नई शिक्षा नीति : मातृभाषा में शिक्षा क्रांतिकारी कदम- पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत
NEP 2020: राज्यसभा के पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करना क्रांतिकारी कदम होगा जिससे राष्ट्र निमार्ण में...
NEP 2020: राज्यसभा के पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करना क्रांतिकारी कदम होगा जिससे राष्ट्र निमार्ण में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। लखावत मंगलवार को राजस्थान के अजमेर स्थित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में आयोजित सशक्त राष्ट्र निमार्ण में नवीन शिक्षा नीति की भूमिका विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो बालक प्रारंभिक छह वर्षों में अपनी मातृभाषा में परिवार के बीच स्वविवेक से संवाद करता है और स्कूल में उसे अन्य भाषा में पढ़ने की सामग्री मिलती है तो वह स्वयं को ठगा और बोझिल महसूस करता है।
उन्होंने कहा कि कोई गोल्ड मेडलिस्ट चिकित्सक है लेकिन स्थानीय भाषा नहीं जानता तो मरीज को समझने में दिक्कत के साथ साथ इलाज करने में भी दुविधा रहती है। इसलिए नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में दिया जाना बदलते दौर में क्रांतिकारी कदम है।
मुख्य अतिथि के तौर पर आगरा के डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मोहम्मद मुजम्मिल ने कहा कि समय के साथ समाज की चुनौतियां भी बदलती हैं इसलिए किसी भी देश के भाग्य का निमार्ण उसकी कक्षाओं में होता है और बदली परिस्थितियों के अनुरुप ही शिक्षा में तकनीक को जोड़ा जा रहा है। उन्होंने माना कि भारत के सशक्तिकरण के लिए नई शिक्षा नीति महत्वपूर्ण साबित होगी।
गुरु गोविंद जनजाति विश्वविद्यालय बांसवाड़ा के पूर्व कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने कहा कि नई शिक्षा नीति की बुनियाद में ही सशक्त राष्ट्र निमार्ण, आत्मनिर्भर भारत, एक भारत श्रेष्ठ भारत और आधुनिक भारत की संकल्पना निहित रही थी, परंतु आजादी के बाद नीति निधार्रकों ने इस मूल भावना को गौण कर दिया। प्रो. राय ने कहा कि जब बच्चा क्षेत्रीय भाषा में सोचता समझता, पढ़ता लिखता है तो आगे चलकर अधिक प्रभावी ढंग से राष्ट्र निमार्ण में योग दे सकता है। मुख्य वक्ता डॉ. नारायणलाल गुप्ता ने कहा कि अब तक शिक्षा केवल मानसिक विकास तक सीमित थी, लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत स्वरोजगार के रास्ते भी खोलेगी।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आरपी सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए नई शिक्षा नीति को 21वीं सदी की नींव रखने वाला बताया।