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राज्यपाल के बयान पर सीएम भूपेश का पलटवार, आरक्षण बिल मंजूरी के लिए मार्च तक किस मुहूर्त का इंतजार ?

आरक्षण विधेयकों पर राज्यपाल अनुसुइया उइके के बयान "मार्च तक इंतजार करें" पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निशाना साधा है। CM भूपेश ने तंज कसा कि मार्च तक इंतजार क्यों, किसी मुहूर्त के लिए रोककर रखा है?

राज्यपाल के बयान पर सीएम भूपेश का पलटवार, आरक्षण बिल मंजूरी के लिए मार्च तक किस मुहूर्त का इंतजार ?
Abhishek Mishraलाइव हिन्दुस्तान,रायपुरTue, 24 Jan 2023 09:02 AM

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके पर दो आरक्षण संशोधन विधेयकों को मंजूरी देने में कथित देरी को लेकर संवैधानिक शक्तियों के दुरूपयोग का आरोप लगाया  है। भूपेश बघेल ने कहा कि क्या वह किसी मुहूर्त का इंतजार कर रही हैं ?
राज्यपाल ने बीते दिनों मीडिया से बातचीत के दौरान आरक्षण बिलों पर मंजूरी को लेकर सवाल पर मार्च तक इंतजार करने के लिए कहा था।

राज्य विधानसभा द्वारा पारित आरक्षण विधेयकों पर राज्यपाल की लंबित सहमति को लेकर पिछले महीने से गवर्नर हाउस और मुख्यमंत्री के बीच टकराव चल रहा है। रविवार की रात बिलों पर लंबित सहमति के बारे में कुछ पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर, उइके ने जवाब दिया "अब मार्च तक इंतजार करें"। राज्यपाल के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए बघेल ने कहा कि राज्यपाल अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर रही हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि क्या राज्यपाल किसी मुहूर्त का इंतजार कर रही हैं? उन्होंने कहा कि छात्रों को दाखिले कराने हैं, व्यापमं की परीक्षाएं, पुलिस में भर्ती, शिक्षकों की भर्ती, स्वास्थ्य (विभाग) में भर्ती सभी भर्तियां रुकी हुई हैं। सीएम ने आगे कहा, “यह शक्तियों का दुरुपयोग है। मार्च में कौन-सा शुभ मुहूर्त होगा? बिल दिसंबर में पारित हुए थे और वे उस पर बैठे हैं। बीजेपी चुप है, बीजेपी के इशारे पर बिल पेंडिंग हैं। यह राज्य के युवाओं के साथ अन्याय है।"

3 दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा ने दो विधेयक पारित किए थे। जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षण मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि अनुसूचित जाति समुदाय के लिए सार्वजनिक रोजगार और प्रवेश में 12 प्रतिशत से 13 प्रतिशत कर दिया गया। एसटी वर्ग के लिए 32 फीसदी आरक्षण में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसके अलावा, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान भी किया गया, जिससे आरक्षण की कुल सीमा 76 प्रतिशत हो गई है। जिसके बाद विधेयकों को मंजूरी को लेकर राज्यपाल और राज्य सरकार में टकराव की स्थिति नजर आ रही है। 

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