NEET PG अभ्यर्थी दें ध्यान, बदल गया है MD और MS डिग्री कोर्स का यह अहम नियम
नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने फैसला किया है कि अब से मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट (एमडी, एमएस) थीसिस को निरीक्षण के लिए राज्य से बाहर नहीं भेजा जाएगा। इस फैसले से कुछ मेडिकल छात्र नाराज है।
एमडी और एमएस डिग्री कोर्स कर रहे छात्रों और नीट पीजी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए काम की खबर है। नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने फैसला किया है कि अब से मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट (एमडी, एमएस) थीसिस को निरीक्षण के लिए राज्य से बाहर नहीं भेजा जाएगा। हालांकि एनएमसी के इस फैसले से कुछ मेडिकल छात्रों और फैकल्टी में नाराजगी है, लेकिन एनएमसी सूत्रों का कहना है कि इससे छात्रों का उत्पीड़न कम होगा। पहले, एमडी और एमएस छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान किसी खास विषय पर थीसिस तैयार करते थे। अपने फाइनल ईयर में थीसिस को विश्वविद्यालय, कॉलेज डीन, पीजी डायरेक्टर और अन्य राज्यों को निरीक्षण के लिए भेजा जाता था। हर जगह पर अधिकारियों द्वारा थीसिस के विश्लेषण के बाद एक रिपोर्ट बनाकर उपलब्ध कराई जाती थी।
मेडिकल प्रोफेशनल्स क्या बोले
अहमदाबाद मिरर की खबर के मुताबिक बीजे मेडिकल कॉलेज की डीन हंसाबेन गोस्वामी ने कहा, "अब तक, पोस्टग्रेजुएट मेडिकल छात्रों की थीसिस को निरीक्षण के लिए दूसरे राज्यों में भेजा जाता था, लेकिन एनएमसी ने अब ऐसा नहीं करने का फैसला किया है।" अहमदाबाद सिविल अस्पताल के एक प्रोफेसर ने कहा, "मेडिकल शिक्षा में थ्योरी, प्रैक्टिकल और थीसिस, तीनों ही बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसलिए थीसिस विषय का इनोवेशन और बिना किसी पक्षपात के चेकिंग भी जरूरी है। उन्होंने कहा, इसलिए थीसिस को दूसरे राज्यों के शिक्षाविदों के पास भी भेजा जाता था। दूसरे राज्यों के शिक्षाविद इन थीसिस का अध्ययन कर रिपोर्ट देते थे। लेकिन इस बार एनएमसी के नए फैसले के कारण थीसिस की समीक्षा विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज के दायरे तक ही सीमित रहेगी।
अहमदाबाद हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. भारत गढ़वी ने कहा, 'पीजी मेडिकल छात्रों की थीसिस का निरीक्षण दूसरे राज्य के विश्वविद्यालय के परीक्षक द्वारा किया जाना चाहिए क्योंकि वे थीसिस की निष्पक्ष जांच कर अपनी रिपोर्ट देते हैं। बीजे मेडिकल के एमएस छात्र ने कहा, 'थीसिस हमारी तीन साल की पढ़ाई का नतीजा है। हर छात्र की थीसिस तटस्थ तरीके से चेक होनी चाहिए। एनएमसी के इस फैसले के बाद थीसिस चेकिंग की पारदर्शिता व निष्पक्षता कैसे बरकरार रहेगी, यह सोचने वाली बात है।
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क्या है एनएमसी का तर्क
एनएमसी में पीजी बोर्ड के चेयरमैन विजय ओझा ने कहा, 'थीसिस को निरीक्षण के लिए दूसरे राज्यों में न भेजने का फैसला आम बात है। हमने देखा है कि इन थीसिस को अकसर बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाता। इसके अलावा कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें छात्रों को फेल करने की धमकी देकर परेशान किया जा रहा है। यही वजह है कि राज्य में प्रैक्टिकल में 20 अंक जोड़े जाएंगे। छात्रों के उत्पीड़न को कम करने के लिए यह फैसला लिया गया है।"