
छत्तीसगढ़ में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों की सीधी भर्ती पर रोक, क्या बोला हाईकोर्ट?
संक्षेप: छत्तीसगढ़ में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के पदों पर सीधी भर्ती पर रोक लग गई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है जिसमें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के पदों पर सीधी भर्ती की अनुमति दी गई थी।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसके जरिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के पदों पर सीधी भर्ती की अनुमति दी गई थी। हाई कोर्ट ने साफ किया कि सेवा नियमों में ढील का इस्तेमाल भर्ती की मूल प्रक्रिया बदलने के लिए नहीं किया जा सकता है। प्रोफेसर के पद पदोन्नति से भरे जाएंगे। इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के पदों पर सीधी भर्ती पर रोक लग गई है।

हाईकोर्ट में दी गई थी अधिसूचना को चुनौती
दरअसल, 10 दिसंबर 2021 को जारी अधिसूचना में प्रदेश सरकार ने मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग और फिजियोथेरेपी कॉलेजों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों को छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती से भरने की घोषणा की थी। इस आदेश को एसोसिएट प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
प्रदोन्नति कर्मचारियों का वैधानिक अधिकार
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि छत्तीसगढ़ मेडिकल शिक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम 2013 के अनुसार प्रोफेसर का पद 100 प्रतिशत पदोन्नति से ही भरा जाना है। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि प्रदोन्नति का अधिकार कर्मचारियों का वैधानिक अधिकार है और इसे कार्यकारी आदेश से खत्म नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस शासनकाल में जारी की गई थी अधिसूचना
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद अधिसूचना को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया। साथ ही स्पष्ट कर दिया कि अब प्रोफेसरों के पद केवल योग्य एसोसिएट प्रोफेसरों की प्रदोन्नति से ही भरे जाएंगे। बता दें कि राज्य सरकार ने यह अधिसूचना कांग्रेस शासनकाल के दौरान जारी किया था।
विशेष परिस्थिति में दी गई थी छूट
राज्य शासन ने हाइकोर्ट में कहा कि प्रदेश में नए मेडिकल कालेज खुलने और सीटें बढ़ने से बड़ी संख्या में प्रोफेसरों की जरूरत है। अभी 242 प्रोफेसरों और 396 एसोसिएट प्रोफेसरों के पद स्वीकृत हैं, जबकि योग्य प्रोफेसरों की संख्या बहुत कम है। अगर तुरंत भर्ती नहीं की गई तो मेडिकल शिक्षा पर संकट आ सकता है और नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। इसी कारण विशेष परिस्थिति में डायरेक्ट भर्ती की छूट दी गई थी।
रिपोर्ट- संदीप दीवान

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