ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News करियरनई शिक्षा नीति का मल्टीपल एंट्री एग्जिट सिस्टम भारतीय शिक्षा के लिए अनफिट: संसदीय समिति

नई शिक्षा नीति का मल्टीपल एंट्री एग्जिट सिस्टम भारतीय शिक्षा के लिए अनफिट: संसदीय समिति

समिति का कहना है कि मल्टीपल एंट्री एग्जिट को पश्चिमी शिक्षा संस्थानों में प्रभावी ढंग से चलाया जा रहा है, लेकिन भारतीय संस्थानों को इस प्रणाली को लागू करने में कई मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है।

नई शिक्षा नीति का मल्टीपल एंट्री एग्जिट सिस्टम भारतीय शिक्षा के लिए अनफिट: संसदीय समिति
Pankaj Vijayएजेंसी,नई दिल्लीMon, 25 Sep 2023 05:19 PM
ऐप पर पढ़ें

संसद की एक समिति ने कहा है कि ''मल्टीपल एंट्री और एग्जिट'' (एमईएमई) प्रणाली पश्चिमी शिक्षण संस्थानों में प्रभावी ढंग से संचालित किया जा रहा है लेकिन भारतीय संस्थानों में इसके कार्यान्वयन में कई मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं  खेल विभागों से संबंधित स्थायी संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्थानों ने अभी इस समस्या के बारे में बहुत स्पष्ट रूप से नहीं सोचा है और वे इस मुद्दे को कैसे हल करेंगे, जबकि यह उनके बिल्कुल निकट है।
    
राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर की अध्यक्षता वाली इस समिति की रिपोर्ट पिछले हफ्ते संसद में पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया है, ''नयी शिक्षा नीति (एनईपी) में छात्रों के लिए 'मल्टी एंट्री और एग्जिट' विकल्पों का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि यह एक लचीली प्रणाली की तरह दिखता है, जिसे पश्चिमी शिक्षा संस्थानों द्वारा काफी प्रभावी ढंग से संचालित किया जा रहा है, लेकिन भारतीय संस्थानों को इस प्रणाली को लागू करने में कई मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है।''
     
इसमें कहा गया है कि उच्च जनसंख्या के कारण, हर साल उच्च शिक्षा में छात्रों के अनुमानित प्रवेश की संख्या काफी अधिक है। यदि संस्थान एमईएमई व्यवस्था को अनुमति देते हैं, तो संस्थानों के लिए यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होगा कि कितने छात्र बाहर निकलेंगे और कितने बीच में शामिल होंगे। 
    
 रिपोर्ट में कहा गया है, ''...चूंकि संस्थानों को आने और जाने वाले छात्रों की संख्या का पता नहीं होगा, इसलिए यह निश्चित रूप से छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) को परेशान करेगा।''
     
इसमें यह भी कहा गया है कि उच्च शिक्षा संस्थानों का असमान भौगोलिक वितरण कई क्षेत्रों में एमईएमई के प्रबंधन में बाधाएं पैदा करेगा, खासकर ग्रामीण इलाकों में। संस्थानों ने इस समस्या पर बहुत स्पष्ट रूप से विचार नहीं किया है और जब यह समस्या बिल्कुल निकट है तो वे इसे कैसे हल करेंगे।

विधानसभा चुनाव 2023 के सारे अपड्टेस LIVE यहां पढ़े