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UPSC से कोविड-19 के बीच सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा कराने की तैयारियों पर सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी मांगी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से कहा कि कोविड-19 के मामलों में तेजी हो रही वृद्धि और देश के कई हिस्सों में बाढ़ से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर चार अक्ट्रबर को होने वाली सिविल...

UPSC से कोविड-19 के बीच सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा कराने की तैयारियों पर सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी मांगी
एजेंसी,नई दिल्लीMon, 28 Sep 2020 03:24 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से कहा कि कोविड-19 के मामलों में तेजी हो रही वृद्धि और देश के कई हिस्सों में बाढ़ से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर चार अक्ट्रबर को होने वाली सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की तैयारियों के बारे में उसे कल तक अवगत कराया जाए। यूपीएससी ने कोविड-19 महामारी और बाढ़ से उत्पन्न स्थिति के बावजूद सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा को स्थगित करने के लिए दायर याचिका का न्यायालय में विरोध किया।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्ईय पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस मामले की सुनवाई करते हुए यूपीएससी से कहा, ''आप कल तक हलफनामा दाखिल कीजिए। आपने जो भी तैयारियां की हैं उनकी जानकारी संक्षिप्त हलफनामे में दें। यूपीएससी के वकील ने कहा कि सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 31 मई को होनी थी और अब इन्हें टालना असंभव है।

यूपीएससी के वकील ने कहा, ''ए भारत सरकार की मुख्य सेवाओं के लिए परीक्षा है। अनेक अभ्यर्थी पहले ही परीक्षा के लिए अपने ई-प्रवेश पत्र डाउनलोड कर चुके हैं।

पीठ ने यूपीएससी के वकील से कहा कि अपने हलफनामे की एक प्रति इस परीक्षा को स्थगित कराने के लिए याचिका दायर करने वाले वासीरेड्डी गोवर्धन साई प्रकाश और 19 अन्य अभ्यर्थियों के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव को दें।

न्यायालय ने 24 सितंबर को कहा था कि कोविड-19 महामारी और बाढ़ से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने के लिए दायर याचिका पर 28 सितंबर को सुनवाई की जाएगी। साथ ही उसने याचिकाकर्ता को संघ लोकसेवा आयोग के वकील और भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने केन्द्रीय एजेन्सी के वकील को ईमेल और ऑनलाइन माध्यम से याचिका की प्रति देने की छूट भी प्रदान की थी।

याचिकाकर्ताओं ने कोविड-19 संक्रमण के मामलों में कमी होने और देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ की स्थिति में सुधार होने तक दो-तीन महीने के लिए ए परीक्षाएं स्थगित करने का अनुरोध किया है।

याचिका में दलील दी गई है कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा परिवर्तित कार्यक्रम के अनुसार परीक्षा कराने का निर्णय याचिकाकर्ताओं और उनकी ही तरह के दूसरे व्यक्तियों को जनता की सेवा करने के लिए अपना पेशा चुनने के बारे में संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(जी) में प्रदत्त मौलिक अधिकार का हनन करता है। याचिका के अनुसार सात घंटे की ऑफलाइन परीक्षा में देश के 72 शहरों में बने परीक्षा केन्द्रों में करीब छह लाख अभ्यर्थी हिस्सा लेंगे।

याचिका के अनुसार सिविल सेवाओं में भर्ती के लिए आयोजित होने वाली यह परीक्षा शैक्षणिक परीक्षा से भिन्न है और अगर इसे कुछ समय के लिए स्थगित किया जाता है तो इससे किसी प्रकार के शैक्षणिक सत्र में विलंब होने जैसा सवाल नहीं उठता है।

याचिका में कहा गया है कि अभ्यर्थियों के गृह नगर में परीक्षा केन्द्र नहीं होने की वजह से कई परीक्षार्थियों को रहने के लिए पीजी की सुविधा और सुरक्षित स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक अकल्पनीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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