icc world cup 2019: भारत और इंग्लैंड सबसे बड़े दावेदार, जानिए किस टीम में है कितना दम
वनडे क्रिकेट का महाकुम्भ आईसीसी विश्व कप (icc world cup 2019) का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और हिस्सा लेने वाली सभी 10 टीमों ने कमर कसकर तैयारी शुरू कर दी है। इस साल भारत और मेजबान इंग्लैंड को खिताब...
वनडे क्रिकेट का महाकुम्भ आईसीसी विश्व कप (icc world cup 2019) का काउंटडाउन शुरू हो चुका है और हिस्सा लेने वाली सभी 10 टीमों ने कमर कसकर तैयारी शुरू कर दी है। इस साल भारत और मेजबान इंग्लैंड को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। भारत तीसरी बार और इंग्लैंड पहली बार यह प्रतिष्ठित खिताब हासिल करने की कोशिश करेगा।
इंग्लैंड और वेल्स की संयुक्त मेजबानी में इसी साल 30 मई से 14 जुलाई तक होने वाले आईसीसी विश्व कप में 10 टीमें भाग ले रही हैं। इनमें मौजूदा चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया (1987, 1999, 2003, 2007 और 2015 का विजेता), भारत (1983 और 2011 का विजेता), वेस्टइंडीज (1975 और 1979 का विजेता), पाकिस्तान (1992 का विजेता), श्रीलंका (1996 का विजेता), अफगानिस्तान, बांग्लादेश, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। क्रिकेट के इस सबसे बड़े टूर्नामेंट को शुरू होने में अब तीन महीने से कम का समय बचा है। चलिए एक नजर डालते हैं किस टीम में है कितना दमः
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नजर डालते हैं इस साल विश्व कप में हिस्सा लेने वाली टीमों पर:
भारत (दो बार चैम्पियन)
साल 1983 और 2011 के विश्व चैम्पियन भारत को इस बार हर कोई खिताब का प्रबल दावेदार मान रहा है। आक्रामक कप्तान विराट कोहली की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने 2018 में एशिया कप जीतने के अलावा दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के खिलाफ भी सीरीज जीती है। टीम ने हाल में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को उसके घर में ही वनडे सीरीज में मात देकर बता दिया है कि वह सिर्फ कागजों पर ही नहीं बल्कि मैदान में भी खिताब की दावेदार हैं।
क्रिकेट के तीनों डिपार्टमेंट (बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग) में टीम का संतुलित होना, उसके लिए प्लस प्वॉइंट माना जा रहा है। रन मशीन कोहली, कलाई के स्पिनर कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल टीम के गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। टीम का मध्यक्रम हालांकि उसके लिए चिंता सबब है, लेकिन हालिया सीरीज में टीम इस कमी से पार पाती दिख रही है।
इंग्लैंड (तीन बार उप-विजेता)
भारत के साथ अगर किसी को विश्व कप का दावेदार माना जा रहा है तो वह मेजबान इंग्लैंड हैं। 1975 में विश्व कप के शुरू होने से लेकर अब तक इंग्लैंड ने हर बार इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है, लेकिन वह आज तक कभी चैम्पियन बनने के सपने को पूरा नहीं कर पाया है। क्रिकेट की जन्मस्थली इंग्लैंड अब तक तीन बार 1979, 1987 और 1992 में फाइनल तक जरूर पहुंचा है लेकिन तीनों बार उसे उप-विजेता के तमगे से ही संतोष करना पड़ा है। मेजबान होने के नाते इंग्लैंड को घरेलू परिस्थितियों का फायदा मिलेगा, इसलिए वह इस बार खिताब का प्रबल दावेदार है। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उसे इतना फायदा मिलेगा कि वह इस बार अपने खिताबी सूखे को समाप्त कर पाएगी।
इयोन मोर्गन की कप्तानी वाली इंग्लैंड मौजूदा समय में वनडे रैंकिंग में नंबर-1 स्थान पर काबिज है। मेजबान टीम के पास जॉनी बेयरस्टो, जोए रूट, मोर्गन और विकेटकीपर जोस बटलर के रूप में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो किसी भी बड़े लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा कर सकते हैं। उसकी बड़ा लक्ष्य हासिल करने की क्षमता उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
ऑस्ट्रेलिया (पांच बार की चैम्पियन)
विश्वकप के इतिहास की सबसे सफल टीम ऑस्ट्रेलिया के सामने मौजूदा चैम्पियन होने के नाते अपना खिताब बचाने की चुनौती है। पिछली बार विश्व कप जीतने के बाद से टीम के प्रदर्शन में चैम्पियन जैसी झलक नजर नहीं आ रही है। बीते साल बॉल टेम्परिंग मामले में स्टीवन स्मिथ और डेविड वॉर्नर पर एक-एक साल का प्रतिबंध लगने के बाद से टीम बेहद कमजोर नजर आने लगी है। स्मिथ और वॉर्नर के न रहने से टीम को अपने ही घर में इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और भारत से वनडे सीरीज गंवानी पड़ी है। वर्ष 1987, 1999, 2003, 2007 और 2015 की चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया के लिए राहत की बात यह है कि विश्व कप शुरू होने से पहले ही स्मिथ और वॉर्नर पर लगा प्रतिबंध खत्म हो जाएगा। हालांकि यह देखना होगा कि क्या स्मिथ और वॉर्नर विश्व कप में टीम का खिताब बचाने के लिए उतरेंगे।
दक्षिण अफ्रीका (चार बार सेमीफाइनल)
विश्व कप में 'चोकर्स' के नाम से मशहूर दक्षिण अफ्रीका के पास इस बार अपने ऊपर लगे इस दाग को धोने का समय है। वर्ष 1992, 1999, 2007 और 2015 में सेमीफाइनल तक का सफर तय करने वाली दक्षिण अफ्रीकी टीम अपने हरफनमौला खिलाड़ियों के दम पर सेमीफाइनल से आगे पहुंचना चाहेगी। एबी डिविलियर्स के संन्यास लेने के बाद से अब कप्तान फॉफ डु प्लेसिस, क्विंटन डी कॉक, हाशिम अमला और डेविड मिलर जैसे अनुभवी बल्लेबाजों को जिम्मेदारी लेनी होगी। गेंदबाजी में कगिसो रबाडा और लुंगी एनगिडी टीम के लिए गेम चेंजर बन सकते हैं।
न्यूजीलैंड (छह बार सेमीफाइनल)
पिछले विश्व कप में फाइनल तक पहुंचने वाली न्यूजीलैंड भी कमाल कर सकती है। छह बार सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली किवी टीम के पास रॉस टेलर, मार्टिन गुप्टिल और कप्तान केन विलियम्सन के रूप में अनुभवी बल्लेबाज मौजूद हैं। ब्रेंडन मैक्कलम के संन्यास लेने के बाद से विलियम्सन के नेतृत्व में टीम लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है। उसने हाल में बांग्लादेश पर 3-0 से क्लीन स्वीप भी है, लेकिन उससे पहले उसे भारत के हाथों 1-4 से सीरीज गंवानी पड़ी थी। ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी और लॉकी फग्यूर्सन की तिकड़ी किवी टीम को पिछले बार के सपने को पूरा कर सकती है।
वेस्टइंडीज (दो बार की चैम्पियन)
दो बार की विश्व विजेता वेस्टइंडीज के पास विस्फोटक बल्लेबाजों की भरमार है। लेकिन टीम के गेंदबाजी आक्रामण के पास अनुभव का अभाव है। इसके अलावा वह पिछले दो विश्व कप 2011 और 2015 में क्वॉर्टर फाइनल तक भी नहीं पहुंच पाई थी। टीम का हालिया प्रदर्शन भी संतोषजनक नहीं रहा है। 2017 में उसने 22 मैचों मे सिर्फ तीन और 2018 में 18 मैचों में मात्र आठ में ही जीत दर्ज करने में सफल रही थी। विश्व कप के बाद अंतररार्ष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर चुके विस्फोटक बल्लेबाज क्रिस गेल अपने इस आखिरी विश्व कप को यादगार बनाना चाहेंगे। वेस्टइंडीज के लिए राहत की बात ये है कि हाल ही में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की वनडे सीरीज 2-2 से बराबरी पर खत्म की थी।
पाकिस्तान (एक बार की विजेता)
दो साल पहले भारत को हराकर चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने वाली पाकिस्तानी टीम को लेकर कोई भी भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी। सरफराज अहमद की टीम के पास बल्लेबाजी में वह आक्रमकता नहीं है जो उसकी गेंदबाजी में नजर आती है। टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी शोएब मलिक अब तक 279 वनडे मैच खेल चुके हैं। 37 साल के हो चुके मलिक का संभवत यह आखिरी विश्व कप हो सकता है, जिसे वह यादगार बनाना चाहेंगे। उनके अलावा मोहम्मद आमिर, बाबर आजम ऐसे प्रमुख खिलाड़ी है जो 1992 में विश्व कप जीतने वाली पाकिस्तानी टीम को मैच जिताने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
श्रीलंका (एक बार की विजेता)
वर्ष 1996 में विश्व कप जीतने वाली श्रीलंकाई टीम हाल के समय सीमित ओवरों के क्रिकेट में मुश्किल दौर से गुजर रही है। पिछले संस्करण में क्वॉर्टर फाइनल से बाहर होने वाली श्रीलंकाई टीम के पास दिग्गजों की कमी है। श्रीलंका की चिंता उसके पास अच्छे खिलाड़ियों की कमी है। विश्व विजेता बनने के लिए जो संयोजन और खिलाड़ी एक टीम को चाहिए होते हैं वह श्रीलंका में दिखाई नहीं देते। हालांकि क्रिकेट दिन विशेष का खेल है जो किसी भी समय पासा पलट सकता है।
बांग्लादेश
2015 के विश्व कप में क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचने वाली बांग्लादेश की टीम ने उसके बाद से अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार किया है। टीम 2017 चैम्पियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल तक पहुंची थी। 2018 में उसने 20 वनडे मैचों में से 13 मैच जीते हैं। बांग्लादेश के पास ऐसे खिलाड़ियों की फौज है जो वनडे में काफी प्रभावी साबित हो सकते हैं, लेकिन इस टीम का सबसे कमजोर पहलू उसका अति उत्साह है जिसमें आकर टीम कई बार बहुत बड़ी गलितयां कर जाती है। साथ ही प्रदर्शन में निरंतरता भी उसकी एक समस्या हो सकती है।
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान की टीम दूसरी बार विश्व कप में भाग ले रही है। 2018 एशिया कप में उसने श्रीलंका और बांग्लादेश को हराया था और भारत के साथ टाई खेलकर यह बता दिया कि आगामी विश्व कप में उसे कम आंकना, अन्य टीमों के लिए बड़ी भूल हो सकती है। टीम की बल्लेबाजी बेशक कमजोर दिखाई दे रही हो लेकिन उसकी गेंदबाजी अन्य टीमों के लिए घातक साबित हो सकती है। लेग स्पिनर राशिद खान अफगानिस्तान के लिए ट्रम्प कार्ड साबित हो सकते हैं, जिन्होंने 44 मैचों में सबसे तेज 1०० विकेट लिए हैं। इस टीम की खासियत यह है कि यह छोटे से छोटे लक्ष्य का बचाव कर सकती है।