वैदिक शिक्षा बोर्ड की कमान रामदेव को ? संतों को स्वीकार नहीं
ज्ञानवापी परिसर पर हिंदुओं के अधिकार के लिए देशभर के संत अपने शिष्य समाज के साथ ज्ञानवापी की यात्रा करेंगे। यह निर्णय अखिल भारतीय संत समिति के तत्वावधान में प्रमुख महामंडलेश्वरों की रविवार को काशी में
Vedic Shiksha Board : ज्ञानवापी परिसर पर हिंदुओं के अधिकार के लिए देशभर के संत अपने शिष्य समाज के साथ ज्ञानवापी की यात्रा करेंगे। यह निर्णय अखिल भारतीय संत समिति के तत्वावधान में प्रमुख महामंडलेश्वरों की रविवार को काशी में हुई बैठक में लिया गया। इस बैठक में काशी विद्वत परिषद के भी प्रतिनिधि उपस्थित रहे। बैठक के बाद सभी संतों ने प्रतीक तिरंगा यात्रा भी निकाली।
सिद्धगिरीबाग स्थित ब्रह्मनिवास में हुई बैठक में तय हुआ कि जल्द ही ज्ञानवापी यात्रा की तारीख तय करके देश के सभी अखाड़ों के संतों को जानकारी दे दी जाएगी। बैठक में संतों ने कई अन्य प्रस्ताव भी पारित किए। संतों ने वैदिक शिक्षा बोर्ड की कमान स्वामी रामदेव को दिए जाने का विरोध किया है। उनका स्पष्ट कहना है कि स्वामी रामदेव उन्हें कदापि स्वीकार नहीं हैं। उनकी मांग है कि वैदिक शिक्षा बोर्ड संतों के मार्गदर्शन में चले। संतों ने ‘पवित्र काशी’ अभियान के संचालक डॉ. संतोष ओझा को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि काशी पवित्र नगरी है, इसे मांस मदिरा से मुक्त होना ही जाना चाहिए।
बैठक में इनमें ईशनिन्दा के नाम पर हो रही हत्याओं पर लगाम के लिए कठोर कानून बनाने, देश के समस्त पञ्चांगों में एकरूपता, टीवी चैनलों पर मनमानी व्याख्या बंद करने, काशी को मांस-मदिरा मुक्तक्षेत्र घोषित करने, वर्तमान संविधान को ही सम्पूर्णता में लागू करने, इसका विरोध करने वालों पर राष्ट्रद्रोह की कार्रवाई करने, हिंदू समाज के सभी संगठनों को एक धारा में साथ लेकर चलने, हिन्दुओं के लिए युगनुकूल आचार संहिता तैयार करने, जिन राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां वर्ष में एक बार वरिष्ठ सन्तों के प्रवास, अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदू समाज की पीड़ा उठाने के प्रस्ताव पारित किए गए। संचालन स्वामी जीतेंद्रानन्द सरस्वती ने किया।
उपस्थित महामंडलेश्वर
स्वामी हरिहरानंद सरस्वती मैनपुरी, स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती मुम्बई, स्वामी प्रणव चैतन्यपुरी परमार्थ साधक संघ, स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि हरिद्वार, स्वामी विश्वेश्वरानन्द भारती, रोहतक,स्वामी चन्द्रेश्वर गिरि ललितपुर,स्वामी श्याम चैतन्यपुरी उज्जैन,स्वामी अभयानंद सरस्वती लखनऊ, स्वामी कृष्णानन्द हिसार से उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त काशी से स्वामी बालकदास, स्वामी विमलदेव आश्रम, स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती एवं प्रो. रामनारायण द्विवेदी भी बैठक में थे।