'बिगड़ैल बच्चे की तरह बर्ताव कर रहे थे बेन स्टोक्स', इंग्लैंड के कप्तान को किसने लगाई लताड़?
मैनचेस्टर टेस्ट के आखिरी दिन और आखिर के घंटे में इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर को शतक से वंचित करने की कोशिश की। इसे लेकर संजय मांजरेकर ने कहा है कि स्टोक्स किसी ‘बिगड़ैल बच्चे’ की तरह व्यवहार कर रहे थे।

यह इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स का अहंकार ही था, जिसके 'चोटिल' होने पर वह नियम भूल गए। कायदे भूल गए। मर्यादा भूल गए। और भूल गए खेल भावना। ऊपर से तुर्रा ये कि हास्यास्पद हरकत को अपनी स्वघोषित 'उच्च नैतिकता' के तौर पर पेश कर रहे। खुद को क्रिकेट के एक विरक्त संत की तरह पेश कर रहे। कह रहे व्यक्तिगत उपलब्धियों के क्या मायने हैं?
मैनचेस्टर टेस्ट में भारत जब दूसरी पारी में शून्य पर 2 विकेट गंवा चुका था तो इंग्लिश टीम और बेन स्टोक्स को जीत की सुगंध आने लगी थी। पारी से जीत के सपने देखने लगे। फिर केएल राहुल और शुभमन गिल ने उन्हें फ्रस्टेट कर दिया। फिर जब लंच से पहले 222 रन पर 4 विकेट हो गए तो उन्हें फिर जीत निश्चित दिखाई देने लगी। पंत पहले से चोटिल थे। वॉशिंगटन सुंदर और रविंद्र जडेजा क्रीज पर थे। भारत को तब भी पारी की हार टालने के लिए 89 रन की दरकार थी।
भारत के दोनों ऑलराउंडरों ने इंग्लैंड के गेंदबाजों की नाक में दम कर दिया। एक समय हाथ से निकल चुके मैच का ड्रॉ सुनिश्चित कर दिया। इंग्लैंड के कोच ब्रेंडन मैकलम के कार्यकाल का महज दूसरा ड्रॉ। इंग्लैंड के बहुप्रचारित बेजबॉल युग का दुर्लभ ड्रॉ। इंग्लैंड का गुरूर टूटने जा रहा था और इससे बेन स्टोक्स इतने विचलित हुए कि वॉशिंगटन सुंदर और रविंद्र जडेजा को उनके शतक से वंचित करने के लिए समय से पहले ड्रॉ का फैसला एकतरफा थोपने की कोशिश की। जडेजा ने झिड़क दिया तो मन मसोकर शब्दों के बाण छोड़ते हुए खेले।
दिग्गज पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने बेन स्टोक्स की तुलना बिगड़ैल बच्चे से की है। उन्होंने मैच के बाद जियोहॉटस्टार पर कहा, ‘आखिर में जो हमने देखा वह ऐसी टीम की कुंठा थी जो घर में दबदबे की आदी रही है। ड्रॉ बहुत ही दुर्लभ है उनके लिए- बेजबॉल युग में ये सिर्फ दूसरी बार हुआ है। ऐसा पहली बार हुआ जब बेन स्टोक्स ने भारत के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने के अपने सिद्धांत को बदला था, बिना मौसम के दखल दिए ड्रॉ आया। भारत ने बहुत सारी चीजें की जिससे बेन स्टोक्स हताश थे।’
मांजरेकर ने आगे कहा, ‘आखिर में आपने देखा कि बेन स्टोक्स हताश थे, वह इस तरह के परिणाम के आदी नहीं है। और आखिरकार मैं यह कहूंगा- वह किसी बिगड़ैल बच्चे की तरह व्यवहार कर रहे थे। रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने घंटों बैटिंग की और दोनों शतक की तरफ बढ़ रहे थे। वे किसी भी तरह इसके स्वीकार करने वाले नहीं थे। स्टोक्स पछताएंगे कि उन्होंने क्या कर दिया। लेकिन यह बताता है कि इंग्लैंड कितना हताश था और सिर्फ इसलिए कि नए युग की भारत की बल्लेबाजी ने जिस तरह का संघर्ष पेश किया।’
भारत के दोनों ऑलराउंडर जब शतक के करीब थे तब बेन स्टोक्स रविंद्र जडेजा के पास हाथ मिलाने पहुंचे कि अब ड्रॉ मान लेते हैं, लेकिन जद्दू ने प्रस्ताव नहीं माना, हाथ नहीं मिलाया। तब भारत का स्कोर 4 विकेट पर 386 रन था। जडेजा 89 और सुंदर 80 रन पर थे। नियम यह है कि अगर मैच में परिणाम की गुंजाइश न दिखे तो आखिर के 15 ओवर में दोनों टीमें आपसी सहमति से ड्रॉ पर तैयार हो सकती हैं और समय से पहले मैच खत्म हो जाता है। लेकिन बेन स्टोक्स आपसी सहमति को भूल गए और एकतरफा फैसला थोपने की कोशिश की। भारत ने नहीं माना और दोनों ऑलराउंडर्स से शतक जड़े और आखिरकार मैच ड्रॉ हुआ।
दूसरी पारी में केएल राहुल के 90, शुभमन गिल के 103, वॉशिंगटन सुंदर के नाबाद 101 और रविंद्र जडेजा के नाबाद 107 रन की यादगार पारियों की बदौलत भारत मैच बचाने में कामयाब रहा।





