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सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा स्थगित करने से हाईकोर्ट का इनकार, याचिका खारीज

तेजी से बढ़ती कोरोना की तीसरी लहर के बावजूद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा मुख्य परीक्षा- 2021 को स्थगित करने से इनकार कर दिया। याचिका खारिज करते हुए न्यायालय...

सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा स्थगित करने से हाईकोर्ट का इनकार, याचिका खारीज
प्रमुख संवाददाता,नई दिल्लीThu, 06 Jan 2022 11:11 PM
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तेजी से बढ़ती कोरोना की तीसरी लहर के बावजूद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा मुख्य परीक्षा- 2021 को स्थगित करने से इनकार कर दिया। याचिका खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा है कि परीक्षा स्थगित करने का आदेश देना उचित नहीं होगा। जस्टिस वी. कामेश्वर राव ने अपने फैसले में कहा, परीक्षा की पूरी तैयारी हो चुकी है, ऐसे में यदि इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप किया जाता है तो इससे परीक्षा देने वाले छात्र प्रभावित होंगे। इससे पहले, संघ लोक सेवा आयोग ने बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका का विरोध करते हुए, इसे खारिज करने की मांग की थी। आयोग की ओर से अधिवक्ता नरेश कौशिक ने न्यायालय को बताया कि युद्ध स्तर पर परीक्षा की तैयारी की गई है और जनहित की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिला अधिकारियों की सहायता से सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा के लिए कुल 24 परीक्षा केंद्र और 58 उप केंद्र बनाए गए हैं। साथ ही पर्यवेक्षक, परीक्षकों के अलावा, मुख्य परीक्षक और अन्य कर्मचारी परीक्षा केंद्रों पर शारीरिक रूप से मौजूद रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की दलील दी

  • आयोग ने न्यायालय को बताया कि पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल सेवा के लिए आयोजित आरंभिक परीक्षा को स्थगित करने से इनकार कर दिया था, जबकि उस परीक्षा में प्रतिभागी छात्रों की संख्या काफी अधिक होती है।

याचिका का विरोध करते हुए आयोग ने कोर्ट को बताया कि मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए सफल हुए कुल 9,156 में से 9,085 प्रतिभागियों ने पहले ही अपने प्रवेश पत्र (एडमिट कार्ड) डाउनलोड कर लिए हैं। साथ ही प्रवेश पत्र अब भी डाउनलोड किए जा रहे हैं। आयोग ने कहा कि प्रतिभागियों ने परीक्षा की तैयारी के लिए कड़ी मेहनत की है। साथ ही प्रतिभागी पहले ही अपने-अपने निर्दिष्ट परीक्षा केंद्रों के शहरों में पहुंच चुके होंगे। आयोग ने न्यायालय को बताया कि पिछले साल की तरह इस साल भी प्रतिभागियों को अपना परीक्षा केंद्र बदलने का विकल्प दिया गया है और इसके तहत करीब 1,100 से अधिक छात्रों ने परीक्षा केंद्र बदलने का विकल्प चुना है।

आयोग ने कहा, कोरोना के तहत सभी पहलुओं का रखा गया ध्यान

  • अधिवक्ता कौशिक ने कहा कि आयोग को अब तक सिर्फ 61 प्रतिभागियों से ई-कैम आयोजित करने के खिलाफ प्रतिवेदन मिला है, जिन्होंने अपने प्रवेश पत्र डाउनलोड नहीं किए। आयोग ने कहा कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर परिवहन की क्षमता को भी 50 फीसदी के हिसाब से कर दिया गया है, ऐसे में स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर परिवहन की व्यवस्था को सुचारू करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि प्रतिभागियों को परीक्षा केंद्र पहुंचने में परेशानी नहीं हो। आयोग ने कहा कि कोरोना के मद्देनजर सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही कहा कि यदि परीक्षा स्थगित की जाती है तो भविष्य में और बाधाएं आ सकती हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा, परीक्षा कराने से संक्रमण का खतरा ज्यादा

  • दूसरी तरफ मुख्य परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र रजत जैन व अन्य की ओर से अधिवक्ता अनुश्री कपाड़िया ने परीक्षा स्थगित करने की मांग की। उन्होंने कहा, कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है और आयोग ने परीक्षा आयोजित करने में इस पहलू का ध्यान नहीं रखा। कपाड़िया ने न्यायालय को बताया, अयोग ने परीक्षा के लिए किसी मानक संचालन प्रक्रिया को नहीं आपनाया है, इससे बड़े पैमाने पर परीक्षा में शामिल होने वाले प्रतिभागियों और उनके परिवारों एवं उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों में संक्रमण का खतरा होगा। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि उन्हें मुंबई से एक प्रतिभागी का फोन आया, जिसमें बताया गया कि वह जिस इमारत में रहता है उसे कोरोना के चलते सील कर दिया गया है, ऐसे में वह छात्र परीक्षा में कैसे शामिल हो सकता है। उन्होंने न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता सहित काफी संख्या में छात्रों को संक्रमण का खतरा है।
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