यूपी सरकार का फैसला, विश्वविद्यालयों में संकाय पहले जैसे ही रहेंगे
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि राज्य विश्वविद्यालयों में प्रचलित संकाय एवं उनकी प्रशासनिक व्यवस्था पहले की तरह ही चलती रहेगी। विषयों के वर्गीकरण की व्यवस्था मात्र विषय कोडिंग एवं छात्रों को कई विषय...
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि राज्य विश्वविद्यालयों में प्रचलित संकाय एवं उनकी प्रशासनिक व्यवस्था पहले की तरह ही चलती रहेगी। विषयों के वर्गीकरण की व्यवस्था मात्र विषय कोडिंग एवं छात्रों को कई विषय की शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए की गई है।
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस. गर्ग ने बुधवार को देर शाम प्रदेश के सभी राज्य व निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र लिखकर 15 जून को जारी शासनादेश के संबंध में स्थिति स्पष्ट की। इस शासनादेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार अंतर विश्वविद्यालय क्रेडिट स्थानान्तरण को आसान बनाने के लिए संकायों की एकरूपता के संबंध में मार्गदर्शी निर्देश जारी किए गए थे।
शासनादेश से विश्वविद्यालय में मच गई थी हलचल
उच्च शिक्षा विभाग के 15 जून के शासनादेश से विश्वविद्यालयों में खासी हलचल मच गई थी। इसमें संकायों का पुनर्गठन करने को कहा गया था, जिसमें कई विषयों के संकाय बदल जाते। साथ ही कुछ नए संकाय बनाने और कुछ को नया नाम देने को भी कहा गया था। ज्यादातर विश्वविद्यालयों में आमतौर पर सात संकाय हैं, पुनर्गठन के बाद संकायों की संख्या 11 हो जाती। संकायों के इस पुनर्गठन से विश्वविद्यालयों में संकायाध्यक्षों (डीन) की प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हो जाती। इससे वरिष्ठता को लेकर विवाद होने की संभावना भी थी। लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) डॉ. मनोज पांडेय ने कहा कि सरकार नई शिक्षा नीति के नाम पर विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला कर रही है। प्रदेश सरकार को अनावश्यक हस्तक्षेप से बाज आना चाहिए।