LT Grade Result रोकने को STF ने UPPSC को लिखे थे तीन पत्र
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सहायक अध्यापक प्रशिक्षित स्नातक (एलटी ग्रेड शिक्षक) भर्ती परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण की जांच कर रही एसटीएफ ने आयोग के सचिव को पत्र लिखकर परिणाम घोषित करने से मना किया...
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सहायक अध्यापक प्रशिक्षित स्नातक (एलटी ग्रेड शिक्षक) भर्ती परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण की जांच कर रही एसटीएफ ने आयोग के सचिव को पत्र लिखकर परिणाम घोषित करने से मना किया था। एसटीएफ के एसएसपी ने इस बारे में जनवरी और फरवरी में तीन पत्र सचिव को भेजे थे।
इस पत्र के बाद भी आयोग ने 16 मार्च 2019 से परिणाम जारी करना शुरू कर दिया और 10 मई तक अलग-अलग तिथियों में सात विषयों के परिणाम घोषित किए गए। एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने आयोग के सचिव को पहला पत्र चार जनवरी को लिखा था। इस पत्र के जरिए कोलकता के अशोक देव चौधरी के शिकायती पत्र का हवाला देते हुए बताया गया था कि अशोक ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि कोलकता स्थित प्रिंटिंग प्रेस के मालिक ने उसे लिफाफे में प्रश्न पत्र दिए थे, जिसे वाराणसी की किसी कोचिंग अथवा स्कूल की बिल्डिंग में 50 से 54 अभ्यर्थियों को साल्व कर रटाया गया था। यह भी बताया गया था कि अशोक ने एसटीएफ मुख्यालय में 19 दिसंबर 2018 को अपना ऑडियो-वीडियो बयान दर्ज कराया है और उसने इस मामले की शिकायत पश्चिम बंगाल के सीआईडी और कोलकता के बिढ़ननगर पुलिस स्टेशन में भी की है। इस पत्र के जरिए एसएसपी ने 50 अभ्यर्थियों की सूची भेजकर अभ्यर्थियों के मूल आवेदन पत्र की छाया प्रति मांगी थी ताकि उससे उनके बारे में और अधिक जानकारी की जा सके। आयोग की तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार ने इन 50 में से 29 अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र की छाया प्रति एसटीएफ को दी थी। बाकी के बारे में बताया गया था कि उनका डेटा मेल नहीं खा रहा है।
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इसके बाद आठ फरवरी को एसएसपी ने आयोग के सचिव को एक और पत्र लिखा था, जिसमें परीक्षा नियंत्रक की ओर से दी गई सूचना के विश्लेषण का हवाला देते हुए कहा गया था कि जिन 29 अभ्यर्थियों का ब्योरा परीक्षा नियंत्रक ने दिया है, उनमें से आधे से अधिक अभ्यर्थियों की भूमिका संदिग्ध है, प्रकरण की जांच शीघ्रता से की जा रही है इसलिए जांच को ध्यान में रखते हुए परीक्षा का परिणाम बिलंबित रखा जाए। इसके बाद आठ फरवरी को आयोग की तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार ने एसटीएफ के एसएसपी को पत्र लिखकर किसी विषय विशेष का परीक्षा परिणाम घोषित न किए जाने पर आख्या मांगी थी, जिसके जवाब में 12 फरवरी को एसटीएफ के एसएसपी ने सचिव को पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया था कि पेपर लीक प्रकरण की जांच चल रही है इसलिए जांच पूरी हुए बिना यह स्पष्ट करना उचित नहीं होगा कि कौन से विषय का परिणाम रोका जाए।
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25 फरवरी को एसटीएफ के एसएसपी ने एक बार फिर आयोग के सचिव को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया था कि परीक्षा नियंत्रक से मिली 29 अभ्यर्थियों की सूची में शामिल आठ ऐसे अभ्यर्थियों की पहचान हुई है, जो अलीगढ़, मथुरा, जौनपुर, गाजीपुर और कुछ अन्य जिलों से वाराणसी के एक केंद्र पर एकत्र हुए थे जहां उन्हें हल प्रश्न पत्र से प्रश्न और उत्तर रटाया गया था। इसके बाद 29 जुलाई को इन अभ्यर्थियों ने सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी, कानपुर स्थित परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा दी थी। एसएसपी ने कहा था कि प्रश्न पत्र मुद्रण करने वाली कंपनी एवं अन्य बिचौलियों के संबंध में कुछ और साक्ष्य एवं तथ्य एकत्रित किए जा रहे हैं, जिसके पश्चात इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। इसलिए जब तक प्रकरण की जांच पूर्ण न कर ली जाए तब तक परिणाम घोषित न किया जाए।
लेकिन आयोग ने एसटीएफ के इन पत्रों को गंभीरता से नहीं लिया और 16 मार्च से परिणाम जारी करना शुरू कर दिया। एसटीएफ ने अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए आयोग परिसर में छापेमारी करने के बाद 28 मई को आयोग की तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार समेत नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर परीक्षा नियंत्रक के साथ ही अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
अध्यक्ष को कोलकता पुलिस ने भेजा था पत्र
आयोग की तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार की ओर से दस जनवरी को एसटीएफ से एसएसपी को भेजे गए पत्र के स्पष्ट है कि कोलकता के बिधान नगर थाने के इंस्पेक्टर ने आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों की फोटो कॉपी मांगी थी। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि एक अक्तूबर 2018 को कोलकता पुलिस को भी आवेदन पत्रों की फोटो कॉपी भेजी गई थी। इससे स्पष्ट है कि कोलकता पुलिस द्वारा पेपर लीक प्रकरण में की जा रही कार्रवाई भी आयोग के संज्ञान में थी।