
BCCI चेयरमैन को 2 टिकट मिल जाते तो एशिया कप शुरू ही नहीं हो पाता, क्रिकेट का सबसे बड़ा अनसुना किस्सा
संक्षेप: Asia Cup की शुरुआत कैसे हुई? इसकी स्टोरी बड़ी ही दिलचस्प है। बीसीसीआई के चेयरमैन को अगर वर्ल्ड कप 1983 के दो टिकट मिल जाते तो शायद एशिया कप की शुरुआत ही न होती या फिर देर से होती। 1984 में पहला टूर्नामेंट खेला गया था।
अगर कोई आपसे कहे कि बीसीसीआई चेयरमैन को अगर वर्ल्ड कप 1983 फाइनल के दो टिकट मिल जाते तो एशिया कप शायद शुरू ही नहीं होता। ये बात आपको शायद चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन यही सच्चाई है। एशिया कप की शुरुआत 1984 में हुई और अब 17वां संस्करण इस टूर्नामेंट का खेला जाना है, लेकिन 1983 में जो बर्ताव भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के चेयरमैन के साथ किया, उसी वजह से एशिया कप की नींव रखी गई और आज ये टूर्नामेंट दुनिया के एकमात्र गैर आईसीसी मल्टीनेशन टूर्नामेंट है।

एशिया कप को शुरू कराने के पीछे बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एनकेपी साल्वे थे, जिन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड का वर्चस्व खत्म करने की ठान ली थी। दरअसल, हुआ कुछ यूं था कि वर्ल्ड कप 1983 के फाइनल के लिए बीसीसीआई के चेयरमैन एनकेपी साल्वे ने दो अतिरिक्त टिकट ईसीबी से मांगे थे। ईसीबी ने इस डिमांड को पूरा नहीं किया। एशियाई क्रिकेट में उस समय उतनी ताकत नहीं थी। पहले तीन विश्व कप भी इंग्लैंड में ही आयोजित हुए थे, लेकिन एनकेपी साल्वे न सिर्फ वर्ल्ड कप को इंग्लैंड से बाहर ले गए, बल्कि एशिया कप की नींव भी रखी।
इसको लेकर थ्योरी अलग-अलग हैं कि एनकेपी साल्वे को वर्ल्ड कप 1983 के फाइनल के दौरान लंदन के लॉर्ड्स में एंट्री नहीं मिली थी, लेकिन सच्चाई यही है कि उन्होंने इसके बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड की जड़ों को खोखला कर दिया था। एनकेपी साल्वे ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के साथ मिलकर और एशिया के अन्य क्रिकेट खेलने वाले देशों को मिलाकर एक क्रिकेट काउंसिल बनाई, जिसका नाम एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) है। इसके पहले चेयरमैन एनकेपी साल्वे ही थे। इसका संघ मुख्य उद्देश्य था एशिया में क्रिकेट का विस्तार करना।
बीसीसीआई चेयरमैन एनकेपी साल्वे, पीसीबी चेयरमैन नूर खान और क्रिकेट श्रीलंका के चेयरमैन गामिनी दिसानायके ने मिलकर 19 सितंबर 1983 को दिल्ली में एशियन क्रिकेट कॉन्फ्रेंस का गठन किया। हालांकि, मुद्दा इससे आगे था। एशिया कप का आयोजन करना था और भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के पास इतने बड़े आयोजन के लिए पैसा और स्टेडियम नहीं था। ऐसे में यूएई की सरकार के साथ मिलकर एसीसी आगे बढ़ी और शारजाह में पहला एशिया कप 1984 में आयोजित कराया। उस साल इंडिया, पाकिस्तान और श्रीलंका ने ही एशिया कप में हिस्सा लिया। भारत ने खिताब जीता। बाद में अन्य टीमें भी एसीसी से जुड़ीं। अब 8 टीमों के साथ ये टूर्नामेंट होता है। एशियन क्रिकेट काउंसिल के सदस्य अब एशिया के 30 देश हैं।
एनकेपी साल्वे यहीं नहीं रुके। उन्होंने वर्ल्ड कप को भी इंग्लैंड से बाहर आयोजित कराने की ठानी। अब सबसे भरोसा हो गया था कि एशिया भी बड़े मैचों की मेजबानी कर सकता है। एशियाई क्रिकेट की एकजुटता ने दुनिया को दिखाया कि इस खेल का विस्तार होना चाहिए। यही कारण रहा कि आईसीसी का दफ्तर पहले लंदन के लॉर्ड्स में था, जो बाद में दुबई में आया। यहां तक कि वर्ल्ड कप के अगले ही एडिशन की मेजबानी भारत और पाकिस्तान ने मिलकर की।

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Vikash Gaurलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।





