महिला नक्सल कमांडर ने दंतेवाड़ा में किया सरेंडर, 2014 से थी एक्टिव, इन घटनाओं से जुड़े हैं तार
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा में महिला नक्सल कमांडर कुमारी हेमला ने 21 दिसंबर को दंतेवाड़ा में आत्मसमर्पण किया है। पुलिस नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए 'घर वापस आइए' अभियान चला रही है।

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छत्तीसगढ़ पुलिस और नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सुरक्षा बल 'घर वापस आइये' अभियान के तहत नक्सलियों को सरेंडर करवाने में कामयाब हो रहे हैं। बीते कई महीनों में कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। कल यानी 21 दिसंबर को महिला नक्सल कमांडर ने दंतेवाड़ा में आत्मसमर्पण किया। नक्सल कमांडर कुमारी हमला 2014 से ही एक्टिव थीं और कई घटनाओं की साजिश और उन्हें अंजाम देने में उनका हाथ रहा है। पुलिस ने आत्मसमर्पण की जानकारी देते हुए बताया कि अभियान के तहत कई नक्सलियों ने अबतक सरेंडर किया है और नक्सल प्रभावित इलाकों में हिंसा की घटनाओं में कमी आयी है।
2014 से नक्सल संगठन में जुड़ी थी महिला
दंतेवाड़ा अपर पुलिस अधीक्षक आरके बर्मन सरेंडर की पुष्टि करते हुए बताया नक्सल कमांडर कुमारी हेमला साल 2014 से नक्सली संगठन से जुडी थीं जिसके बाद उन्हें संगठन में महिला कमांडर बना दिया गया था। पुलिस के साथ कई एनकाउंटर में भी कुमारी हेमला अपने अन्य साथियों के साथ भाग निकली थीं। महिला कमांडर पर इनामी राशि भी लगी हुई थी। घर वापस आइये अभियान के तहत महिला कमांडर ने आत्मसमर्पण किया है। अभियान के तहत नक्सलियों का आत्मसमर्पण अभियान चल रहा है और इसमें सफलता भी मिल रही है।
इन घटनाओं से जुड़े हैं तार
अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नक्सल कमांडर कुमारी हेमला बीजापुर में 2017 में हुए नक्सल अटैक में महिला नक्सल कमांडर का हाथ था। जबकि साल 2018 में मिरतूर में नक्सलियों और पुलिस बलों के बीच एनकाउंटर के दौरान कुमारी हेमला मौजूद थी। एनकाउंटर में 8 नक्सली मार गिराए गए थे जबकि महिला कमांडर समेत कई अन्य भागने में कामयाब हो गए थे। दोनों घटनाओं में सुरक्षा बलों के कुछ जवान शहीद हुए थे।
क्या है 'लोन वर्राटू'
नक्सलियों का पुनर्वास करने और उन्हें सरेंडर करने के लिए प्रेरित करने के लिए छत्तीसगढ़ में घर वापस आइये अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत हथियार डालने वाले नक्सलियों के खिलाफ दर्ज मामलों में उन्हें रियायत दी जाती है और समाज की मुख्या धारा में लौटने के लिए उन्हें प्रेरित भी किया जाता है। अबतक इस अभियान के तहत व्यापक सफलता मिली है। कई इनामी नक्सली समेत कई नक्सल कमांडरों ने आत्मसमर्पण किया है।