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Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech : एकता दिवस सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती पर सरल व छोटा भाषण

Sardar Patel Jayanti Speech: सरदार पटेल ने अपनी शानदार नेतृत्व क्षमता से इन रियासतों को भारतीय संघ में मिलवाया और देश के और विभाजन को रोका। लौहपुरुष को राजनीतिक एकीकरण का श्रेय दिया जाता है।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 31 Oct 2023 09:38 AM
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Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech : एकता दिवस सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती पर सरल व छोटा भाषण

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech : भारत के लौहपुरुष और पहले गृहमंत्री व उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनकी 148वीं जयंती आज 31 अक्टूबर पर पूरा देश याद कर श्रद्धांजलि दे रहा है। राष्ट्रीय आंदोलन से लेकर आजादी के बाद भी, सरदार पटेल के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। जब 1947 में भारत आजाद हुआ तब देश में 560 से ज्यादा छोटी बड़ी रियासतें थीं। कुछ रियासतें भारत में शामिल होने के खिलाफ थीं। लेकिन सरदार पटेल ने अपनी शानदार नेतृत्व क्षमता से इन रियासतों को भारतीय संघ में मिलवाया और देश के और विभाजन को रोका। यही वजह है कि उन्हें भारत के भौगोलिक व राजनीतिक एकीकरण का श्रेय दिया जाता है और उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सरदार पटेल की जयंती पर बहुत से स्कूलों व कॉलेजों में भाषण, निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। अगर आप सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर भाषण या निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रहे हैं तो नीचे दिए गए भाषण से उदाहरण ले सकते हैं।

Sardar Vallabhbhai Patel Jayani Speech , National Unity Day speech : सरदार पटेल जयंती, राष्ट्रीय एकता दिवस पर भाषण

आदरणीय प्रिंसिपल सर, अध्यापकों, एवं मेरे प्यारे दोस्तों-- 

किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता है और आज उस महान शख्स की जयंती है जिसे इस देश की एकता का सूत्रधार कहा जाता है। आज 31 अक्टूबर को पूरा देश लौहपुरुष, महान स्वतंत्रता सेनानी, देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जयंती पर नमन कर श्रद्धांजलि दे रहा है। सरदार पटेल को ही भारत के भोगौलिक और राजनीतिक एकीकरण का श्रेय दिया जाता है। वह एक मजबूत, अडिग और दृढ़ संकल्पित व्यक्तित्व के धनी थे।

साथियों, जब 1947 में हिंदुस्तान आजाद हुआ तब देश में 560 से भी ज्यादा छोटी बड़ी रियासतें थीं। इनमें से कुछ रियासतें ऐसी थीं जो भारत में शामिल नहीं चाहती थीं। लेकिन सरदार पटेल ने अपनी शानदार नेतृत्व व प्रशासनिक क्षमता से इन रियासतों को भारतीय संघ में मिलवाया और देश के और टुकड़े होने से रोका। यही वजह है कि उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 2018 में गुजरात में विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति स्टेच्यू ऑफ यूनिटी उन्हें समर्पित की गई है जोकि देश की एकता में उनके योगदान को दर्शाती है।  सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। 

सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। 1910 में उन्होंने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और 1913 में वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया।  स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की थी। 

सरदार पटेल की छवि एक स्पष्ट व निर्भीक वक्ता के तौर पर थी। यदि वे कभी गांधी जी व जवाहर लाल नेहरू से असहमत होते तो वे उसे भी साफ कह देते थे। उन्होंने शराबखोरी, अस्पृश्यता, जातिगत भेदभाव के खिलाफ और गुजरात और बाहर महिलाओं की मुक्ति के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। 

देश को एक रखने में महत्वपूर्ण योगदान और दृढ़ व्यक्तित्व के चलते ही महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी।

सरदार पटेल को अखिल भारतीय सेवाओं का जनक माना जाता है। आजादी के बाद भारत में सरदार पटेल पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इंडियन सिविल सर्विसेज के अहमियत को समझा और भारत में इन्हें बनाए रखना जरूरी बताया। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम कहा था। वे मानते थे कि सिविल सर्विसेज न सिर्फ देश की प्रशासनिक व्यवस्था चलाने में बल्कि कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती हैं। 

दोस्तों, सरदार पटेल कहते थे कि हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए तभी हम एक उन्नत देश की कल्पना कर सकते हैं। वे कहते थे कि हर नागरिक की यह मुख्य जिम्मेदारी है कि वह महसूस करे कि उसका देश स्वतंत्र है और अपने स्वतंत्रता देश की रक्षा करना उसका कर्तव्य है। आज हमें उनकी जयंती पर उनके विचारों को जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। 

धन्यवाद, जय हिंद, जय भारत। 

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