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छत्तीसगढ़: CRPF में नौकरी पाने का सुनहरा मौका, 400 आदिवासी युवकों की होगी भर्ती

सीआरपीएफ ने विशेष भर्ती अभियान के तहत छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों के आंतरिक इलाकों के 400 आदिवासी युवकों की भर्ती शुरू की है। इसके लिए मानकों में छूट दी गई है।

छत्तीसगढ़: CRPF में नौकरी पाने का सुनहरा मौका, 400 आदिवासी युवकों की होगी भर्ती
Krishna Singhपीटीआई,नई दिल्लीTue, 07 Mar 2023 02:31 PM
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केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (Central Reserve Police Force, CRPF) छत्तीसगढ़ में विशेष भर्ती अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत 400 आदिवासी युवकों को बतौर कांस्टेबल भर्ती किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि विशेष भर्ती अभियान के तहत छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों के आंतरिक इलाकों के 400 आदिवासी युवकों के एक नए समूह का चयन किया है। इनकी भर्ती बल में बतौर कॉन्स्टेबल के रूप में की जाएगी। 

अधिकारी ने बताया कि ये आदिवासी युवा 'बस्तरिया बटालियन' (Bastariya Battalion) का हिस्सा होंगे। इस बटालियन का नाम छत्तीसगढ़ के तत्कालीन अविभाजित बस्तर जिले के नाम पर रखा गया था। सभी चयनित 400 आदिवासी युवकों के नियुक्ति प्रस्ताव जारी कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने साल 2016 में 'बस्तरिया बटालियन' की स्थापना की घोषणा की थी। इसके तहत कर्मियों को बड़े पैमाने पर बस्तर क्षेत्र से लिया जाता है। इन जवानों को छत्तीसगढ़ में नक्सल रोधी अभियानों (Anti Maoists Operations in Chhattisgarh) में शामिल किया जाता है। 

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने आदिवासी युवको और महिलाओं की भर्ती के लिए वजन और लंबाई की श्रेणी में छूट दी है। इस तरह की बटालियन बनाने के पीछे का मकसद नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा बलों को मजबूती पहुंचाना है। छत्तीसगढ़ के जिन युवाओं को बल में भर्ती किया गया है, वे स्थानीय भाषा जानते हैं। ये इलाके की भौगोलिक स्थिति से परिचित हैं। ये युवा नक्सलियों के बारे में आसानी से खुफिया जानकारी हासिल करने में सक्षम होंगे। मौजूदा वक्त में बड़ी संख्या में आदिवासी युवा सीआरपीएफ के जरिये सरकार से जुड़ रहे हैं। 

अधिकारियों का कहना है कि इस पहलकदमी से स्थानीय आबादी में एक सकारात्मक संदेश जाएगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार ने आदिवासी पुरुषों और महिलाओं के लिए वजन और ऊंचाई के मानकों में छूट दी थी। रंगरूटों को माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इस तरह एक आदिवासी बटालियन न केवल आदिवासी समाज के लोगों को रोजगार प्रदान करने में मदद करेगी वरन सीआरपीएफ को प्रभावी ढंग से संचालन की योजना बनाने में मददगार साबित होगी। सीपीआई (माओवादी) ने पूर्व में स्थानीय लोगों को सीआरपीएफ या राज्य पुलिस बल में शामिल होने के खिलाफ चेतावनी दी थी।