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बचपन में बेचे SIM कार्ड, बीच में ही छोड़ा कॉलेज, 23 साल की उम्र में अरबपति बना यह शख्स

सिर्फ 23-24 साल की उम्र में अरबपति बने ओयो रूम्सके संस्थापक और सीईओ रितेश अग्रवाल आज दुनिया भर में जाना पहचाना नाम है। युवाओं को आगे बढ़ने के लिए वे कैसे प्रेरित करते हैं, आइए जानें-

बचपन में बेचे SIM कार्ड, बीच में ही छोड़ा कॉलेज, 23 साल की उम्र में अरबपति बना यह शख्स
Pankaj Vijayहिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 01 Dec 2022 03:07 PM
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एक क्रिएटिव आइडिया कैसे आपको बुलंदियों पर पहुंचा सकता है, रितेश अग्रवाल की कहानी इसकी बेहतरीन मिसाल है। सिर्फ 23-24 साल की उम्र में अरबपति बने ओयो रूम्स ( OYO rooms ) के संस्थापक और सीईओ रितेश अग्रवाल आज दुनिया भर में जाना पहचाना नाम है। रितेश अग्रवाल का ये सफर 19 साल की उम्र में शुरू हुआ। ओयो 2018 में यूनिकॉर्न कंपनी बना। हुरुन रिच लिस्ट 2020 (Hurun Rich List 2020) में  ओयो के फाउंडर रितेश अग्रवाल को भी जगह मिली थी। तब उनकी नेटवर्थ 110 करोड़ डॉलर (करीब 8,000 करोड़ रुपये) थी। 

रितेश अग्रवाल का जन्म 1993 में उड़ीसा में कटक के बिसम में साधारण मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनका परिवार चाहता था कि वह पढ़लिख कर अच्छी जॉब करें। लेकिन रितेश का दिमाग हमेशा अपना काम शुरू करने की तरफ रहा। रितेश ने 13 साल की उम्र में सिम कार्ड भी बेचे। 2013 में उन्हें प्रतिष्ठित थील फेलोशिप मिली। इसमें उन्हें एक लाख डॉलर मिले। 17 साल की उम्र में उन्हें कम दामों में होटल बुकिंग के लिए एक पोर्टल खोला जिसका नाम ओरावेल स्टेज था।  

बिजनेस में जुनून होने के चलते ही उन्होंने अपना कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड फाइनेंस, दिल्ली से पढ़ाई की थी। उन्हें घूमने फिरने का काफी शौक था। 17 साल की उम्र में उन्होंने देश भर में कई यात्राएं कीं। अनुभव से उन्हें 
ऑनलाइन रूम बुकिंग के काम से शुरुआत की और ओयो जैसी कंपनी खड़ी कर दी।ओयो आज देश की सबसे बड़ी होटल चेन है। 2013 में शुरू हुए अपने सफर से उन्होंने क्या सीखा और युवाओं को आगे बढ़ने के लिए वे कैसे प्रेरित करते हैं, आइए जानें

1. असफलताओं से डरना कैसा
वहीं जब बिजनेस के प्रसार की बात आई, तो रितेश के आइडिया को निवेशकों ने कई बार अस्वीकार कर दिया। लेकिन वे डटे रहे। वह कहते हैं, एक उद्यमी को कई बार अस्वीकार किया जा सकता है। आपको उसकी आदत डाल लेनी चाहिए। एक अन्य साक्षात्कार में वह कहते हैं, ‘असफलताओं से कैसा घबराना। युवा उद्यमियों को चुनौतियों का डटकर सामना करना सीखना चाहिए, क्योंकि खारिज किए जाने के डर से अगर पीछे हट गए तो शिखर तक पहुंचना मुश्किल होगा।’

2. वर्तमान में जिएं
रितेश एक ट्वीट में युवा उद्यमियों से कहते हैं, ‘आज में जिएं। जो सामने नहीं है, उसे जानें दें और उस पर काम करें, जो आपको खुशी देता है।’

3. लगातार कुछ नया करते रहें
तकनीक के माध्यम से रितेश प्रॉपर्टी के मालिकों और कस्टमर को एक मंच पर ले आए। जहां से पहुंच बढ़ी, पारदर्शिता बनी और समस्याओं को सुलझाना आसान हुआ। पहले सॉफ्टवेयर, फिर ऐप और बाद में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जोड़कर वह डिजिटल मंच को कुशल बनाते चले गए। वह कहते हैं, ‘नया करते रहें। असफलता से डरें नहीं। डरें, तो केवल कोशिश ना करने से और हार मान लेने से।’

4. लोगों को महत्व दें
साल 2012 में जब रितेश ने ओरावेल स्टेस नामका सॉफ्टवेयर आधारित बजट होटल का पोर्टल बनाया, तो इसे बढ़ाने के लिए इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को सुना और समझा। जिसका फल उन्हें ओयो रूम्स शुरू करने पर मिला। पुराने संपर्क काम आए। होटल मालिकों को अपने आइडिया से जुड़ने के लिए बातचीत के कई दौर चलाए। धैर्य को वे उद्यमिता के लिए जरूरी मानते हैं। साथ ही जुड़े लोगों के महत्व पर जोर देते हैं। उनके शब्दों में, ‘सफलता के लिए लोग महत्वपूर्ण हैं। उन पर विश्वास कीजिए। उनमें निवेश कीजिए। ऐसे लोगों में खुद को शामिल कीजिए, जिनसे आपको अपनी सीमाओं को परखने की चुनौती मिले। जो लोग आपको अपना समय दे रहे हैं, वे हैं, जो महत्व रखते हैं।’

5. समस्याओं के समाधान पर फोकस करें
रितेश ने पढ़ाई के दौरान होटल बुकिंग की एक वेबसाइट बनाई थी। इस काम के लिए वह खूब यात्राएं करते थे, लेकिन अधिकतर बजट होटलों में खराब सुविधाएं ही पायीं। इससे उन्हें इसका हल निकालने की प्रेरणा मिली, जो आगे चलकर ओयो रूम्स के रूप में सामने आया। वह कहते हैं, ‘इसी तरह बड़ी कंपनियां बनती हैं-निजी समस्या के समाधान के तौर पर।’ अपने एक ट्वीट में वह लिखते हैं, ‘बात जितनी सही आइडिया ढूंढ़ने की होती है, उससे ज्यादा सही समस्या को पहचानकर सही समाधान ढूंढ़ने की भी होती है।’
 

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