NEET में अच्छे अंक लाकर भी सदमे में ये छात्र, नियम बदलने से अपने ही राज्य में नहीं ले पा रहे MBBS में एडमिशन
तेलंगाना में एमबीबीएस एडमिशन के लिए लोकल क्राइटेरिया में बदलाव हुआ है। अब छात्रों के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई राज्य से ही करना अनिवार्य है तभी उन्हें राज्य के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलेगा
नीट यूजी परीक्षा में अच्छे अंक लाकर भी कई छात्र सदमे में हैं। मामला तेलंगाना का है जहां एमबीबीएस एडमिशन से जुड़े एक नियम में बदलाव के चलते बहुत से नीट पास छात्र अपने ही राज्य में मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर सकेंगे। दरअसल हाल ही में तेलंगाना में एमबीबीएस एडमिशन के लिए लोकल क्राइटेरिया (गो 33 पॉलिसी) में बदलाव हुआ है। नियमों में बदलाव के तहत अब छात्रों के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई राज्य से ही करना अनिवार्य है तभी उन्हें राज्य के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिलेगा। इन तब्दीलियों के चलते तेलंगाना के ऐसे बहुत से स्टूडेंट्स अपने ही राज्य में एमबीबीएस व बीडीएस करने के लिए अयोग्य हो रहे हैं जिन्होंने आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में पड़ने वाले पड़ोसी जिलों से पढ़ाई की है। अब इन स्टूडेंट्स को लग रहा है कि उनके साथ धोखा हुआ है। इससे पहले स्टूडेंट्स का छठी कक्षा से 12वीं कक्षा के बीच के कुल 7 सालों में से सिर्फ 4 साल की पढ़ाई ही राज्य से किया होना जरूरी था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक प्रभावित छात्रों में एमडीएस के इच्छुक एम कुणाल भी शामिल हैं, जिन्होंने आंध्र प्रदेश के कडप्पा से बीडीएस किया था। हालांकि वह तेलंगाना के निवासी हैं और उन्होंने नीट में 2963 रैंक हासिल की है, लेकिन अब वे नए नियमों के तहत पात्र नहीं हैं। वे कहते हैं, “मुझे 2017 में गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज, कडप्पा में बीडीएस में दाखिला मिला और मैंने कडप्पा में ही स्नातक की पढ़ाई की क्योंकि मुझे उस समय नियमों की जानकारी नहीं थी। अब मैं तेलंगाना में एमडीएस करना चाहता हूं। चूंकि मैंने आंध्र प्रदेश में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है, इसलिए नीट एमडीएस 2024 के काउंसलिंग नियमों के अनुसार, मैं काउंसलिंग के लिए पात्र नहीं हूं। मैं स्थायी तौर पर तेलंगाना का रहने वाला हूं। इसके बावजूद मैं तेलंगाना में अपनी सीट खो दूंगा। यह सरासर गलत है।” कुमाल ने कलोजी नारायण राव यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज को पत्र लिखा है।
कुछ अभिभावकों ने मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी को पत्र लिखकर इस नियम की समीक्षा करने की मांग की है। पत्र में कहा गया है, "हमारे बच्चों ने कड़ी मेहनत के बाद नीट में अच्छे अंक प्राप्त किए हैं और वे सिर्फ बदले हुए नियमों के कारण एमबीबीएस में एडमिशन के लिए अपात्र हो गए हैं। बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे हैं जिन्होंने एपी तक में स्नातक की पढ़ाई की है ताकि वे नीट की तैयारी कर सकें, लेकिन अब उनका भविष्य दांव पर है। ये सब तब हो रहा है जब हम यहां काम कर रहे हैं और हमारे पूर्वज यहां के निवासी रहे हैं। इस नियम को बदला जाना चाहिए।"
आपको बता दें कि हाल ही में तेलंगाना सरकार ने किसी भी विद्यार्थी को स्थानीय छात्र के रूप में मान्यता देने के नियम कायदों में बदलाव किया गया है। पहले उन छात्रों को तेलंगाना के छात्र मान लिया जाता था जिन्होंने राज्य में कक्षा छह से 12 तक अपनी शिक्षा के सात वर्षों में से चार वर्ष पूरे किए हों। हालांकि, नए नियम के अनुसार, स्थानीय छात्रों के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए छात्रों को कक्षा 9वीं से 12वीं तक लगातार तेलंगाना में पढ़ाई करना आवश्यक है।
केटीआर ने जताया विरोध
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने तेलंगाना के छात्रों के साथ इस अन्याय पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा- "सरकार द्वारा तय की गई लोकल स्टूडेंट्स के पात्रता मानदंड कई संदेह पैदा कर रहे हैं। चूंकि हैदराबाद में प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान हैं, इसलिए अन्य राज्यों के छात्र हैदराबाद में अध्ययन करने आएंगे। नए दिशा-निर्देशों के साथ वे सभी स्थानीय हो जाएंगे और तेलंगाना के छात्र, जो अन्य राज्यों में पढ़ते हैं, गैर-स्थानीय हो जाएंगे।'