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नॉन आईआईएम मैनेजमेंट कॉलेजों का बदलेगा सिलेबस

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) मैनेजमेंट कॉलेजों के सिलेबस में बदलाव करेगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) के अलावा देशभर में मौजूद करीब 3000 मैनेजमेंट संस्थानों और कॉलेजों को...

नॉन आईआईएम मैनेजमेंट कॉलेजों का बदलेगा सिलेबस
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSat, 30 Dec 2017 04:23 PM
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अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) मैनेजमेंट कॉलेजों के सिलेबस में बदलाव करेगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) के अलावा देशभर में मौजूद करीब 3000 मैनेजमेंट संस्थानों और कॉलेजों को जल्द ही नए सिलेबस के अनुसार पढ़ाई करवानी पड़ेगी। एआईसीटीई के निदेशक अनिल सहस्रबुद्धे ने इस बारे में जानकारी दी।  
सहस्रबुद्धे ने कहा, आईआईएम छात्रों के प्लेसमेंट के मामले में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है। यहां छात्रों को 25-30 लाख रुपए तक औसत सैलरी पैकेज मिल रहा है। लेकिन, देश में मौजूद मैनेजमेंट के अन्य 3000 कॉलेजों में ऐसी स्थिति नहीं है। मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और एमबीए ऑफर करने वाले मैनेजमेंट कॉलेजों और संस्थानों में प्लेसमेंट की स्थिति बेहद खराब है। सबसे चुनौतीपूर्ण यह है कि इन संस्थानों के कई छात्रों को नौकरी न मिलने की स्थिति भी पेश आ रही है। 

एक्पसर्ट कमिटी का गठन
सहस्रबुद्धे ने कहा कि ज्यादातर मैनेजमेंट संस्थानों में आउटडेटेड सिलेबस से पढ़ाई कराई जा रही है। कुछ के सिलेबस सालों से तो कुछ के एक दशक से नहीं बदले गए हैं। सभी 3000 नॉन आईआईएम मैनेजमेंट संस्थानों का सिलेबस अपग्रेड करने के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया है जो नया करिकुलम तैयार करेगा। उच्च शिक्षा में इनरॉलमेंट का अनुपात आजादी के समय के 0.7 फीसदी से बढ़कर 24.5 फीसदी पहुंच गया है। हालांकि, इसके 30 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान था। अब भी छात्रों की रोजगारपरकता चिंता का विषय बना हुआ है।

आईआईएम की तरह मिलेगी स्वायत्तता
सभी आईआईएम को सरकार द्वारा स्वायत्तता दिए जाने के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए सहस्रबुद्धे ने कहा कि सरकार और भी मैनेजमेंट संस्थानों को ऐसी ही स्वायत्तता देने पर विचार कर रही है। इसके लिए आईआईएम त्रिची के निदेश्क भीमराय मेत्री के नेतृत्व में एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया है। ये कमिटी मानकों का फ्रेमवर्क तैयार करने में जुटी हुई है, जिसके आधार पर मैनेजमेंट कॉलेजों को आईआईएम की तरह स्वायत्तता दी जा सके। कमिटी के सुझावों के बाद देश के बेहतरीन सरकारी और प्राइवेट मैनेजमेंट संस्थानों को स्वायत्तता दी जाएगी और एआईसीटीई उनके संचालन में कोई दखलअंदाजी नहीं करेगा। 

तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा
सहस्रबुद्धे ने बताया कि सभी मैनेजमेंट संस्थानों को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा। ए श्रेणी में बेहतरीन और अच्छा प्रदर्शन करने वाले कॉलेजों को रखा जाएगा, जिन्हें पूरी स्वायत्तता दी जाएगी। बी श्रेणी में औसत प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को निगरानी के अंदर थोड़ी स्वायत्तता दी जाएगी। वहीं सी श्रेणी में शामिल खराब प्रदर्शन करने वाले संस्थानों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। मैनेजमेंट कॉलेजों में शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए शिक्षकों को टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे छात्रों को प्रॉब्लम सोल्विंग स्किल सिखा सकें। एआईसीटीई ने नौ मॉड्यूल तैयार किए हैं, जिन्हें एक सेमेस्टर में पूरा किया जाना अनिवार्य होगा। 

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