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NCERT ने फिर किया बदलाव, 10वीं की साइंस की बुक से पीरियोडिक टेबल हटाई, मचा बवाल

राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने बच्चों पर बोझ कम करने की कवायद के तहत 10वीं कक्षा की विज्ञान की किताब से केमिस्ट्री के पीरियोडिक टेबल (आवर्त सारणी ) को भी हटा दिया है।

NCERT ने फिर किया बदलाव, 10वीं की साइंस की बुक से पीरियोडिक टेबल हटाई, मचा बवाल
Pankaj Vijayलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 01 Jun 2023 04:53 PM
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राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने बच्चों पर बोझ कम करने की कवायद के तहत 10वीं कक्षा की विज्ञान की किताब से केमिस्ट्री के पीरियोडिक टेबल (आवर्त सारणी ) को भी हटा दिया है। पीरियोडिक टेबल को केमिस्ट्री की समझ विकसित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण टॉपिक माना जाता है। इसी की मदद से रासायनिक तत्त्वों का क्रम व उनकी विशेषता जैसी कई चीजें समझी जाती हैं। दुनिया छोटे छोटे अंशों से कैसे बनी, यह सब जानने के लिए आवर्त सारणी काफी अहम कही जाती है। एनसीईआरटी के इस कदम से शिक्षाविद, शोधकर्ता और एक्सपर्ट्स काफी नाखुश हैं। देश के लाखों विद्यार्थी इससे प्रभावित होंगे। 

इससे पहले एनसीईआरटी द्वारा 9वीं 10वीं की पाठ्यपुस्तकों से चार्ल्स डार्विन के विकास के सिद्धांत को हटाने जाने का भी काफी विरोध हुआ था। हालांकि एनसीईआरटी द्वारा जारी की गई नई पाठ्यपुस्तकों में आवर्त सारणी, प्रदूषण और जलवायु संबंधी विषयों समेत कई और अध्यायों की कटौती का पता चला है। आलोचकों का तर्क है कि जल, वायु प्रदूषण, संसाधन प्रबंधन और विभिन्न ऊर्जा स्रोतों से संबंधित अध्यायों को हटाना आज की दुनिया में इन विषयों की प्रासंगिकता का खंडन करता है।

एनसीईआरटी ने पिछले साल जून में कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तकों से यह कहते विभिन्न अध्यायों को हटा दिया था कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करना जरूरी है। पिछले साल हुई कटौती और बदलावों के साथ नई किताबें अब बाजारी में उतर चुकी हैं। 

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मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में साइंस के टीचरों को ट्रेनिंग देने वाली मैथिली रामचंद ने कहा, ''जल, वायु प्रदूषण, संसाधन प्रबंधन से संबंधित सब कुछ हटा दिया गया है। मैं समझ नहीं पा रही हूं कि कैसे जल का संरक्षण और वायु (प्रदूषण) हमारे लिए प्रासंगिक नहीं है। वर्तमान में तो इनकी और भी ज्यादा जरूरत है।" ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों पर अध्याय - 'जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा तक' - भी हटा दिया गया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि साइंस एजुकेशन में किए गए ये बदलाव  बड़ी चिंता का विषय है। 

कोलकाता में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च की इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट अनंदिता भद्र कहती हैं, 'नई नीति का मकसद है कि विद्यार्थियों को और अधिक से अधिक प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। लेकिन इस तरह के मूलभूत सिद्धांतों को हटाने से विद्यार्थियों की जिज्ञासा को बढ़ाने की बजाय, उसका गला घोंट दिया जाएगा। यह तो ऐसा किया जा रहा है कि चैप्टर कम करो, कम सिखाओ। यह कोई तरीका नहीं है।'
 

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