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Private School Fees : स्कूल कोरोना काल में वसूली फीस का 15 फीसदी लौटाने का हाईकोर्ट का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को कोरोना काल के दौरान सत्र 2020-21 में वसूली गई फीस में से 15 प्रतिशत फीस अभिभावकों को लौटानी होगी। कोर्ट ने कहा कि जो छात्र

Private School Fees : स्कूल कोरोना काल में वसूली फीस का 15 फीसदी लौटाने का हाईकोर्ट का आदेश
Alakha Singhविधि संवाददाता,प्रयागराजTue, 17 Jan 2023 02:13 PM
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Private School Fees : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को कोरोना काल के दौरान सत्र 2020-21 में वसूली गई फीस में से 15 प्रतिशत फीस अभिभावकों को लौटानी होगी। कोर्ट ने कहा कि जो छात्र विद्यालय में पढ़ रहे हैं उनकी फीस अगले सत्र की फीस में एडजस्ट की जाए और जो छात्र स्कूल छोड़ चुके हैं उनसे ली गई फीस में से 15 प्रतिशत फीस वापस कर दी जाए।

कोरोना काल में स्कूलों द्वारा वसूली जा रही फीस माफ किए जाने को लेकर कई याचिकाएं और जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन सभी पर एकसाथ सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ में यह आदेश दिया है। अभिभावकों की ओर से अधिवक्ता शाश्वत आनंद और यनेंद्र पांडेय ने कहा कि निजी स्कूलों में वर्ष 2020-21 में ऑनलाइन ट्यूशन को छोड़कर कोई भी सेवा नहीं दी गई। इस प्रकार निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस से एक भी रुपया ज्यादा लेना मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यवसायीकरण के अलावा कुछ भी नहीं है। याचियों ने सर्वोच्च न्यायालय के इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान के हाल ही में दिए हुए फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजी स्कूलों द्वारा बिना कोई सेवा दिए फीस की मांग करना, मुनाफाखोरी व शिक्षा का व्यवसायीकरण ही है।

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सभी स्कूलों को साल 2020-21 में ली गई कुल फीस का 15 प्रतिशत जोड़कर आगे के सत्र में एडजस्ट करना होगा। साथ ही जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, स्कूलों को उन्हें वर्ष 2020-21 में ली गई फीस का 15 प्रतिशत लौटाना होगा। इस पूरी प्रक्रिया को करने के लिए हाईकोर्ट ने सभी स्कूलों को दो माह का समय दिया है।

निर्णय की खास बातें:
-कोर्ट ने कहा कि जो छात्र विद्यालय में पढ़ रहे हैं उनकी फीस अगले सत्र की फीस में एडजस्ट की जाए और जो छात्र स्कूल छोड़ चुके हैं उनसे ली गई फीस में से 15 प्रतिशत फीस वापस कर दी जाए।
-इस पूरी प्रक्रिया को करने के लिए हाईकोर्ट ने सभी स्कूलों को दो माह का समय दिया है।
-राज्य के सभी बोर्डों के स्कूलों और विद्यार्थियों पर लागू होगा यह निर्णय

याचियों के अधिवक्ताओं की राय :
जो फीस होती है, वह कानून में क्विड प्रो क्यूओ (quid pro quo) के सिद्धांत पर आधारित होती है, जिसका अर्थ होता है समथिंग फॉर समथिंग। कोरोना काल के दौरान प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस के अनुपात में लाइब्रेरी, लैब, स्पोर्ट्स आदि सेवाएं नहीं दी जा सकी थीं। इसलिए फीस प्री–कोविड शुल्क पर नहीं ले सकते थे। कोर्ट का यह आदेश प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों पर प्रभावी होगा। अगर दो महीने में सभी स्कूल आदेश का अनुपालन नहीं करते हैं तो प्रभावित अभिभावकों के पास हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करने का विकल्प खुला रहेगा।- शाश्वत आनंद, एडवोकेट हाईकोर्ट (याचियों के अधिवक्ता)


माफ की गई यह फीस अभिभावकों को छूट के रूप में मिलेगी। कोर्ट के इस आदेश ने प्रदेश के करोड़ों अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। क्योंकि प्राइवेट स्कूल कोविड के दौरान मनमानी फीस वसूल कर उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशों का पालन भी नहीं कर रहे थे। हमारा तर्क था कि निजी स्कूलों में वर्ष 2020-21 में ऑनलाइन ट्यूशन को छोड़कर कोई भी सेवा नहीं दी गई। उसके बाद भी फीस लिया जाना पूरी तरह गलत है। हमने अपने तर्कों के समर्थन में इंडियन स्कूल जोधपुर बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजी स्कूलों द्वारा बिना कोई सेवा दिए फीस की मांग करना मुनाफाखोरी व शिक्षा का व्यवसायीकरण ही है।
-यनेंद्र पांडेय, एडवोकेट हाईकोर्ट (याचियों के अधिवक्ता)

प्राइवेट स्कूलों ने दो साल नहीं बढ़ाई थी फीस
प्रयागराज। कोरोना काल में प्रदेश सरकार के आदेश पर निजी स्कूलों ने 2020-21 और 2021-22 सत्र में फीस में वृद्धि नहीं की थी। स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के नियमों के अनुसार स्कूल हर साल 10 फीसदी तक फीस बढ़ा सकते हैं। लेकिन दो साल तक एक रुपया फीस भी नहीं बढ़ाई गई। तमाम अभिभावक जो फीस जमा नहीं कर सके उनके लिए फीस माफ भी की गई। हाईकोर्ट के आदेश पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए स्कूल संचालकों ने कहा है कि इस संबंध में प्रदेश सरकार का जो आदेश आएगा, उस पर विचार करेंगे।

कोरोना काल में सरकारी स्कूलों में बढ़ गया था दाखिला
प्रयागराज। कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस न चुका सकने के कारण तमाम अभिभावकों ने अपने बच्चों का नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में लिखवा दिया था। प्रयागराज समेत अधिकतर जिलों के सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या उस दौर में बढ़ गई थी। राजकीय इंटर कॉलेज, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज समेत जिन सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम के सेक्शन थे, उनमें भी अचानक से बच्चों की संख्या काफी बढ़ गई थी। 

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