गांगुली और धौनी को नहीं बल्कि इस क्रिकेटर को अपना बेस्ट कप्तान मानते हैं गौतम गंभीर
साल 2000 के बाद जब भी भारतीय क्रिकेट टीम के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों के बारे में बात की जाती है तो दो ही नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं, महेंद्र सिंह धौनी और सौरव गांगुली। लेकिन गौतम गंभीर से जब पूछा गया...
साल 2000 के बाद जब भी भारतीय क्रिकेट टीम के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों के बारे में बात की जाती है तो दो ही नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं, महेंद्र सिंह धौनी और सौरव गांगुली। लेकिन गौतम गंभीर से जब पूछा गया कि उनके हिसाब से भारत का सबसे सर्वश्रेष्ठ कप्तान कौन है, जिसके नेतृत्व में वो खेले तो उन्होंने सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धौनी का नाम लेने से इनकार कर दिया। गौतम गंभीर ने कहा, 'मैं बहुत सारे कप्तानों के नेतृत्व में खेला हूं लेकिन मुझे अनिल कुंबले से बेहतर कोई दूसरा नहीं लगा। वो सिर्फ कप्तान नहीं बल्कि एक नेतृत्वकर्ता (लीडर) थे।' गौतम गंभीर ने कहा, 'कप्तान होने और लीडर होने में अंतर है। मैं अपने करियर में बहुत सारे कप्तानों के अंडर में खेला। लेकिन उन सभी कप्तानों में सबसे निस्वार्थ और ईमानदार थे अनिल कुंबले, जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा।'
'मेरे पसंदीदा कप्तान अनिल कुंबले थे, वह लीडर थे'
गौतम गंभीर ने कहा, 'मुझसे हमेशा पूछा जाता है कि सभी में सबसे सर्वश्रेष्ठ कप्तान कौन था जिनके अंडर में मैं खेला। और मेरा हमेशा एक ही जवाब होता है कि जो टीम बेहतर होती है उसका कप्तान उतना ही बेहतर होता है। मैं आज कह सकता हूं कि मैंने बहुत सारे कप्तानों के अंडर में खेला। लेकिन उन सभी में लीडर सिर्फ एक ही था और वह थे अनिल कुंबले। मुझे लगता है कि मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। मैंने कुंबले की कप्तानी में सिर्फ 5 टेस्ट मैच खेले। लेकिन मैंने कप्तानी के बारे में उनसे बहुत कुछ सीखा, जिसे कप्तान रहते मैंने खुद भी इस्तेमाल किया।वह जिस तरह से निस्वार्थ थे, जिस तरह से जुनूनी थे, जितने ईमानदार थे उतना दूसरा कोई नहीं था। अब संन्यास लेने के बाद मैं खुलकर कह सकता हूं कि वह उन सभी कप्तानों में सर्वश्रेष्ठ थे जिनके अंडर में मैंने क्रिकेट खेला।'
'एक कप्तान को निस्वार्थ और ईमानदार होना चाहिए'
गौतम गंभीर ने अपनी कप्तानी से भी क्रिकेट प्रेमियों को बहुत प्रभावित किया। उनके नेतृत्व में कोलकाता नाइट राइडर्स ने साल 2012 और 2014 में दो बार आईपीएल का खिताब जीता। उन्होंने भारतीय टीम का भी 6 वनडे मैचों में नेतृत्व किया और इन सभी में टीम को जीत मिली। जब गौतम गंभीर से उनकी कप्तानी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि निस्वार्थ भाव से और ईमानदार रहकर कप्तानी करना ही मेरा सबसे बड़ा गुण था। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता, मैंने बहुत लंबे समय तक भारतीय टीम की कप्तानी नहीं की। मुझे लगता है कि एक कप्तान का सबसे बड़ा गुण होना चाहिए की वह निस्वार्थ और ईमानदार हो। मुझे लगता है कि ये दोनों ही गुण मेरे अंदर हैं। मैंने जब भी भारत और केकेआर की कप्तानी की ईमानदारी और निस्वार्थ भाव से की।'
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