Subhash Chandra Bose Jayanti Speech : नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर 10 लाइनें, भाषण में आएंगी काम
- Subhash Chandra Bose Jayanti Speech : आज का दिन करिश्माई नेता, प्रेरक व्यक्तित्व और महान योद्धा सुभाष चंद्र बोस को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित करने का है जिन्होंने आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

Subhash Chandra Bose Jayanti Speech In Hindi : आज 23 जनवरी को देश नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 128वीं जयंती मना रहा है। मां भारती के वीर सपूत, महान देशभक्त, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है। ओडिशा के कटक में संस्कृति मंत्रालय द्वारा तीन दिवसीय समारोह का आयोजन किया जा रहा है। आजादी की लड़ाई के दौरान नेताजी ने तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिन्द, दिल्ली चलो जैसे नारों से लोगों में देशभक्ति की भावना को उजागर किया और स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने की अलख जगाई। उनके द्वारा दिया गया "जय हिन्द" का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। आज का दिन इस करिश्माई नेता, प्रेरक व्यक्तित्व और महान योद्धा को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित करने का है जिन्होंने आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
यहां पढ़ें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी 10 लाइनें
1. सुभाष चंद्र बोस का जन्म 1897 में ओडिशा के कटक में एक बंगाली परिवार में हुआ था। बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे। सुभाष चंद्र उनकी 9वीं संतान और 5वें बेटे थे।
2. सुभाष चंद्र बोस की परवरिश ब्रिटिश सरकार के एक शिष्ट नौकरशाह बनने के लिये अपने वकील पिता की निकट देखरेख में हुई जिसे उन्होंने हासिल भी कर लिया था। उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस में चौथा रैंक हासिल किया था। लेकिन उन्होंने अपने मुल्क को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए इस प्रतिष्ठित पद की बलि चढ़ा दी। आज की तरह तब भी यह पद पाना हर भारतीय का सपना हुआ करता था। उन्होंने अपना बचा हुआ जीवन देशसेवा में समर्पित कर दिया। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना से वह काफी विचलित थे।
3. प्रराक्रम दिवस
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में साल 2021 से हर साल पराक्रम दिवस मनाया जाता है।
4. गांधी जी से हो गए थे मतभेद
सुभाष चंद्र बोस के कुछ मुद्दों पर गांधी व नेहरू जी से मतभेद थे लेकिन सह-साथियों के तौर पर उन्होंने हमेशा बापू का सम्मान किया। भारत के आक्रमण के प्रयास के दौरान आजाद हिंद फौज की दो ब्रिगेडों के नाम गांधी और नेहरू का नाम दिया जाना उनकी इन नेताओं के बलिदान के प्रति व्यक्तिगत श्रद्धांजलि थी। महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस अपनी बेहद भिन्न विचारधाराओं के बावजूद एक-दूसरे के प्रति गहरा सम्मान रखते थे।
- गांधी अहिंसा और सत्याग्रह में दृढ़ विश्वास रखते थे, जबकि बोस के लिए गांधी की अहिंसा पर आधारित रणनीति भारत की स्वतंत्रता हासिल करने के लिए काफी नहीं थी। बोस के लिए, केवल हिंसक प्रतिरोध व सशक्त क्रांति से ही विदेशी साम्राज्यवादी शासन को भारत से बाहर कर सकता था।
- भगत सिंह को न बचा पाने पर नेताजी गांधी जी और कांग्रेस से नाराज हो गए थे।
- 1939 में नेताजी गांधीजी द्वारा समर्थित उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैया को हराकर कांग्रेस अध्यक्ष बन गए थे। गांधीजी ने इसका विरोध किया था। इस पर गांधी और बोस के बीच अनबन बढ़ गई। करीब डेढ़ महीने बाद नेताजी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।
5. नेताजी की इकलौती बेटी
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने साल 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन युवती एमिली से शादी की। दोनों की एक बेटी अनीता हुई, और वर्तमान में वो जर्मनी में अपने परिवार के साथ रहती हैं।
6. आजादी से पहले भारत से बाहर हिन्दुस्तान की पहली सरकार
अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना की। आजाद हिंद सरकार को 9 देशों की सरकारों ने अपनी मान्यता दी थी, जिसमें जर्मनी, जापान फिलीपींस जैसे देश शामिल थे।
7. आजाद हिंद फौज में फूंकी जान
रासबिहारी बोस ने आज़ाद हिंद फ़ौज की कमान सुभाष चंद्र बोस के हाथों में सौंप दी। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा (अब म्यांमार) पहुंचे। यहां उन्होंने नारा दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।'
8. लगे नाजियों से संबंध के आरोप
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस को लगभग सभी राजनीतिक बलों से फासीवादी ताकतों के साथ उनकी निकटता के लिये आलोचना का शिकार होना पड़ा।
9. आजाद हिंद रेडियो स्टेशन भी शुरू किया
सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद रेडियो स्टेशन जर्मनी में शुरू किया और पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया। सुभाष चंद्र बोस मानते थे कि भगवत गीता उनके लिए प्रेरणा का मुख्य जरिया थी।
10. तीन जांच आयोग, मगर नहीं सुलझी गुत्थी
18 अगस्त, 1945 को ताइपेई में हुई एक विमान दुर्घटना के बाद नेताजी लापता हो गए थे। घटना को लेकर तीन जांच आयोग बैठे, जिसमें से दो जांच आयोगों ने दावा किया कि दुर्घटना के बाद नेताजी की मृत्यु हो गई थी। जबकि न्यायमूर्ति एमके मुखर्जी की अध्यक्षता वाले तीसरे जांच आयोग का दावा था कि घटना के बाद नेताजी जीवित थे। इस विवाद ने बोस के परिवार के सदस्यों के बीच भी विभाजन ला दिया था।
100 गोपनीय दस्तावेज अब सार्वजनिक
2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी सौ गोपनीय फाइलों का डिजिटल संस्करण सार्वजनिक किया, ये दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में मौजूद हैं।
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