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पिंक बॉल से खेलने की तकनीक को लेकर अजिंक्य रहाणे ने दिया ये बयान

भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे ने मंगलवार को माना कि पिंक बॉल से मुकाबला बिल्कुल ही अलग तरह का होगा और बल्लेबाजों को रेड बॉल की तुलना में इसे शरीर के थोड़ा करीब और थोड़ा रुककर...

पिंक बॉल से खेलने की तकनीक को लेकर अजिंक्य रहाणे ने दिया ये बयान
लाइव हिन्दुस्तान टीम,इंदौरTue, 12 Nov 2019 06:46 PM
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भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के उप-कप्तान अजिंक्य रहाणे ने मंगलवार को माना कि पिंक बॉल से मुकाबला बिल्कुल ही अलग तरह का होगा और बल्लेबाजों को रेड बॉल की तुलना में इसे शरीर के थोड़ा करीब और थोड़ा रुककर खेलना होगा। बांग्लादेश के खिलाफ 22 नवंबर से शुरू हो रहे ऐतिहासिक डे-नाइट टेस्ट की तैयारियों के लिए टेस्ट स्पेशलिस्ट चेतेश्वर पुजारा, मयंक अग्रवाल, मोहम्मद शमी और रविंद्र जडेजा के साथ रहाणे ने बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकैडमी (एनसीए) के डायरेक्टर राहुल द्रविड़ के मार्गदर्शन में पिंक बॉल के साथ प्रैक्टिस सेशन में हिस्सा लिया।

रहाणे ने गुरुवार से बांग्लादेश के खिलाफ शुरू हो रहे पहले टेस्ट से पहले कहा, 'हमने दो प्रैक्टिस सेशन में हिस्सा लिया, हालांकि चार सेशन में हिस्सा लिया लेकिन इनमें से दो पिंक बॉल से थे, जिसमें से एक दिन में हुआ और एक रात में। जो काफी एक्साइटिंग था।' उन्होंने कहा, 'मैं पिंक बॉल से पहली बार खेल रहा था और निश्चित रूप से रेड बॉल की तुलना में ये अलग तरह का मैच था। हमारा ध्यान 'स्विंग और सीम' मूवमेंट पर लगा था और साथ ही हम अपने शरीर के करीब खेलने पर ध्यान लगाए थे।'

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शुरुआती सेशन के बाद रहाणे को महसूस हुआ कि बल्लेबाजों को अपनी तकनीक में जरा सा बदलाव करना होगा। उन्होंने कहा, 'हमने प्रैक्टिस सेशन के बाद पाया कि रेड बॉल की तुलना में पिंक बॉल ज्यादा मुश्किल है। आपको थोड़ा रुककर और शरीर के करीब खेलना होता है। हमने राहुल भाई से बात की थी क्योंकि वो भी वहां थे।' गुलाबी गेंद के साथ दिलीप ट्रॉफी के दो सेशन के दौरान शिकायतें आई थीं कि स्पिनरों को थोड़ी परेशानी हो रही थी।' उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि वे दिलीप ट्राफी में कूकाबूरा गेंद से खेले थे, जो बहुत अलग चीज है। एसजी गेंद से मुझे इतना पता नहीं है। हम बेंगलुरू में स्पिनरों के खिलाफ खेले थे और हमें गेंद से अच्छा घुमाव मिल रहा था। हां, रेड बॉल की तुलना में चमक पूरी तरह से अलग होती है लेकिन इसकी तुलना एसजी गेंद और कूकाबूरा गेंद से करना बहुत मुश्किल है।'

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