महेंद्र सिंह धोनी के 5 बड़े फैसले, जिन्होंने दुनिया को कर दिया था हैरान
महेंद्र सिंह धोनी की तेजतर्राजऔर स्मार्ट क्रिकेटर माना जाता है। वह बड़े फैसले अक्सर दांव खेलने की तरह लेते हैं। उन्होंने कई मौकों पर साबित करके दिखाया है कि किस तरह उनके अचानक और अनोखे फैसलों ने ना...
महेंद्र सिंह धोनी की तेजतर्राजऔर स्मार्ट क्रिकेटर माना जाता है। वह बड़े फैसले अक्सर दांव खेलने की तरह लेते हैं। उन्होंने कई मौकों पर साबित करके दिखाया है कि किस तरह उनके अचानक और अनोखे फैसलों ने ना केवल सबको हैरान किया है, बल्कि बड़े मौकों पर जीत भी दिलाई है। 2019 वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच के बाद से धोनी क्रिकेट से दूर हैं। आईपीएल में फैन्स को उन्हें एक बार फिर से मैदान पर देखने की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इस टूर्नामेंट को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। ऐसे में धोनी का भविष्य अधर में लटक गया है।
हालांकि, धोनी अपने भविष्य को लेकर कुछ नहीं कह रहे हैं। बहुत से क्रिकेटर और एक्सपर्ट टीम इंडिया के लिए आज भी धोनी को जरूरी मानते हैं। धोनी ने अपने करियर के दौरान अपने फैसलों से क्रिकेट के प्रति अपनी समझ को साबित भी किया है। उन्होंने कई बडे़ मौकों पर ऐसे फैसले लिए, जिन्हें देखकर हर कोई असमंजस में आ गया था कि धोनी ने ये क्या कर दिया। लेकिन धोनी के फैसले लगभग हर बार सही साबित हुए हैं। आइए देखते हैं उनके पांच ऐसे निर्णय, जिन्होंने उनका भाग्य बदल दियाः
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2007 टी-20 वर्ल्ड कप में अंतिम ओवर जोगिंदर शर्मा को दियाः
आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में हरभजन सिंह का एक ओवर बचा हुआ था, लेकिन धोनी ने जोगिंदर शर्मा को अंतिम ओवर सौंप दिया। उस समय पाक टीम के कप्तान मिसबाह उल हक 35 गेंदों पर 37 रन बनाकर खेल रहे थे। धोनी ने चांस लिया, क्योंकि हरभजन के 17वें ओवर में मिसबाह तीन छक्के लगा चुके थे। जोगिंदर ने वाइड से शुरुआत की। मिसबाह ने एक पैडल शॉट लगाया और श्रीसंत के हाथों कैच हो गए। भारत ने जोहानिसबर्ग में पहला टी-20 वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रचा
गांगुली-द्रविड़ को वनडे से बाहर बिठानाः
2008 में धोनी ने ऑस्ट्रेलिया- श्रीलंका के साथ त्रिकोणीय सीरीज में सौरन गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे सीनियर खिलाड़ियों को ड्रॉप कर दिया था। गांगुली और द्रविड़ की जोड़ी 50 ओवर के खेल में तकरीबन 23,000 रन बना चुकी थी। ऐसे में इस सफल और सीनियर जोड़ी को वनडे से बाहर करने के धोनी के इस फैसले से हर कोई हैरान था। जब बीसीसीआई सचिव निरंजन शाह से इसकी वजह पूछी गई तो उनका जवाब था कि हमारा फील्डिंग पर जोर था। इसलिए हम युवा खिलाड़ी चाहते थे। भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहली त्रिकोणीय सीरीज जीती।
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2011 के वर्ल्ड कप में खुद को पांचवें नंबर पर प्रमोट कियाः
2011 के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ भारत 275 रनों का पीछा कर रहा था। वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली आउट हो चुके थे। अभी 161 रनों की और जरूरत थी। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में धोनी पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए। धोनी ने नाबाद 91 रन बनाकर टीम को दूसरा विश्व कप जितवाया। गौतम गंभीर ने इस मैच में 97 रन की शानदार पारी खेली थी।
That bat swing - That look during the final flourish 😍😍
— BCCI (@BCCI) April 2, 2019
Today in 2011, the 28-year old wait came to an end 😎😎 #ThisDayThatYear pic.twitter.com/XFEibKDrdk
सीबी सीरीज 12-13 में खिलाड़ियों को रोटेट करनाः
भारत में क्रिकेट को धर्म माना जाता रहा है और खिलाड़ियों की पूजा होती रही है। ऐसे में धोनी ने आकर इस संस्कृति में बदलाव किया। 2008 में बेहतर फील्डरों के लिए उन्होंने खिलाड़ियों को रोटेट करना शुरू किया। सीबी सीरीज 2012 में धोनी ने सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग को लगातार रोटेट किया। शानदार रिकॉर्ड होने के बावजूद ये तीनों खिलाड़ी एक साथ टीम में नहीं खेले। धोनी इन्हें लगातार रोटेट करते रहे।
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रोहित शर्मा से ओपनिंग कराने का निर्णयः
2013 महेंद्र सिंह धोनी के लिए खास था। वह वनडे वर्ल्ड कप, वर्ल्ड कप टी-20 और चैंपियंस ट्रॉफी जीत चुके थे। वह दुनिया के पहले ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती थीं। यही वह साल था, जब उन्होंने इनकंसीस्टेंट खिलाड़ियों की टीम में पक्की जगह बनाने के लिए कुछ प्रयोग किए। रोहित शर्मा 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में टीम में शामिल थे, लेकिन वह लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। 2011 में धोनी पहले ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने रोहित शर्मा को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर ओपन करने का अवसर दिया। रोहित ने तीन पारियों में केवल 29 रन बनाए। 2013 में रोहित को एक बार फिर पारी की शुरुआत करने का अवसर दिया गया। मोहाली में रोहित ने 83 रन की पारी खेली। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मध्यक्रम से निकलकर वह दुनिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज बन गए।