केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से मान्यता हासिल करने के इच्छुक स्कूलों को अब अपने लर्निंग आउटकम पर विशेष ध्यान देना होगा। दरअसल, सीबीएसई की मान्यता देने संबंधी नियमवालियों में बदलाव कर उसमें स्कूल के लर्निंग आउट की जांच को अनिवार्य बना दिया गया है। वहीं, मान्यता देने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को बताया कि स्कूल शिक्षा को पारदर्शी बनाने के लिए स्कूलों को मान्यता देने के मामले में सीबीएसई की नियमवाली में बदलाव किया गया है। पहले नए स्कूलों को सीबीएसई की मान्यता लेने के लिए पहले राज्य से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना होता था। इसके बाद सीबीएसई दोबारा इसी जांच को दोहराता था। इस दोहराव में लंबा समय लगता था और आवेदन सालों-साल लंबित रहते थे। अब स्कूलों को केवल जिला शिक्षा अधिकारी से अनापति प्रमाण-पत्र लेना होगा। सीबीएसई की टीम स्कूल के अधोसंरचना की जांच नहीं करेगी। सीबीएसई अब सिर्फ स्कूल के लर्निंग आउटकम की जांच करेगा।
यदि राज्य की ओर से एनओसी मिली हुई है और स्कूल का पहली से आठवीं तक लर्निंग आउट अच्छा है तो स्कूल को मान्यता दे दी जाएगी। अब तक स्कूलों को मान्यता के आवेदन के लिए 12 से 14 दस्तावेज देने पड़ते थे, वहीं अब उन्हें मात्र दो दस्तावेज ही देने पड़ेंगे। जावड़ेकर ने कहा कि मान्यता के मामले में बिचौलियों की भूमिका खत्म करने के लिए पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। साथ ही यह भी फैसला लिया गया है कि सभी आवेदनों का उसी अकादमिक वर्ष में निपटारा कर दिया जाएगा। जावड़ेकर ने कहा कि हमने इसकी शुरुआत कर दी है। वर्षों से लंबित करीब आठ हजार आवेदनों का निपटारा कर दिया गया है। मालूम हो कि देशभर में सीबीएसई के 20783 स्कूल हैं, जहां 1.9 करोड़ छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं।