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UGC Guidelines 2020: विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर परीक्षाओं को लेकर आज SC में सुनवाई

University Exams UGC Guidelines 2020: कोविड-19 महामारी के दौरान सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करने के यूजीसी के 6 जुलाई के निर्देश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर...

UGC Guidelines 2020: विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर परीक्षाओं को लेकर आज SC में सुनवाई
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीFri, 14 Aug 2020 06:57 AM
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University Exams UGC Guidelines 2020: कोविड-19 महामारी के दौरान सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में फाइनल ईयर की परीक्षाएं आयोजित करने के यूजीसी के 6 जुलाई के निर्देश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। इससे पहले 10 अगस्त को इस मामले में सुनवाई हुई थी, जिसमें न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि राज्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम नहीं बदल सकते हैं क्योंकि सिर्फ यूजीसी को ही डिग्री प्रदान करने के लिये नियम बनाने का अधिकार है। मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि परीक्षाएं नहीं कराना छात्रों के हित में नहीं है और अगर राज्य अपने मन से कार्यवाही करेंगे तो संभव है कि उनकी डिग्री मान्य नहीं हो। यूजीसी की ओर से 14 अगस्त को यह बताया जाएगा कि क्या राज्य आपदा प्रबंधन कानून के तहत यूजीसी की परीक्षा संबंधी अधिसूचना रद्द कर सकती है?

दरअसल 10 अगस्त की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सरकार से जानना चाहा कि क्या राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम (DMA) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देशों को प्रभावित कर सकते हैं?  यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब के लिए कुछ समय मांगा और खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई। 
उन्होंने यह भी कहा कि स्टूडेंट्स को परीक्षाओं की तैयारी जारी रखनी चाहिए। 

करियर में अंतिम परीक्षा अहम:UGC
महाराष्ट्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे पर जवाब देते हुए यूजीसी ने कहा कि विद्यार्थी के अकादमिक करियर में अंतिम परीक्षा ' महत्वपूर्ण होता है और राज्य सरकार यह नहीं कह सकती कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 30 सितंबर तक अंत तक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से परीक्षा कराने को कहने वाले उसके छह जुलाई के निर्देश ' बाध्यकारी नहीं है। यूजीसी ने यह भी कहा कि'एक ओर राज्य सरकार (महाराष्ट्र) कह रही है कि छात्रों के हित के लिए शैक्षणिक सत्र शुरू किया जाना चाहिए, वहीं दूसरी ओर अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने और बिना परीक्षा उपाधि देने की बात कर रही है। इससे छात्रों के भविष्य को अपूरणीय क्षति होगी। इसलिए यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार के तर्क में दम नहीं है।

आपको बता दें कि 10 अगस्त की सुनवाई में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कोविड-19 महामारी के दौरान दिल्ली और महाराष्ट्र में राज्य के विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाए और कहा कि ये नियमों के विरूद्ध है।  सुनवाई के दौरान मेहता ने पीठ को दिल्ली और महाराष्ट्र द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द किए जाने के निर्णय से अवगत कराया। .यूजीसी ने उनके हलफनामें पर जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा था। 

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में 6 जुलाई को जारी यूजीसी की उस गाइडलाइन को चुनौती दी गई थी, जिसमें देश के सभी विश्वविद्यालयों से 30 सितंबर से पहले अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित कर लेने के लिए कहा गया है।

आपको बता दें कि अभी तक 366 यूनिवर्सिटी ने यूजीसी के दिशा निर्देशों के तहत अगस्त और सितंबर में कॉलेजों के फाइनल ईयर की परीक्षाएं कराने की योजना बना ली है।

यूजीसी के निर्देश कानून नहीं : याचिकाकर्ता
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने दावा किया कि अंतिम साल की परीक्षायें आयोजित करने के बारे में आयोग के छह जुलाई के निर्देश न तो कानूनी है और न ही संवैधानिक हैं। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षण संस्थाओं के लिये गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों का मुद्दा भी उठाया।

यूजीसी ने कहा था- छात्र किसी गफलत में न रहें, तैयारी करते रहें
यूजीसी ने शीर्ष अदालत से यह भी कहा था कि किसी को भी इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि न्यायालय में मामला लंबित होने की वजह से अंतिम साल और सेमेस्टर की परीक्षा पर रोक लग जायेगी। सॉलिसीटर जनरल ने कहा था कि वे अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर चिंतित है क्योंकि देश में आठ सौ से ज्यादा विश्वविद्यालयों में से 209 ने परीक्षा प्रक्रिया पूरी कर ली है और इस समय करीब 390 विश्वविद्यालय अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं। 

 

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