गजब ! 105 साल की बुजुर्ग अम्मा ने दी चौथी क्लास की परीक्षा, 3 दिन में हल किया पेपर, कही ये बात
पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। इसकी शुरुआत कभी भी हो सकती है। बस ललक होनी चाहिए। केरल की भागीरथी अम्मा ने बचपन से पढ़ने की अपनी ख्वाहिश 105 साल की उम्र में पूरी कर मिसाल कायम की है। उन्होंने राज्य...
पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। इसकी शुरुआत कभी भी हो सकती है। बस ललक होनी चाहिए। केरल की भागीरथी अम्मा ने बचपन से पढ़ने की अपनी ख्वाहिश 105 साल की उम्र में पूरी कर मिसाल कायम की है। उन्होंने राज्य साक्षरता मिशन के तहत चौथे वर्ग के बराबर की परीक्षा में हिस्सा लिया है। भागीरथी अम्मा हमेशा से पढ़ना चाहती थीं। ज्ञान अर्जन करना चाहती थीं। उन्हें अपनी मां की मौत की वजह से यह सपना छोड़ना पड़ा। नौ साल के उम्र में भागीरथी अम्मा ने तीसरी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। उनके ऊपर भाई-बहनों की देखरेख की जिम्मेदारी आ गई थी। इन सब चीजों से जब वह उबरीं, तब तक 30 साल की उम्र में उनके पति की मौत हो गई।
इसके बाद दोबारा से छह बच्चों की जिम्मेदारी उन पर आन पड़ी। जिंदगी की जद्दोजहद ने भले ही लगातार उन्हें पढ़ाई से दूर रखा हो, लेकिन वह अपना सपना कहीं दबाए हुए बैठी थीं। जब मौका मिला तो उन्होंने इसे पूरा करने का सोच लिया। कोल्लम स्थित अपने घर में जब वह चौथी कक्षा के समतुल्य परीक्षा दे रही थीं तो वह महज परीक्षा ही नहीं दे रही थीं, बल्कि पढ़ाई की चाह रखने वाले दुनिया के लोगों के लिए मिसाल कायम कर रही थीं।
Kollam: 105-year old woman Bhageerathi Amma appeared for 4th standard equivalent examination conducted under Kerala State Literacy Mission. #Kerala pic.twitter.com/0jc6WNf78S
— ANI (@ANI) November 20, 2019
साक्षरता मिशन के इतिहास में सबसे बुजुर्ग महिला बनीं
साक्षरता मिशन के निदेशक पीएस श्रीकला ने बताया कि भागीरथी अम्मा केरल साक्षरता मिशन के इतिहास में सबसे बुजुर्ग समकक्ष शिक्षा हासिल करने वाली महिला बन गई हैं। मिशन के विशेषज्ञ वसंत कुमार ने बताया कि भागीरथी अम्मा को लिखने में दिक्कत होती है। इसलिए उन्होंने पर्यावरण, गणित और मलयालम के तीन प्रश्नपत्रों का हल तीन दिन में लिखा है। इसमें उनकी छोटी बेटी ने मदद की है।
इतनी उम्र में भी याद्दाश्त काफी तेज
वसंत कुमार ने बताया कि इस उम्र में भी उनकी याद्दाश्त तेज है। न ही उन्हें देखने में कोई समस्या आती है। अब भी बहुत अच्छे से गा लेती हैं। अम्मा परीक्षा में हिस्सा लेकर बहुत खुश हैं। कुमार ने बताया कि इतनी मेहनत और लगन से पढ़ाई करने वाली अम्मा के पास आधार कार्ड नहीं है। इसलिए उन्हें न तो विधवा पेंशन मिलती है और न ही वृद्धा पेंशन। उन्हें उम्मीद है कि अधिकारी उनको पेंशन दिलाने के लिए कदम उठाएंगे।
पिछले साल कार्तिय्यानी अम्मा को मिले थे 100 में 98
पिछले साल 96 साल की कार्तिय्यानी अम्मा ने राज्य में आयोजित साक्षरता परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए थे। उन्होंने 100 अंक में से 98 अंक मिले थे। राज्य के इस साक्षरता मिशन का लक्ष्य अगले चार वर्षों में राज्य को पूरी तरह से साक्षर बनाना है। 2011 के आंकड़े के अनुसार राज्य में 18.5 लाख लोग निरक्षर हैं।