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World Environment Day Speech in Hindi: विश्व पर्यावरण दिवस पर दें यह आसान भाषण, मिलेगा इनाम

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बच्चों को जागरूक करने के लिए विभिन्न स्कूलों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। निबंध, भाषण, पोस्टर प्रतियोगिताएं होती हैं। भाषण का उदाहरण यहां से ले सकते हैं

World Environment Day Speech in Hindi: विश्व पर्यावरण दिवस पर दें यह आसान भाषण, मिलेगा इनाम
Pankaj Vijayलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीMon, 05 Jun 2023 05:08 AM
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World Environment Day 2023 Speech, Theme : हर साल 5 जून का दिन दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसका मकसद है- लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक और सचेत करना। प्रकृति बिना मानव जीवन संभव नहीं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि हम पेड़-पौधों, जंगलों, नदियों, झीलों, भूमि, पहाड़ सबके महत्व को समझें। इस दिवस को मनाने का फैसला 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद लिया गया। इसके बाद 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। इस बार विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ( World Environment Day Theme) है - प्लास्टिक पॉल्यूशन की समस्या का हल (Solutions to plastic pollution)। सोशल मीडिया पर हैश टैग  #BeatPlasticPollution के साथ पर्यावरण दिवस व इसके मकसद का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स जमकर इस हैश टैग के साथ प्लास्टिक विरोधी अभियान में हिस्सा ले रहे हैं।  

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बच्चों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न स्कूलों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। निबंध, भाषण, पोस्टर प्रतियोगिताएं होती हैं। अगर आप स्कूल में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भाषण देने जा रहे हैं या निबंध लिखने जा रहे हैं तो यहां से उदाहरण ले सकते हैं - 

World Environment Day 2023 Speech in Hindi: विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण

आदरणीय अध्यापक गण, प्रिंसिपल सर एवं मेरे प्यारे साथियों, 
आज हम सब यहां पर्यावरण दिवस मनाने के मकसद से एकत्रित हुए हैं। हर वर्ष 5 जून का दिन विश्व भर में पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। पर्यावरण की सुरक्षा की अहमियत को देखते हुए वर्ष 1972 में  संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला किया था। इसके बाद 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। हर साल पर्यावरण दिवस की थीम भी तय की जाती है। इस बार की थीम है - सॉल्यूशन टू प्लास्टिक पॉल्यूशन यानी प्लास्टिक से हो रहे प्रदूषण की समस्या का समाधान। यह वजह है कि सोशल मीडिया पर बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन ( #BeatPlasticPollution) हैश टैग के साथ अभियान भी चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य प्लास्टिक से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करना है। 

साथियों, हमें भी इस अभियान का हिस्सा बनना चाहिए और प्लास्टिक, खासतौर पर पॉलिथीन बैग्स इस्तेमाल न करने का संकल्प लेना चाहिए। दुनिया में हर साल 40 करोड़ टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है। यह कचरा हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है। प्लास्टिक में ऐसे विषैले रसायन होते हैं, जिससे मनुष्यों और प्रकृति के लिए जोखिम पैदा करते हैं। ये रसायन नदियों में मिलकर जल प्रदूषण फैला रहे हैं। ऐसे में हमें प्लास्टिक के उपयोग में कमी लानी ही होगी। पॉलीथिन बैग्स पर बैन का सख्ती से पालन करना होगा। 

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और बढ़ते प्रदूषण के चलते पर्यावरण दूषित होता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है। खराब हवा लोगों का दम घोंट रही है। शहरों में बहुत से लोगों को बदतर आवोहवा के चलते लोगों को सांस, हृदय, फेफड़ों की बीमारियों हो रही हैं।

हमें यह समझना चाहिए कि संपूर्ण मानवता का अस्तित्व प्रकृति पर निर्भर है। इसलिए एक स्वस्थ एवं सुरक्षित पर्यावरण के बिना मानव समाज की कल्पना अधूरी है। पृथ्वी ग्रह पर ही मानव जीवन संभव है इसलिए इसे जीने लायक बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। 

क्या कर सकते हैं?
- हमें चाहिए हम वर्ष में कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं । 
- तालाब, नदी, पोखर को प्रदूषित नही करें, जल का दुरुपयोग नहीं करें। 
- बिजली का अनावश्यक उपयोग नहीं करें, इस्तेमाल के बाद बल्ब, पंखे या अन्य उपकरणों को बंद रखें। 
- प्लास्टिक/पॉलिथिन का उपयोग बंद करें। कागज या कपड़े के बने झोले या थैले का उपयोग करें।
- पशु-पक्षियों के प्रति दया भाव रखें, नजदीकी कामों के लिए साइकिल का उपयोग करें। 

सिर्फ जुबानी न रह जाएं ये बातें
साथियों, ये बातें सिर्फ जुबानी या किताबों में न रह जाएं बल्कि हमें जीवन में उतारनी होंगी। प्रदूषण से पर्यवारण को बचाना है। पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनानी होगी। पर्यावरण के संतुलन कायम रखने से ही जीव और मानव का विकास संभव है। सोलर ऊर्जा का प्रयोग बढ़ना होगा। ऊर्जा का अनावश्यक खर्च न करने की आदत डालनी होगी। जल संसाधनों की बचत करनी होगी। 

हमें याद रखना चाहिए कि प्रकृति ने इंसान को पैदा किया और अपने आस्तित्व के लिए इंसान को उसकी जरूरत है। प्रकृति से हम हैं, हमसे प्रकृति नहीं। 

धन्यवाद। 

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