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NEET 2023: नीट के बाद कैसे मिलता है MBBS सीट पर दाखिला, करियर काउंसलर से जानें इन सवालों के जवाब

याद रखें कि किसी भी व्यक्ति या कॉलेज के हाथ में किसी भी एमबीबीएस सीट पर दाखिला देने का अधिकार नहीं होता है। सभी मेडिकल कॉलेजों की सीटों का आबंटन दो स्तर पर होता है। एक केंद्रीय स्तर पर एमसीसी द्वारा ह

NEET 2023: नीट के बाद कैसे मिलता है MBBS सीट पर दाखिला, करियर काउंसलर से जानें इन सवालों के जवाब
Anuradha Pandeyनीट काउंसलर राकेश जैन,नई दिल्लीThu, 01 Jun 2023 07:40 AM
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इस बार आयोजित हुई मेडिकल की प्रवेश परीक्षा नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट - अंडरग्रेजुएट) में 1800000 से भी ज्यादा युवाओं ने करीब एक लाख एमबीबीएस सीटों के लिए भाग लिया है। अब परिणाम आने के बाद काउंसलिंग का दौर चलेगा। जिसमें अकसर देखा जाता है कि सरकारी संस्थानों में किसी भी तरह दाखिला पाने की होड़ सी चलती है। क्योंकि, उनके शुल्क तुलनात्मक रूप से कम नजर आते हैं। इस होड़ के चलते कई छात्र धोखे का शिकार होते हैं। कई छात्र अगले साल अच्छे नंबरों की आशा में बार-बार साल छोड़ते हैं। छात्रों और अभिभावकों से गलत निर्णय इसलिए होते हैं, क्योंकि उन्हें प्रवेश से संबंधित सही जानकारी नहीं होती। यहां मैं आपको इसकी जानकारी के साथ अपने अनुभव से कुछ बातें साझा करना चाहूंगा।

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बिना काउंसलिंग प्रवेश नहीं

यदि कोई आपसे इस कारण सेवा शुल्क लेता है कि वह बिना काउंसलिंग किसी अमुक संस्थान में दाखिला दिला देगा, तो यह सरासर धोखेबाजी है। जान लीजिए कि किसी भी मेडिकल प्रोग्राम में सीधे एडमिशन संभव नहीं है। एमबीबीएस, बीडीएस, बीएएमएस, बीएचएमएस सभी कोर्स में दाखिले के लिए काउंसलिंग से होकर गुजरना पड़ता है। हमारे देश में किसी भी मेडिकल कोर्स में एडमिशन की दो स्टेज होती हैं। नीट की तैयारी की कोचिंग और उत्तीर्ण करने के बाद काउंसलिंग की प्रक्रिया में भाग लेना।

एमबीबीएस में दाखिले में मेडिकल कॉलेजों में कितना होता है खर्च
अगर हम एमबीबीएस में दाखिले की बात करें तो इस साल हमारे देश में 4 तरह के 690 मेडिकल कॉलेजों में कुल 1,08,000 के करीब एमबीबीएस की सीटें हैं। ये 4 तरह के मेडिकल कॉलेज आईएनआई (जैसे एम्स, बीएचयू, जेआईपीएमईआर, एएफएमसी) गवर्नमेंट, प्राइवेट मेडिकल कालेज और डीम्ड मेडिकल यूनिवर्सिटी होती हैं। जहां आईएनआई और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए सालाना 2 लाख रुपए से भी कम फीस देनी होती है, वहीं प्राइवेट और डीम्ड मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई का खर्च सालाना 6.5 लाख से शुरू हो कर 28 लाख रुपए तक जाता है।

जानें कैसे मिलते हैं संस्थान

याद रखें कि किसी भी व्यक्ति या कॉलेज के हाथ में किसी भी एमबीबीएस सीट पर दाखिला देने का अधिकार नहीं होता है। सभी मेडिकल कॉलेजों की सीटों का आबंटन दो स्तर पर होता है। एक केंद्रीय स्तर पर एमसीसी द्वारा होता है। जिसमें सभी आईएनआई और डीम्ड मेडिकल यूनिवर्सिटी की सभी सीटों और साथ ही देश के सभी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेजों की 15 सीटों के लिए (जिसे एआईक्यू या ऑल इंडिया कोटा सीट भी कहा जाता है) आबंटन होता है। ये काउंसलिंग बिना किसी डोमिसाइल की शर्त के नीट उत्तीर्ण किए हर बच्चे के लिए उपलब्ध होती है।

दूसरे स्तर की काउंसलिंग राज्यों के डायरेक्टर जनरल ऑफ मेडिकल एजुकेशन द्वारा आयोजित की जाती है। जिसमें उस राज्य में स्थित प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की सभी सीटों और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेजों की 85 स्टेट कोटा सीटों के लिए आबंटन किया जाता है। इस काउंसलिंग में भाग लेने के लिए आवेदक को नीट की उत्तीर्णता के साथ-साथ डोमिसाइल संबंधित शर्तों का पालन आवश्यक होता है। राज्य स्तर की काउंसलिंग में किसी भी गवर्नमेंट सीट के लिए उस राज्य का डोमिसाइल होना जरूरी है, परंतु कुछ राज्य कुछ शर्तों के साथ अपनी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की सीटों के लिए दूसरे राज्यों के आवेदकों को भी अवसर देते हैं।

इयर ड्रॉप क्यों और कब चुनें

बहुत से छात्र कोचिंग टीचर्स या ऑनलाइन सलाहों से प्रभावित हो कर मेडिकल की पढ़ाई के लिए सरकारी संस्थान में प्रवेश को अंतिम लक्ष्य बना लेते हैं। वित्तीय सामर्थ्य होने के बावजूद इस जिद में साल ड्रॉप करते हैं। यह सही सोच नहीं है। हमारे देश में बहुत से प्राइवेट और डीम्ड मेडिकल कालेज बहुत से गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेजों से ज्यादा अच्छे हैं। सिर्फ निजी या डीम्ड यूनिवर्सिटी के आधार पर वहां की पढ़ाई और प्रैक्टिस को ना आंकें।

जिनके पहले प्रयास में 400 से ज्यादा अंक आते हैं, अगर उनकी वित्तीय स्थिति निजी और डीम्ड मेडिकल कॉलेजों की फीस के अनुकूल नहीं है तो वे अगली बार गवर्नमेंट मेडिकल कालेज में दाखिले की कोशिश कर सकते हैं। परंतु पहली बार में 400 से कम नंबर आने की स्थिति में माता-पिता को चाहिए कि वे निजी या डीम्ड मेडिकल कालेज में दाखिला दिलवाएं।

अगर वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है तो एमबीबीएस की पढ़ाई किसी भी बैंक से लोन लेकर भी कर सकते हैं। सरकार ने एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए खास प्रावधान बनाए हैं, जिसके तहत छात्र को बहुत सरल शर्तों पर आसानी से लोन मिल जाता है।

इयर ड्रॉप का फायदा कब नहीं

एक बात और समझ लें कि नीट में दो कोशिशों के बाद भी अगर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में दाखिले लायकरैंक नहीं पा रहे हैं, तो आगे और साल ड्रॉप करने का बहुत फायदा नहीं मिलता है।

वैसे भी हाल ही में नेशनल मेडिकल कमीशन ने नीट के आयोजन से संबंधित कुछ बदलावों की पेशकश की है, जिसमें नीट की योग्यता को +2 के दो साल बाद तक ही सीमित कर देने का प्रस्ताव रखा है। अगर आपने 2021 से पहले +2 की परीक्षा पास की है तो इस तथ्य को ध्यान में रख कर अगले साल नीट में कोशिश करने का निर्णय करना चाहिए।