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यूपीएससी सिविल सेवा में आधे से ज्यादा हिन्दी भाषी

यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा में सी-सैट (सिविल सर्विस एप्टीट्यूट टेस्ट) को शामिल करने के बाद हमेशा यह आरोप लगता रहा है कि इस परीक्षा में हिन्दी माध्यम से तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के साथ...

यूपीएससी सिविल सेवा में आधे से ज्यादा हिन्दी भाषी
एजेंसी,नई दिल्लीSat, 07 Dec 2019 02:43 PM
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यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा में सी-सैट (सिविल सर्विस एप्टीट्यूट टेस्ट) को शामिल करने के बाद हमेशा यह आरोप लगता रहा है कि इस परीक्षा में हिन्दी माध्यम से तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के साथ भेदभाव किया जाता है लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हिन्दी को मातृभाषा के रूप में अपनाने वाले विद्यार्थियों की संख्या आधे से ज्यादा है। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी देते हुए बताया कि 2018 में हिन्दी को मातृ भाषा के रूप में चुनने वाले 485 अभ्यर्थियों का सिविल सेवा में चयन हुआ। उन्होंने बताया कि 2017 में कुल 1056 अभ्यर्थियों का सिविल सर्विस के लिए चयन हुआ था। इनमें 633 विद्यार्थियों की मातृभाषा हिन्दी थी।

हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी: सिंह ने बताया कि 2016 की परीक्षा के दौरान विभिन्न सेवाओं के लिए चुने गए 1,204 अभ्यर्थियों में से 664 ने मातृभाषा के तौर पर हिन्दी या अन्य क्षेत्रीय भाषा का चयन किया था। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हिन्दी को मातृभाषा के रूप में अपनाने वाले अभ्यर्थियों का चयन सिविल सर्विस में ज्यादा होने लगा है जो एक महत्वपूर्ण संकेत है। उन्होंने बताया कि यह रुझान हर साल बढ़ रहा है। इससे हिन्दी माध्यम में तैयारी करने वाले विद्यार्थी प्रोत्साहित होते हैं।

महिला-पुरुष अभ्यर्थियों की संख्या में संतुलन पर जोर : डॉ सिंह ने लिखित उत्तर में यह भी बताया कि सरकार ऐसे कार्यबल के लिए प्रयत्नशील है जिसमें पुरुष तथा महिला उम्मीदवारों की संख्या में संतुलन हो। उन्होंने कहा कि महिला उम्मीदवारों को सिविल सेवाओं में शामिल होने की प्रतिभागिता के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। महिला उम्मीदवारों को सिविल सेवा परीक्षा के लिए शुल्क का भुगतान करने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्त महिलाओं को उम्र सीमा में भी छूट दी जाती है।

साल     कुल सफल   हिन्दी मातृभाषा वाले अभ्यर्थी 

2018      812                485

2017     1056               633

2016    1204                664

2015   1164                 643

2014   1363                 743
 

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