UGC Guidelines और फाइनल ईयर परीक्षा मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा फाइनल ईयर परीक्षाएं कराने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने सभी पक्षों...
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा फाइनल ईयर परीक्षाएं कराने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने सभी पक्षों को अपनी दलीलें लिखित में पेश करने के लिए तीन दिन का और समय दिया है।
मामले पर फैसला सुरक्षित रखने से पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने मामले पर सुनवाई की। अदालत ने कहा यूजीसी के गाइडलाइन्स को उपदेश केे तौर पर न लिया जाए।
इससे पहले शुक्रवार (14 अगस्त 2020) को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई को 18 अगस्त के लिए टालने का फैसला लिया था।
Supreme Court reserves judgement on a batch of pleas challenging University Grants Commission's (UGC) July 6 circular and seeking cancellation of final term examination in view of #COVID19 situation. pic.twitter.com/86jUdiIKyN
— ANI (@ANI) August 18, 2020
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील श्याम दीवान ने शीर्ष अदालत से कहा था कि फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की हेल्थ भी उतनी ही अहमियत रखती है जितनी अन्य बैच के स्टूडेंट्स की रखती है। सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा था कि इन दिनों स्टूडेंट्स को ट्रांसपोर्टेशन व कम्युनिकेशन से जुड़ी काफी दिक्कतें आ रही हैं। महाराष्ट्र के कई कॉलेज क्वारंटाइन केंद्र के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
इससे पहले गुरुवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से अपने हलफनामे में उच्चतम न्यायालय से कहा था कि विद्यार्थी के अकादमिक करियर में अंतिम परीक्षा महत्वपूर्ण होता है और राज्य सरकार यह नहीं कह सकती कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 30 सितंबर तक अंत तक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से परीक्षा कराने को कहने वाले उसके छह जुलाई के निर्देश बाध्यकारी नहीं है।
यूजीसी ने कहा कि छह जुलाई को उसके द्वारा जारी दिशा-निर्देश विशेषज्ञों की सिफारिश पर अधारित हैं और उचित विचार-विमर्श कर यह निर्णय लिया गया। आयोग ने कहा कि यह दावा गलत है कि दिशा-निर्देशों के अनुसार अंतिम परीक्षा कराना संभव नहीं है।
आपको बता दें कि देशभर में स्नातक और परास्नातक फाइनल ईयर के लाखों छात्र अपनी परीक्षाओं और रिजल्ट के इंतजार में हैं।
दिल्ली और महाराष्ट्र में परीक्षाएं रद्द करने को यूजीसी ने बताया गलत
.उल्लेखनीय है कि 10 अगस्त को यूजीसी ने कोविड-19 महामारी के चलते दिल्ली और महाराष्ट्र सरकारों द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षा रद्द करने के फैसले पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह नियमों के विपरीत है। महाराष्ट्र सरकार के हलफनामे का जवाब देते हुए यूजीसी ने कहा कि यह कहना पूरी तरह से गलत है कि छह जुलाई को जारी उसका संशोधित दिशा-निर्देश राज्य सरकार और उसके विश्वविद्यालयों के लिए बाध्यकारी नहीं है। आयोग ने कहा कि वह पहले ही 30 सितंबर तक सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों द्वारा अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के लिए छह जुलाई को जारी दिशा-निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाबी हलफनामा दाखिल कर चुका है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 10 अगस्त को शीर्ष अदालत से कहा कि राज्य सरकारें आयोग के नियमों को नहीं बदल सकती हैं, क्योंकि यूजीसी ही डिग्री देने के नियम तय करने के लिए अधिकृत है। मेहता ने न्यायालय को बताया कि करीब 800 विश्वविद्यालयों में 290 में परीक्षाएं संपन्न हो चुकी है जबकि 390 परीक्षा कराने की प्रक्रिया में हैं।