भुवनेश्वर कुमार ने बताया, लॉकडाउन में किस चीज में हुई थी सबसे ज्यादा दिक्कत
भुवनेश्वर ने कहा कि लॉकडाउन के शुरुआती 15 दिनों में मैं काफी प्रेरित था। उस समय किसी को नहीं पता था कि यह कब तक चलेगा। मेरे पास घर में अभ्यास करने के लिए कोई उपकरण भी नहीं थे। मैं खुद को फिट रखने के...
भुवनेश्वर ने कहा कि लॉकडाउन के शुरुआती 15 दिनों में मैं काफी प्रेरित था। उस समय किसी को नहीं पता था कि यह कब तक चलेगा। मेरे पास घर में अभ्यास करने के लिए कोई उपकरण भी नहीं थे। मैं खुद को फिट रखने के लिए व्यायाम करता था। लेकिन 15 दिनों के बाद मुझे खुद को प्रेरित रखने में कठिनाईय़ां आने लगी। उन्होंने कहा कि इसके बाद मैंने अभ्यास करने के लिए कुछ उपकरण ऑर्डर किए जिसके बाद हालात थोड़े बदले। हम अक्सर यह कहते हैं कि हमारे पास खुद की फिटनेस में सुधार लाने के लिए समय नहीं है। मैंने इस लॉकडाउन में अपनी इस आदत को बदला। मैदान में प्रदर्शन अलग है लेकिन अब मैं अपनी फिटनेस पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा हूं जिससे मुझे मजबूती मिले।
भुवनेश्वर ने कहा कि मुझे याद है एक बार मेरी तेजी बढ़ गयी थी। मुझे करीब छह-सात महीने तक परेशानी हुई थी। मैं उस समय चोटिल नहीं हुआ था लेकिन मेरे शरीर को नियमित होने में समय लग रहा था। मैं थक गया था और मेरा शरीर काम के दबाव को झेल नहीं पा रहा था। भुवनेश्वर ने कहा कि भाग्य से ट्रेनर और फिजियो ने इस परेशानी को ठीक किया। बड़े स्तर पर ट्रेनिंग कराने के बजाए उन्होंने छोटे स्तर पर ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित किया जिससे मुझे काफी मदद मिली।
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तेज गेंदबाज ने कहा कि आमतौर पर जब मैं चोट के बाद वापसी करता था तो मुझे छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आता था। अगर मैं गेंदबाजी कर रहा हूं और मेरा शरीर लय हासिल कर लेता है तो मुझे सही लगता है। पिछले कुछ सालों में ऐसा हुआ है कि मुझे दो-तीन सप्ताह तक मैदान से बाहर रहना पड़ा है। उन्होंने कहा कि मैं जरा सी बात पर बहस करने लगता था औऱ मैंने इस पर काम किया। जब भी मैं खेल से ब्रेक लेता हूं तो भी गेंदबाजी करना नहीं छोड़ता। मैं घर पर रहकर अपने हाथों को घुमाता हूं जिससे मेरा शरीर गेंदबाज एक्शन का आदी रहे।
मानसिक पहलू के महत्त्व पर तेज गेंदबाज ने कहा कि जब आप राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) जाते हैं तो आपका रिहेब दिन में कुछ घंटे तक चलता है। इसके बाद पूरे दिन आप चिड़चिड़ा महसूस करते हैं। भुवनेश्वर ने कहाकि मुझे याद है लॉकडाउन के दौरान मैं एनसीए में था और आखिरी एक महीना काफी कठिन था। कभी-कभी मैं अकादमी में तीन घंटे तक ट्रेनिंग करता था लेकिन होटल वापस आकर समय बिताना काफी कठिन होता था।
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