथ कीपिंग करते देखा गया था। बलिदान चिन्ह स्पेशल फोसेर्स का चिन्ह है, जो पैराशूट रेजीमेंट का हिस्सा है। सिर्फ पैरामिलिट्री कमांडो ही इस चिन्ह को धारण कर सकते हैं।