6 बार दिया यूपीएससी, सारे अटेम्प्ट खत्म, IAS बनने का सपना टूटने के बाद शख्स ने बताई अपनी 6 गलतियां
रजत सम्बयाल ने यूपीएससी की 10 साल तैयारी की। इस दौरान उन्होंने छह अटेप्प्ट दिए लेकिन हर बार उन्हें नाकामी मिली। उन्होंने बताया कि इस लंबी यात्रा के दौरान के दौरान उनसे क्या क्या गलतियां हुईं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का फॉर्म हर साल करीब 9 से 10 लाख युवा भरते हैं लेकिन सिर्फ 700-800 अभ्यर्थियों का ही चयन हो पाता है। आईएएस ( IAS ) बनने का ख्वाब लिए लाखों अभ्यर्थी वर्षों से इस प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा ( UPSC Civil Services Exam ) की तैयारी करते रहते हैं। हर बार एक नई उम्मीद के साथ वह एग्जाम देते हैं। कभी प्रीलिम्स नहीं निकलता, प्रीलिम्स निकल जाता है तो मेन्स नहीं निकलता। मेन्स निकलता है तो फिर इंटरव्यू में कहीं चूक हो जाती है। ऐसी ही कहानी है रजत सम्बयाल की जिन्होंने यूपीएससी की 10 साल तक तैयारी की। इस दौरान उन्होंने यूपीएससी के छह अटेप्प्ट दिए लेकिन हर बार उन्हें नाकामी मिली और उनके प्रयासों की सीमा खत्म हो गई। रजत तीन बार प्रीलिम्स और 2 बार मेन्स में फेल हुए। आखिरी अटेम्प्ट में वह इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन 11 नंबर से चूक गए।
यूपीएससी का सपना टूटने के बाद रजत सम्बयाल ने जब आत्मविश्लेषण किया तो उन्हें अपनी छह गलतियां नजर आईं। उन्होंने अपनी गलतियों को यूपीएससी अभ्यर्थियों के साथ शेयर किया है कि वह ऐसा तैयारी के दौरान न करें। जोश टॉक्स यूपीएससी पर उन्होंने बताया कि अभ्यर्थियों की अगर प्रीलिम्स, मेन्स या इंटरव्यू , किसी भी स्टेज की तैयारी पूरी नहीं है तो अपना अटेम्प्ट व्यर्थ न करें। जम्मू कश्मीर के रहने वाले रजत ने कहा, 'मैं कॉलेज पासआउट ही हुआ था, मैं यूपीएससी का फॉर्म भर दिया। तीन माह की तैयारी के बाद प्रीलिम्स दिया, पास भी हो गया। लेकिन मेन्स की तैयारी के लिए 3 माह का समय बहुत कम था। मेन्स मेरा कुछ नंबरों से क्लियर नहीं हो पाया। इसलिए यह वाला अटेम्प्ट मेरा खराब चला गया। किस भी अभ्यर्थी को किसी स्टेज में कोई समस्या है तो उसे पहले सुधारें, फिर आगे बढ़ें।'
2. रजत ने बताया कि यूपीएससी के किसी भी स्टेज को हल्के में नहीं लेना चाहिए। मेरा पहले अटेम्प्ट में एक बार में प्रीलिम्स निकल गया था। दूसरी बार जब 2016 में प्रीलिम्स दिया तो इसमें फेल हो गया। कभी भी ओवर कॉन्फिडेंस में न आएं।
3. अपनी तीसरी गलती के बारे में रजत ने कहा, '2017 में मैंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षाओं के पिछले प्रश्न पत्र की उपेक्षा की और ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट दिए । लेकिन हद से ज्यादा मॉक टेस्ट देना मेरी गलती थी। मॉक टेस्ट अलग तरह का होता है। मॉक टेस्ट नॉलेज बेस्ड होता है। जबकि यूपीएससी में लॉजिक बेस्ड पेपर ज्यादा रहता है।
एक सप्ताह जाकर छोड़ दी UPSC IAS कोचिंग, 2 बार लगातार प्रीलिम्स फेल, तीसरे प्रयास में सबको चौंकाया
4. परीक्षा के दौरान मुझ पर तनाव हावी हो गया था। मानसिक समस्याएं परेशान करने लगी थीं। परीक्षा के लिए जाते वक्त डर लगता था कि कहीं सर्वाइकल की दिक्कत पेपर में न होने लगे। इससे मुझे पेपर में प्रश्न हल करने में ज्यादा समय लगने लगा था। फोकस कम हो गया था। लेकिन बाद के अटेम्प्ट में मैंने अपनी गलती को समझा और पॉजिटिविटी के साथ एग्जाम दिए।
5. रजत ने कहा, '5वें अटेम्प्ट में मैंने पहले के प्रश्न पत्रों का विश्लेषण किया। मेरा प्रीलिम्स क्लियर हो गया। लेकिन मेन्स के आंसर को अच्छे मेंटर से चेक नहीं करवाए। निबंध को किसी से पढ़वाया नहीं। ये मेरी गलती थी।
6. छठे और आखिरी अटेम्प्ट में मेरे प्रीलिम्स और मेन्स दोनों क्लियर हो गए। लेकिन इंटरव्यू में ओवर एनालिसिस कर दिया। कुछ ज्यादा मॉक्स दिए। इससे मेरे दिमाग में क्रिटिकल चीजें चल रही थीं। पर्सनैलिटी टेस्ट में क्रिटिकल रिव्यू ने मुझे नुकसान पहुंचाया।
एक अन्य इंटरव्यू में रजत ने कहा कि यूपीएससी की इस लंबी तैयारी के दौरान एक अभ्यर्थी काफी कुछ सीखता है। अगर असफलता भी हाथ लगती है तो जिंदगी बर्बाद नहीं हो जाती। इस संघर्ष की बदौलत अन्य फील्ड में भी अच्छा करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका कोई प्लान बी नहीं था।