गजब: दो महीने पहले था चयनकर्ता अब इस टूर्नामेंट में बन गया खिलाड़ी
राष्ट्रीय क्रिकेट में 18 साल बाद वापसी करने वाला बिहार शुरू में विवादों में पड़ गया है क्योंकि राज्य संघ ने विजय हजारे ट्राफी के लिये अंडर-23 टीम के चयनकर्ताओं को टीम में चुना है। भारतीय टीम से बाहर...
राष्ट्रीय क्रिकेट में 18 साल बाद वापसी करने वाला बिहार शुरू में विवादों में पड़ गया है क्योंकि राज्य संघ ने विजय हजारे ट्राफी के लिये अंडर-23 टीम के चयनकर्ताओं को टीम में चुना है। भारतीय टीम से बाहर चल रहे स्पिनर प्रज्ञान ओझा की अगुवाई वाली सीनियर टीम को लेकर हितों के टकराव के कई आरोप लगाये जा रहे हैं लेकिन इनमें आशीष सिन्हा के चयन ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।
अठाईस साल के आशीष पटना सेंट्रल के विधायक अरूण कुमार सिन्हा के बेटे हैं और उन्होंने 2010 में झारखंड की तरफ से राजस्थान के खिलाफ एक रणजी मैच खेला था जिसमें 16 और 12 रन बनाये थे। लेकिन पीटीआई एजेंसी के पास जो दस्तावेज हैं उनके अनुसार आशीष को जून में अंडर-23 राज्य टीम ट्रायल्स के लिये एक चयनकर्ता नियुक्त किया गया था। इन ट्रायल्स का आयोजन बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) ने किया था।
असल में इस साल आठ जून को उन्होंने कटिहार, अररिया, भागलपुर, किशनगंज, पूर्णिया, बांका और जमुई जिलों के लिये अंडर-23 क्षेत्रीय चयनकर्ता की भूमिका निभायी थी। जब आशीष से संपर्क किया गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने अंडर-23 चयनकर्ता की भूमिका निभायी है और अब वह विजय हजारे ट्राफी में खेलने के लिये तैयार हैं।
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आशीष ने कहा, 'हां, मुझे चयनकर्ता बनाया गया था लेकिन अब मैं इस पद से हट गया हूं। मैं संक्षिप्त समय के लिये चयनकर्ता रहा और इसके लिये कोई आधिकारिक पत्र भी जारी नहीं किया गया था। मैं बीसीए के आग्रह पर चयनकर्ता बना था।
आशीष से पूछा गया कि आरोप लगाये जा रहे हैं कि अपने पिता के प्रभाव के कारण उन्हें राज्य की सीनियर टीम में चुना गया, उन्होंने कहा, ''मैं आपको बता दूं कि जब मैं झारखंड के लिये रणजी ट्राफी में खेला था तब भी मेरे पिता विधायक थे, इसलिए यह कैसे मायने रखता है। मैं अब भी क्लब क्रिकेट में सक्रिय हूं। बिहार क्रिकेट की घरेलू क्रिकेट में वापसी हुई है और मैं सीनियर टीम के लिये खेलना चाहता हूं। हमें खिलाड़ियों छीछालेदर करने के बजाय इस पर गर्व करना चाहिए कि बिहार फिर से रणजी ट्राफी में खेलेगा।
बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष गोपाल बोहरा ने भी आशीष के चयन का बचाव किया। बोहरा ने कहा, ''यह अस्थायी चयन समिति थी और आशीष उसका हिस्सा था। वह अच्छा क्रिकेटर है। इसके अलावा जब हम 18 साल बाद वापसी कर रहे हैं तो हमें कप्तान प्रज्ञान ओझा के अलावा कुछ अनुभवी खिलाड़ियों की जरूरत है। आशीष अनुभवी खिलाड़ी है और रणजी ट्राफी (एक मैच) खेल चुका है। वह सीनियर खिलाड़ी और इसलिए उसे चुना गया।
उन्होंने कहा, 'राजनेता का बेटा होने के आरोप आधारहीन है। हम जानते हैं कि सभी आयु वर्ग और सीनियर टीमों में जगह बनाने के हजारों दावेदार हैं लेकिन केवल 15 ही खेल सकते हैं। ऐसे में बहुत से अनावश्यक आरोप लगा सकते हैं।'
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