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MBBS : भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस पाने की परीक्षा में ज्यादातर फेल, विदेश से की थी मेडिकल की पढ़ाई

FMGE Exam Result : इस बार भी एफएमजीई का रिजल्ट बेहद खराब रहा है। 20 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स फेल हैं और 9000 से ज्यादा पास हैं। दिसंबर सत्र की एफएमजीई परीक्षा का आयोजन 20 जनवरी 2023 को कराया गया था। 

MBBS : भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस पाने की परीक्षा में ज्यादातर फेल, विदेश से की थी मेडिकल की पढ़ाई
Pankaj Vijayलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSat, 04 Feb 2023 04:46 PM

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नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) ने एफएमजीई यानी फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन का रिजल्ट जारी कर दिया है। परीक्षार्थी natboard.edu.in पर परीक्षा का परिणाम चेक कर सकते हैं। विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करके अगर भारत में डॉक्टरी करनी है, तो इसके लिए एफएमजीई परीक्षा पास करनी होती है। इस टेस्ट को पास करना काफी कठिन होता है। बेहद चुनौतिपूर्ण मानी जाने वाली इस परीक्षा का रिजल्ट करीब 20 से 25 फीसदी ही रहता है। इस बार भी रिजल्ट बेहद खराब रहा है। 20 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स फेल हैं और 9000 से ज्यादा पास हैं। रिजल्ट करीब 31 फीसदी ही रहा है। दिसंबर सत्र की एफएमजीई परीक्षा का आयोजन 20 जनवरी 2023 को कराया गया था। 

हालांकि पिछले जून सेशन की तुलना में दिसंबर सत्र के परिणाम में 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जून सेशन का परिणाम 11 फीसदी रहा था। यह परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाती है। स्क्रीनिंग टेस्ट होने के कारण इसकी मेरिट जारी नहीं की जाती है। छात्रों को लाइसेंस हासिल करने के लिए 300 में से 150 अंक हासिल करने अनिवार्य होते हैं।
 
हो सकती है अंतिम एफएमजीई परीक्षा
भारत सरकार का प्लान एफएमजीई परीक्षा और नीट पीजी प्रवेश परीक्षा को खत्म कर नेक्स्ट ( National Exit Test - NExT ) परीक्षा शुरू करने का है। इसके अलावा नेक्स्ट शुरू होने के बाद भारत के एमबीबीएस छात्रों को फाइनल ईयर की परीक्षा नहीं देनी होगी। उन्हें नेक्स्ट परीक्षा में बैठना होगा। इसी टेस्ट की मेरिट के आधार पर पीजी में प्रवेश के लिए भी मेरिट बनेगी। यानी नीट पीजी ( NEET PG ) की जरूरत नहीं रहेगी। नीट पीजी को खत्म कर दिया जाएगा। एमबीबीएस छात्रों के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) आरंभ करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने तैयारिया शुरू कर दी हैं। इस प्रकार कुल तीन परीक्षाएं नेक्स्ट में समाहित हो जाएंगी।

नेक्स्ट से विदेश से पढ़कर आने वालों का हो सकता है नुकसान
एमबीबीएस में न्यूनतम 54 महीने का समय लगता है। इस हिसाब से किसी छात्र को अधिकतम पांच मौके ही इन परीक्षा में बैठने के लिए मिलेंगे। हालांकि यह पर्याप्त हैं लेकिन मौजूदा समय में विदेशों से आने वाले मेडिकल छात्रों को स्क्रीनिंग टेस्ट में बैठने के अनगिनत मौके मिलते हैं। ऐसे में उन्हें नुकसान हो सकता है। क्योंकि यदि एमबीबीएस में एडमिशन लेने के दस सालों के भीतर नेक्स्ट पास नहीं किया तो फिर पूरी पढ़ाई बेकार हो जाएगी और वे कभी डाक्टर नहीं बन पाएंगे। बता दें कि कई बार एमबीबीएस करने में भी साढ़े पांच साल से अधिक समय लग जाता है। इसमें बीमार आदि कारणों के चलते फेल होना प्रमुख है।

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