दीपदास गुप्ता ने बताया- 2002 सीरीज में ब्रायन लारा को बोर करके आउट करने का बना था प्लान, द्रविड़ ने ऐसे दिया साथ
2002 के वेस्टइंडीज दौरे पर भारतीय टीम का फोकस ब्रायन लारा थे। कप्तान सौरव गांगुली जानते थे कि ब्रायन लारा को शांत रखना कितना जरूरी है। पूर्व भारतीय क्रिकेटर दीप दास गुप्ता ने हाल ही में इस बात का...
2002 के वेस्टइंडीज दौरे पर भारतीय टीम का फोकस ब्रायन लारा थे। कप्तान सौरव गांगुली जानते थे कि ब्रायन लारा को शांत रखना कितना जरूरी है। पूर्व भारतीय क्रिकेटर दीप दास गुप्ता ने हाल ही में इस बात का खुलासा किया कि लारा को आउट करने की उस समय क्या रणनीति बनाई गई थी। पोर्ट ऑफ स्पेन के प्रिंस लारा ने टेस्ट क्रिकेट में 400 नाबाद की पारी खेलकर एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया, जिसे आज तक भी कोई क्रिकेटर छू नहीं सका है। उनके नाम 131 टेस्ट मैचों में 11953 रन और 299 वनडे मैचों में 10,505 रन दर्ज हैं। लारा का वेस्टइंडीज के लिए टेस्ट क्रिकेट में सफल इतिहास रहा है।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर दीप दासगुप्ता ने कहा, ''उनके ही कुछ साथियों ने यह सुझाव दिया कि लारा से बिल्कुल बात न की जाए और उन्हें बोर होने दिया जाए।'' उस सीरीज में दीप केवल एक टेस्ट खेले थे। दीप ने बताया कि सबसे अच्छी बात यह थी कि हम वेस्टइंडीज के खिलाफ खेल रहे थे। गुयाना में खेले जा रहे पहले टेस्ट में हम इस पर चर्चा कर रहे थे कि लारा से कैसे निबटना है।
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गौरव कपूर के शो '22 यार्न्स' में दीप ने कहा, ''मीटिंग में हमें बताया गया कि ब्रायन लारा से बिल्कुल बात नहीं करनी है। यदि वह बोर हो जाते हैं तो वह आउट हो जाएंगे। जब भी स्पिनर गेंदबाजी करते, मैं विकेट के पीछे होता और राहुल द्रविड़ स्लिप में। लारा एक गेंद खेलते, फिर वह मुझसे और राहुल द्रविड़ से बात करने के लिए पीछे देखते। वह बात करना चाहते थे और हम ऐसा नहीं होने देना चाहते थे।''
उन्होंने कहा कि उस सीरीज में लारा अपनी बेस्ट फॉर्म में नहीं थे। बाएं हाथ का यह बल्लेबाज 28.85 की औसत से केवल 202 रन बना पाया था। 55 उनका अधिकतम स्कोर था। कार्ल हूपर और शिवनरेन चंद्रपाल ने क्रमशः 579 और 562 रन बनाए थे। पार्ट ऑफ स्पेन में 37 रन से जीतकर भारत 1-0 से आगे हो गया था, लेकिन वेस्टइंडीज ने बार्बडोस और जमैका में टेस्ट जीत कर सीरीज 2-1 से जीत ली। यह सीरीज दीप दासगुप्ता की अंतिम सीरीज साबित हुई। उन्होंने अक्टूबर 2001 में भारत के लिए डेब्यू किया था।