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यूपी: यूं समझें स्कूलों में फीस बढ़ाने का नया फॉर्मूला, मनमानी को रोकेंगे ये 10 खास नियम

निजी स्कूलों की मनमाने तरीके से बढ़ने वाली फीस पर अब लगाम लग सकेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में स्ववित्तपोषित स्वत्रंत विद्यालय विधेयक के मसौदे को...

यूपी: यूं समझें स्कूलों में फीस बढ़ाने का नया फॉर्मूला, मनमानी को रोकेंगे ये 10 खास नियम
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊWed, 04 Apr 2018 03:36 PM
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निजी स्कूलों की मनमाने तरीके से बढ़ने वाली फीस पर अब लगाम लग सकेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में स्ववित्तपोषित स्वत्रंत विद्यालय विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी गई। इसमें फीस बढ़ाने का जो फॉर्मूला तय किया गया है उससे अधिकतम 5 से 7 फीसदी फीस ही बढ़ सकेगी। इस अध्यादेश को इसी सत्र से लागू कर दिया जाएगा।

1. फीस बढ़ाने का फार्मूला यूं समझे
फीस बढ़ाने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) को मानक बनाया गया है। इसमें 5 फीसदी जोड़ने पर जो योग आएगा उससे ज्यादा फीस नहीं बढ़ सकेगी। मान लीजिए - सीपीआई 2.03 फीसदी है तो इसमें 5 प्रतिशत जोड़ने पर 7.03 फीसदी ही फीस बढ़ सकेगी। गौरतलब है कि अभी निजी स्कूल 15-25 फीसदी तक फीस बढ़ा रहे हैं। 

2. 20 हजार रुपये से ज्यादा सालाना फीस लेने वाले स्कूलों पर लागू होगा फैसला
इसके लागू होने के बाद अभिभावकों को राहत मिलेगी। चूंकि  वर्तमान में  विधानसभा सत्र नहीं चल रहा है लिहाजा राज्य सरकार इस पर अध्यादेश लाएगी। इसे राज्यपाल से मंजूर कराने के बाद अगले हफ्ते तक लागू किया जा सकेगा। ये विधेयक 20 हजार रुपये से ज्यादा सालाना फीस लेने वाले स्कूलों पर लागू होगा। फीस लागू करने का आधार वर्ष  2015-16 माना जाएगा।

3. किन स्कूलों पर लागू होगा ये विधेयक
ये विधेयक यूपी, सीबीएसई आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों में लागू होगा। इसे अल्पसंख्यक स्कूलों पर भी लागू किया जाएगा। फीस बढ़ाने का जो फार्मूला विधेयक में तय किया गया है, उससे अधिकतम सात फीसदी की ही बढ़ोत्तरी होगी। फार्मूला ये है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई)में 5 फीसदी जोड़ने पर जो योग आएगा,  उससे ज्यादा फीस नहीं बढ़ाई जा सकेगी। प्राविधानों के मुताबिक निजी स्कूल पूरी फीस एकमुश्त नहीं ले सकेंगे। 

4. रद्द हो सकती है मान्यता
तय फीस से ज्यादा फीस लेने पर शिकायत की जा सकेगी। इसके लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में जोनल शुल्क विनियामक समिति बनाई जाएगी।  इसमे शिकायत करने पर पहली बार गलती  करने पर स्कूल पर 1 लाख, दूसरी बार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना और तीसरी बार शिकायत मिलने पर स्कूल की मान्यता खत्म करने की सिफारिश के साथ 15% विकास शुल्क के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। यदि मामला मंडल स्तर पर नहीं सुलझेगा तो इसे राज्य स्तर पर कमेटी बनने तक प्राविधिक शिक्षा में बनी कमेटी में सुलझाया जाएगा। 

5. व्यावसायिक आय दिखानी होगी-
फीस, सरकारी योजनाओं के अनुदान व व्यवासयिक गतिविधियों आदि से होने वाली स्कूल के खाते में जमा होगी। मसलन स्कूल परिसर में शादी ब्याह या अन्य व्यवसायिक गतिविधि होती है तो इससे होने वाली आय स्कूल की मानी जाएगी, न कि प्रबंध समिति के खाते में। स्कूल की जितनी आय बढ़ेगी, बच्चे की फीस कम होती जाएगी। 

6. 20,000 रुपये वार्षिक से नीचे फीस लेने वाले स्कूल और प्री प्राइमरी स्कूलों पर विधेयक लागू नहीं होगा।  हर स्कूल को अगले शैक्षिक सत्र में कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के  शुल्क का ब्यौरा सत्र 31 दिसम्बर से पहले अपनी वेबसाइट पर देना होगा। सत्र शुरू होने से 60 दिन पहले वेबसाइट पर खर्चे प्रदर्शित करने होंगे

7. स्कूल की पूरी आय का अधिकतम 15 फीसदी ही विकास कोष के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। 

8. संभावित शुल्क में वार्षिक शुल्क, रजिस्ट्रेशन शुल्क, विवरण पुस्तिका और प्रवेश शुल्क होगा। - त्रैमासिक, अर्धवार्षिक शुल्क ही लिया जा सकता है, एकमुश्त नहीं। 

9.  बस सुविधा, बोर्डिंग, मेस, टूर वैकल्पिक शुल्क होंगे, इसे जबरन नहीं लिया जा सकता 

10. निर्धारित दुकान से जूते मोजे, यूनिफार्म खरीदने को बाध्य नहीं कर सकते। 5 साल से पहले यूनिफॉर्म नहीं बदल सकते। 

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