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विश्व कप में इतने डरे हुए थे जोस बटलर कि लेनी पड़ी मनोचिकित्सक की मदद

जोस बटलर आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2019 के फाइनल मुकाबले में काफी डरे हुए थे। क्योंकि उन्हें लग रहा था कि इंग्लैंड की टीम इस बार भी फाइनल हारने वाली है। गौरतलब है कि इस विश्व कप से पहले इंग्लैंड साल...

विश्व कप में इतने डरे हुए थे जोस बटलर कि लेनी पड़ी मनोचिकित्सक की मदद
लाइव हिन्दुस्तान टीम।,नई दिल्ली।Mon, 22 Jul 2019 09:07 PM
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जोस बटलर आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2019 के फाइनल मुकाबले में काफी डरे हुए थे। क्योंकि उन्हें लग रहा था कि इंग्लैंड की टीम इस बार भी फाइनल हारने वाली है। गौरतलब है कि इस विश्व कप से पहले इंग्लैंड साल 1979, 9187 और 1992 ​में विश्व कप के फाइनल में पहुंचकर खिताब से वंचित रह गई थी। जोस बटलर ने खुलासा किया है कि उनके मन में ऐसे ख्याल आने लगे थे कि अगर इंग्लैंड की टीम इस बार भी फाइनल नहीं जीत सकी तो फिर वह दोबारा कभी क्रिकेट कैसे खेल पाएंगे। इतना ही नहीं इस विश्व कप के लीग चरण में जब इंग्लैंड की टीम का प्रदर्शन खराब होने लगा था तो इस विकेटकीपर बल्लेबाज को नकारात्मक विचारों से उबरने के लिए मनोचिकित्सक तक की मदद लेनी पड़ी थी। जोस बटलर ने कहा कि ​विश्व कप जीतना इंग्लैंड के भाग्य में लिखा हुआ था। उन्होंने न्यूजीलैंड की हार पर दुख प्रकट किया।

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बटलर ने विश्व कप में मनोचिकित्सक की मदद ली थी
गौरतलब है कि इंग्लैंड ने आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2019 का खिताब बेहद रोमांचक अंदाज में अपने नाम किया। न्यूजीलैंड के साथ खेले गए इस फाइनल में निर्धारित ओवरों के बाद सुपर ओवर में भी मैच टाई रहा था। जिसके बाद बाउंड्री काउंट के आधार पर इंग्लैंड को विजेता घोषित किया गया। इंग्लैंड की टीम ने मैच में न्यूजीलैंड के मुकाबले ज्यादा चौके और छक्के जड़े थे। जोस बटलर ने फाइनल मैच में न केवल शानदार अर्धशतक बनाया बल्कि बेन स्टोक्स के साथ पांचवें विकेट के लिए अहम साझेदारी भी की। सुपरओवर की आखिरी गेंद पर बटलर ने ही न्यूजीलैंड के बल्लेबाज मार्टिन गप्टिल को रन आउट कर अपनी टीम को पहला विश्व कप उठाने का मौका प्रदान कराया। बटलर ने दबाव का सामना करने के लिए टूर्नामेंट में मनोचिकित्सक डेविड यंग की मदद ली थी।

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जोस बटलर एक और हार का दर्द नहीं सहना चाहते थे
जोस बटलर ने एक इंटरव्यू में इस बारे में बात करते हुए कहा,'मैंने विश्व कप फाइनल से पहले आठ फाइनल खेले थे और इनमें से सात में मेरी टीमों को हार का सामना करना पड़ा था। जब मैं समरसेट के साथ था तब, फिर चैंपियंस ट्रॉफी और कोलकाता में टी-20 विश्व कप फाइनल। हर मौके पर मेरी टीम को हार मिली थी। मैं दोबारा से फाइनल में हार का दर्द सहन नहीं करना चाहता था। मार्टिन गप्टिल ने जैसे ही शॉट खेला, मैंने देखा कि गेंद जेसन के पास गई है। मुझे तभी महसूस हुआ कि अगर हमने इस पल पर काबू पा लिया तो जीत हमारी होगी। मैं जानता था कि गप्टिल को लंबा फासला तय करना है मगर दबाव में कुछ भी आसान नहीं था। जब जेसन ने गेंद उठा ली तो यह बात बिल्कुल भी जेहन में नहीं आई कि उनसे मिसफील्ड भी हो सकती थी। उन्होंने मेरी ओर गेंद फेंकी और मैंने रन आउट कर दिया।'

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