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दूरदर्शन से पढ़ रहे हैं प्रवासी मजदूरों के बच्चे, देख रहे मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय

दूरदर्शन पर पढ़ाई तो सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए शुरू हुई, लेकिन उसमें अब निजी स्कूल, ओपन स्कूलिंग के साथ घर लौटे प्रवासी मजदूरों के बच्चे भी शामिल हो रहे हैं। मुंबई, गुजरात, बेंगलुरु आदि जगहों से...

दूरदर्शन से पढ़ रहे हैं प्रवासी मजदूरों के बच्चे, देख रहे मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय
Pankajरिंकू झा,पटनाThu, 14 May 2020 02:25 PM
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दूरदर्शन पर पढ़ाई तो सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए शुरू हुई, लेकिन उसमें अब निजी स्कूल, ओपन स्कूलिंग के साथ घर लौटे प्रवासी मजदूरों के बच्चे भी शामिल हो रहे हैं। मुंबई, गुजरात, बेंगलुरु आदि जगहों से लौटे श्रमिकों के बच्चे के मन में भी दूरदर्शन पर गांव के अन्य बच्चों को पढ़ते देख पढ़ाई की ललक बढ़ रही है। इन बच्चों को स्कूल के माध्यम से मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय से जोड़ा भी जा रहा है। 

पटना जिला की बात करें तो अभी तक 700 से अधिक ऐसे बच्चों को मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय से जोड़ा गया है जो सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ रहे हैं। ये बच्चे स्कूल छोड़ चुके थे। माता पिता के साथ दूसरे शहरों में जाकर मजदूरी करने में पिता का हाथ बंटा रहे थे। 20 अप्रैल से दूरदर्शन पर कक्षाएं शुरू की गयी है। यह बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा यूनिसेफ की मदद से चल रहा है। नेटवर्क की दिक्कतें होने से गांवों में ऑनलाइन पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती है। बच्चों के पास स्मार्टफोन का भी अभाव है। ऐसे में मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय में बच्चे आसानी से पढ़ पा रहे हैं।

मुन्ना साहू सूरत गुजरात की एक फैक्ट्री में काम करते थे। कोरोना वायरस के कारण पिछले दिनों उन्हें वापस आना पड़ा। मोहनियां के मुन्ना साहू ने बताया कि गांव में सुबह-सुबह हर घर में टीवी पर सारे बच्चे कॉपी किताब लेकर बैठते हैं। वहीं पंकज पंडारक स्थिति एक निजी स्कूल में नौवीं कक्षा का छात्र है। पंकज ने स्कूल की ऑनलाइन पढ़ाई छोड़ अब दूरदर्शन पर चल रहे नौवीं की कक्षा में बैठ रहा है। पंकज ने बताया कि पास के सरकारी स्कूल से संपर्क कर मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय में भी रजिस्टर्ड हो गया हूं।

इस संबंध में डीपीओ नीरज कुमार कहते हैंदूरदर्शन पर हर दिन बच्चों की संख्या बढ़ रही हैं। इसमें ओपन स्कूलिंग, निजी विद्यालय और स्कूल छोड़ चुके बच्चे भी शामिल हो रहे हैं।

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