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New Education Policy: क्लास 9वीं से 12वीं के बीच छात्रों को विषय चुनने की आजादी रहेगी, जानें स्कूल शिक्षा में क्या बदलाव

नई शिक्षा नीति में शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। इनमें आनलाइन शिक्षा का क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट तैयार करना, वर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी जैसी योजनाएं शामिल हैं। इसके...

New Education Policy: क्लास 9वीं से 12वीं के बीच छात्रों को विषय चुनने की आजादी रहेगी, जानें स्कूल शिक्षा में क्या बदलाव
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 30 Jul 2020 11:01 AM
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नई शिक्षा नीति में शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। इनमें आनलाइन शिक्षा का क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट तैयार करना, वर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी जैसी योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा कक्षा छह से ही कौशल पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे। 9 से 12वीं के स्टूडेंट्स को विषय चुनने की आजादी होगी। जानें स्कूली शिक्षा में क्या क्या बदलाव होंगे।

हर विषय में पाठ्यक्रम सामग्री को कम किया जाएगा। इसमें क्रिटिकल थिंकिंग, समग्र, पूछताछ आधारित, खोज आधारित, चर्चा आधारित और विश्लेषण आधारित बनाया जाएगा। 

केंद्रीय विद्यालयों में प्री स्कूल सेक्शन भी होगा। 

हर स्तर पर प्रायोगिक ज्ञान को बढ़ावा दिया जाएगा। 

जवाहर नवोदय विद्यालय में  सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के स्टूडेंट्स के लिए फ्री बोर्डिंग सुविधा उपलब्ध होगी।

पाठ्यक्रम सामग्री में आईडिया, एप्लीकेशन और समस्या समाधान पर ज्यादा फोकस होगा। टीचिंग और लर्निंग अब इंटरैक्टिव तरीके से होगी।

स्कूल स्टूडेंट्स का न्यूट्रीशन एंड हेल्थ कार्ड्स बनेगा और स्टूडेंट्स के रेग्युलर हेल्थ चेकअप होंगे। 

कक्षा तीन तक के बच्चों को मूलभूत साक्षरता तथा अंकज्ञान प्रदान करने को प्राथमिकता दी जाएगी। 

कक्षा छह से ही कौशल पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे। उन्हें स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। स्कूल से निकलते समय हर छात्र एक कौशल लेकर निकलेगा। 

कक्षा नौ से 12 के बीच छात्रों को विषय चुनने की आजादी रहेगी। साइंस या गणित के साथ फैशन डिजाइनिंग भी पढ़ने की आजादी होगी। 

दसवीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव होंगे। इन परीक्षाओं में बदलाव को लेकर कई सुझाव हैं। जैसे साल में दो बार करना, दो हिस्सों वस्तुनिष्ठ और प्रश्नोत्तर श्रेणियों में विभाजित करना आदि। बोर्ड परीक्षा में मुख्य जोर ज्ञान के परीक्षण पर होगा। 

एनसीईआरटी 8 ​​वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा। एक विस्तृत और मजबूत संस्थान प्रणाली के माध्यम से प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) मुहैया कराई जाएगी। इसमें आंगनवाडी और प्री-स्कूल भी शामिल होंगे ।

नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है। 

विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा। त्रि-भाषा फॉर्मूला में भी यह विकल्‍प शामिल होगा। 

इसके मुताबिक, किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी। भारत की अन्य पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होंगे। 

विद्यार्थियों को 'एक भारत श्रेष्ठ भारत पहल के तहत 6-8 ग्रेड के दौरान किसी समय 'भारत की भाषाओं पर एक आनंददायक परियोजना/गतिविधि में भाग लेना होगा।

करवल ने कहा कि कोरियाई, थाई, फ्रेंच, जर्मन, स्पैनिश, पुर्तगाली, रूसी भाषाओं को माध्यमिक स्तर पर पेश किया जाएगा ।

एनईपी 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा।

एससी, एसटी, ओबीसी और एसईडीजीएस स्टूडेंट्स के लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल को बढ़ाया जाएगा। 

बच्चों की रिपोर्ट कार्ड में बदलाव होगा। उनका तीन स्तर पर आकलन होगा। एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी तथा तीसरे शिक्षक। 

नेशनल एसेसमेंट सेंटर-परख बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण करेगा।

शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। इनमें आनलाइन शिक्षा का क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट तैयार करना, वर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी जैसी योजनाएं शामिल हैं। 

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