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बीएड कोर्स की पढ़ाई अब 4 साल की, 2030 से इसी के जरिए होगी शिक्षकों की भर्ती

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के मुताबिक अब देश के सभी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम की पढ़ाई होगी। केंद्र देश के कुछ चुनिंदा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों...

बीएड कोर्स की पढ़ाई अब 4 साल की, 2030 से इसी के जरिए होगी शिक्षकों की भर्ती
अभिषेक कुमार,पटनाThu, 28 Oct 2021 01:20 PM

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के मुताबिक अब देश के सभी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम की पढ़ाई होगी। केंद्र देश के कुछ चुनिंदा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में इस पाठ्यक्रम को पायलट मोड में शुरू करेगे। 2030 तक सभी बीएड कॉलेजों को इस कोर्स के संचालन के लिए संरचनात्मक और मानव संसाधन संबंधी बदलाव लाना होगा। इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है। बिहार में अभी चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड पाठ्यक्रम की पढ़ाई सिर्फ आधा दर्जन संस्थानों में होती है। यह कोर्स बहु-विषय एवं अंतर-विषयगत वातावरण में होगा। इसे चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जाएगा। उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने अन्य विभागों के मौजूदा भौतिक संसाधनों को साझा करना होगा। इसके लिए एनसीटीई विनियम-2014 में संशोधन किया गया है। चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स आठ सेमेस्टर का होगा। छात्रों को 18 सप्ताह का इंटर्नशिप करना होगा। इंटर्नशिप में क्षेत्र आधारित अनुभव व अभ्यास शिक्षण भी अनिवार्य रूप से करना होगा। कोर्स को अधिकतम छह वर्ष में पूरा करना होगा।

राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा के माध्यम से होगा नामांकन
इस चार वर्षीय पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी के माध्यम से राष्ट्रीय सामान्य प्रवेश परीक्षा के जरिए नामांकन लिया जा सकेगा। प्रवेश परीक्षा ऑनलाइन कम्प्यूटर आधारित होगा। अभ्यर्थी बीए बीएड/बीएससी बीएड/ बीकॉम बीएड में नामांकन ले सकेंगे। इस तरह अभ्यर्थियों को चार वर्ष में ही स्नातक के साथ-साथ बीएड करने का मौका मिलेगा। इससे उनका एक वर्ष बचेगा।

ट्रेनिंग कॉलेज अब मनमाने तरीके से नामांकन शुल्क नहीं वसूल पायेंगे। वे छात्रों से अंशदान नहीं ले पायेंगे। सौ छात्रों के लिए एक विभागाध्यक्ष और 15 सहायक प्राध्यापक की जरूरत होगी। शिक्षाशास्त्रत्त् के प्रोफेसर अथवा एसोसिएट प्रोफेसर ही अब नए पाठ्यक्रम संचालन करने वाले ट्रेनिंग कॉलेजों के विभागाध्यक्ष बन सकेंगे। एनसीटीई के विजिटिंग सदस्य और पटना यूनिवर्सिटी के सीनेट सदस्य डॉ. कुमार संजीव ने कहा कि अब वैसे ही छात्र-छात्राएं इस पाठ्यक्रम में दाखिला लेंगे जो ‘स्कूली शिक्षक ’ के रूप में कॅरियर अपनाने की सोच रहे हों। यानी इस पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद वे ‘पेशेवर शिक्षक‘ बन सकेंगे।

क शैक्षिक अध्ययन के सहायक प्राध्यापकों के लिए एमएड, नेट एवं शिक्षाशास्त्रत्त् विषय से डॉक्टरेट की डिग्री न्यूनतम योग्यता निर्धारित की गई। हालांकि स्कूली विषयों के प्राध्यापक नियुक्ति के लिए संबंधित विषय में स्नातकोत्तर, नेट और पीएचडी के साथ-साथ बीएड की योग्यता अनिवार्य कर दी गई है।

परामर्श प्राध्यापक की भी होगी नियुक्ति : नए प्रावधानों के तहत अब तीन अंशकालिक प्राध्यापकों की भी नियुक्ति करनी होगी। करियर मार्गदर्शन और परामर्श के प्राध्यापक की नियुक्ति का प्रावधान पहली बार बनाया गया है। साथ ही कला शिक्षा और स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा के एक-एक अंशकालिक प्राध्यापक नियुक्त किए जा सकेंगे।

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