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‘भरोसा करें, चांद-सितारे तोड़ लाएंगी बेटियां’- उत्तराखंड टॉपर दिव्यांशी राज, VIDEO

उत्तराखंड बोर्ड 12वीं की परीक्षा में 98.4% मार्क्स लेकर उत्तराखंड टॉप करने वाली होनहार बिटिया दिव्यांशी राज रविवार को आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ के काशीपुर कार्यालय की मेहमान बनीं। इस...

‘भरोसा करें, चांद-सितारे तोड़ लाएंगी बेटियां’- उत्तराखंड टॉपर दिव्यांशी राज, VIDEO
संवाददाता,काशीपुरThu, 31 May 2018 11:41 AM
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उत्तराखंड बोर्ड 12वीं की परीक्षा में 98.4% मार्क्स लेकर उत्तराखंड टॉप करने वाली होनहार बिटिया दिव्यांशी राज रविवार को आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ के काशीपुर कार्यालय की मेहमान बनीं। इस दौरान दिव्यांशी ने सफलता के शिखर की यात्रा हिन्दुस्तान से साझा की। दिव्यांशी ने बताया कि कैसे दो साल की कठिन तपस्या कर न सिर्फ उसने उत्तराखंड टॉप किया बल्कि प्रदेश में सर्वाधिक नंबर हासिल कर बोर्ड का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...।

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सवाल: दिव्यांशी आप अपने बारे में बताएं?
जवाब- मैं दिव्यांशी राज उत्तराखंड बॉर्डर जसपुर के गांव असालतपुर की रहने वाली हूं। मेरे पिता सुरेंद्र कुमार स्योहारा चीनी मिल में काम करते हैं। मां सरिता रानी गृहणी हैं। मैं जसपुर के रामलाल सिंह चौहान सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज जसपुर की छात्रा हूं।

सवाल: आपके सब्जेक्ट क्या थे? टॉप करने की उम्मीद थी ?
जवाब-
मैं पीसीएम ग्रुप की छात्रा हूं। मैथ्स, कैमिस्ट्री, फिजिक्स के अलावा हिंदी और अंग्रेजी मेरे सब्जेक्ट थे। मेहनत की थी तो अच्छे नंबरों की उम्मीद तो थी, लेकिन उत्तराखंड टॉप कर जाऊंगी ये मैंने कभी नहीं सोचा था। 

सवाल: टॉपर्स बनने के लिए किस तरह पढ़ाई की ?
जवाब- 
मैंने प्रिंसिपल सर बलकरन सिंह जी के बताए तरीके से पढ़ाई की। मतलब हमारे सर कहते हैं दिन में रात को भले कम पढ़ो, लेकिन सुबह की पढ़ाई जरूर करो। क्योंकि सुबह जितना पढ़ो वो अच्छे से याद होता है। मैं सुबह साढ़े तीन बजे उठकर पढ़ती थी।

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सवाल : टीवी देखना और मोबाइल चलाना पसंद है?

जवाब- हां, मुझे टीवी देखना बहुत पसंद है। लेकिन, पढ़ाई के कारण मैंने पूरे साल भर टीवी नहीं देखा। क्योंकि अगर मैं एक दिन टीवी देखती तो और देखने का मन करता। इसलिए टीवी देखा ही नहीं। मोबाइल का यूज सिर्फ पढ़ाई के लिए किया। सोशल मीडिया फेसबुक का इस्तेमाल कभी नहीं किया।

सवाल : पढ़ाई के लिए ट्रांसपोर्टेशन कभी दिक्कत बनी? 
जवाब-
मेरे घर से कॉलेज छह किलोमीटर दूर है। मैं साइकिल से स्कूल आती और जाती थी। सिर्फ स्कूल आने-जाने में ही 12 किमी हो जाते थे। इसके अलावा मुझे ट्यूशन लेने के लिए भी जसपुर आना पड़ता था। एक दिन में मैं करीब 24 किलोमीटर साइकिल चलाती थी। आधा सेशन साइकिल से अप-डाउन किया। बाद में दिक्कत होने लगी तो जसपुर में किराये पर रूम ले लिया था। वहीं परिवार के साथ रहकर पढ़ाई की। इससे पढ़ाई के लिए टाइम काफी मिल गया।

सवाल : भविष्य की क्या प्लानिंग है? 
जवाब-
मैं आईआईटी की कोचिंग के लिए कोटा जा रही हूं। उसके बाद बीटेक कर इंजीनियरिंग करूंगी। बाद में सिविल सर्विसेज की तैयारी करूंगी। आईएएस बनकर मैं देश की सेवा करना चाहती हूं। मैं आईएएस बी चंद्रकला से काफी इंस्पायर्ड हूं। मैं उनकी तरह ही बनना चाहती हूं।

सवाल : कोई ऐसी बात जिसने आपको मोटिवेट किया?
जवाब-
दो मई को देहरादून में मुझे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने टेबलेट देकर सम्मानित किया था। वहां राज्यमंत्री रेखा आर्य भी मौजूद थीं। उन्होंने अपनी जिंदगी का किस्सा सुनाते हुए कहा था कि जब उन्होंने 10वीं में अच्छे नंबर हासिल किए थे तो उनकी मां ने कहा था ‘मेरी बेटी चांद-सितारे तोड़ लाई’। ऐसा बोलकर उनके पैरेंट्स ने उन पर गर्व किया। मैं भी यही कहूंगी सारी लड़कियां चांद-सितारे तोड़ सकती हैं। आपको उन पर गर्व करना चाहिए।

सवाल : दिव्यांशी आपकी हॉबीज क्या हैं?
जवाब- 
मुझे किताब पढ़ना, सिंगिंग बहुत पसंद है। आतिफ असलम मेरे फेवरेट सिंगर हैं। स्पोर्ट्स में बैडमिंटन पसंद हैं। जब भी मुझे टाइम मिलता है मैं बैडमिंटन जरूर खेलती हूं। तनाव दूर करने में इससे मद मिलती है।

सवाल : लड़कियों के लिए क्या संदेश देंगी ?
जवाब-
अगर मन में इच्छा है तो लड़कियां सब कुछ कर सकती हैं। आप खुद से प्रोमिस करो और उसे पूरा करो। आप किसी से कम नहीं हैं। आपकी मेहनत आपको कामयाब बनाएगी। वहीं पैरेंट्स को संदेश देना चाहती हूं कि अपनी बेटियों को मोटिवेट करो। आप मोटिवेट करेंगे तो आपकी बेटियां आपका नाम रोशन करेंगी।

सवाल : आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देंगी?
जवाब- 
आज मैं जो भी हूं उसका श्रेय मैं अपने सब्जेक्ट टीचर, ट्यूशन टीचर और पैरेंट्स को देना चाहूंगी। सभी ने मुझे बहुत मोटिवेट किया। इन सभी ने मुझे समझाया और मुझे भरोसा दिया।
 

ऐसा था दिव्यांशी का पढ़ाई का फॉर्मूला:
हर सब्जेक्ट की करें तैयारी

मैं हर एक सब्जेक्ट की रोज पढ़ाई करती थी। मैंने कोई भी सब्जेक्ट नहीं छोड़ा। बच्चे सोचते हैं हिंदी और अंग्रेजी में ऐसे ही नंबर आ जाएंगे। लेकिन, इससे मैरिट में आने की संभावना कम हो जाती है। हर सब्जेक्ट की इंपोर्टेंस है। पीसीएम ग्रुप के बच्चे हिंदी और अंग्रेजी में ज्यादा ध्यान नहीं देते। जबकि इन सब्जेक्ट में कम नंबर आने पर पर्सेंटेज गिर जाती है।

बेस और कांसेप्ट क्लीयर तो मैथ होगी सॉल्व
सबको लगता है मैथ बहुत कठिन है। सब सोचते हैं नुमेरिकल और क्वेश्चन सॉल्व नहीं हो पाते हैं। लेकिन, अगर आपका बेस और कांसेप्ट क्लीयर है तो आप कोई भी सवाल सॉल्व कर लेंगे। मैथ में फॉर्मूला क्लीयर होना चाहिए। फॉर्मूले याद करने के लिए सबकी अपनी ट्रिक्स होती है।

समझकर पढ़ेंगे तो कैमिस्ट्री हो जाएगी आसान
कैमिस्ट्री में रिएक्शन का टॉपिक समझना बेहद अहम है। सबसे अधिक इन ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री में समस्या आती है। इसमें थ्योरी ज्यादा होती है। इसे याद नहीं करना है मतलब रटना नहीं है। उसे समझना है। समझकर पढ़ेंगे तो यह आसान सब्जेक्ट हो जाएगा। बाकी जहां तक रिएक्शन का सवाल है आप अपनी सेल्फ स्टडी के लिए रिएक्शन लिखकर पढ़ें। क्योकि रिएक्शन पढ़कर कभी याद नहीं होते हैं। जितना भी पढ़े उसे एक बार लिखकर जरूर देखें। 

रटे नहीं, समझकर पढ़ें फिजिक्स की थ्योरी
ये भी बिल्कुल कैमिस्ट्री की तरह है। इसमें भी थ्योरी हमें समझनी है। इसे रटना नहीं चाहिए। थ्योरी समझेंगे तो नुमेरिकल बेस क्वेशचन खुद ही कर लेंगे। जहां तक बात फॉर्मूले की है तो वो तो याद करने ही पढ़ेंगे।

हिंदी-अंग्रेजी को न करें नजरअंदाज
इन दोनों सब्जेक्ट में लापरवाही से परसेंटेज कम हो जाते हैं। ये दोनों ऐसी लेंग्वेज हैं जो जिंदगी भर हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगे। इसलिए इन दोनों सब्जेक्ट को नजरअंदाज न करें। फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ की तरह हिंदी और अंग्रेजी को बराबर समय दें।
 

दिव्यांशी ने दिए सफलता के टिप्स:
11वीं से ही शुरू करें बोर्ड एग्जाम की तैयारी

मैंने 11वीं में सोच लिया था कि मेरी भविष्य का बेस यहीं है। इसे मैं बहुत अच्छे से करूंगी। इसलिए मैंने 11वीं से ही बोर्ड की तैयारी शुरू कर दी थी। 11वीं में सीरियस होकर पढ़ी। 11वीं में भी मेरे 95.2% मार्क्स आए थे। यही मेरी 12वीं का बेस बना।

सवालों से समझौता न करें 
ज्यादातर बच्चे पढ़ाई से समझौता कर लेते हैं। अक्सर कोई सवाल नहीं आने पर उसे छोड़ देते हैं। मैंने ऐसा नहीं किया। जो सवाल नहीं आया उसे कई बार टीचर्स से पूछा। जब तक सवाल समझ में नहीं आया उसका पीछा नहीं छोड़ा।

पढ़ाई का वातावरण बनाएं
पढ़ाई का वातावरण अच्छा होना चाहिए। ताकि आप हमेशा पढ़ाई के लिए अट्रैक्ट रहे। संगत का असर पड़ता है। गलत संगत से हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

नियमित करें पढ़ाई एग्जाम में नहीं होगी टेंशन

अक्सर बच्चों को एग्जाम में बहुत टेंशन हो जाती है। अगर आप पूरे साल अच्छे से पढ़ेंगे तो आपको कभी टेंशन नहीं होगी। एग्जाम समय में सिर्फ पढ़ाई करेंगे तो दिक्कत होगी। मुझे जब तनाव होता है तो मैं म्यूजिक सुनती हूं।

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