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12वीं पास के बाद करियर: करें फ्रंट ऑफिस का कोर्स, यूं बनाएं राह

किसी भी बाहरी व्यक्ति पर किसी संस्था या कंपनी का ‘फर्स्ट इम्प्रेशन' फ्रंट ऑफिस एवं रिसेप्शन से ही पड़ता है। अगर यह अनुभव बुरा होता है तो समूची संस्था के बारे में जाने-अनजाने यही छवि बन जाती...

12वीं पास के बाद करियर: करें फ्रंट ऑफिस का कोर्स, यूं बनाएं राह
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 13 Nov 2019 01:31 PM
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किसी भी बाहरी व्यक्ति पर किसी संस्था या कंपनी का ‘फर्स्ट इम्प्रेशन' फ्रंट ऑफिस एवं रिसेप्शन से ही पड़ता है। अगर यह अनुभव बुरा होता है तो समूची संस्था के बारे में जाने-अनजाने यही छवि बन जाती है। स्वागत अधिकारियों/फ्रंट ऑफिस एग्जिक्यूटिव को छोटे-बड़े होटल्स, कॉर्पोरेट ऑफिस, सरकारी महकमों, हॉस्पिटल्स, स्कूलों, शैक्षिक संस्थानों और एयरपोर्ट आदि में सहज ही देखा जा सकता है।

इनके लिए जॉब्स के अवसर सभी तरह की इंडस्ट्री, कॉर्पोरेट हाउस, होटल, एयरलाइन्स, टूरिज्म सेक्टर, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, हॉस्पिटल, रिक्रिएशनल क्लब्स, सरकारी कार्यालयों, गेस्ट हाउस, स्कूल, रेलवे, ट्रांसपोर्ट एजेंसियों, ऑनलाइन शॉपिंग क ंपनियों, टेलीकॉम कंपनियों, मीडिया हाउस, पब्लिकेशन सेक्टर आदि में हैं।

महत्व
फ्रंट ऑफिस पर काम करने वाले आगंतुकों की संस्था से संबंधित जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास करते हैं, साथ ही विजिटर्स के आने का उद्देश्य जानकर संबंधित विभाग या अधिकारी से मिलने वाले अथवा उनके कार्य को करवाने में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार आगंतुकों को जगह-जगह भटकना नहीं पड़ता और उनके बहुमूल्य समय की भी बचत होती है। कहने की जरूरत नहीं कि आज के सोशल मीडिया के दौर में छोटी-बड़ी सभी संस्थाएं लोगों के बीच अपनी इमेज को लेकर अत्यंत सावधानी बरतना पसंद करती हैं। खराब छवि होने का प्रभाव किसी न किसी रूप में शीर्ष प्रबंधन की अकुशलता को भी दर्शाता है।

ट्रेनिंग
यह कोर्स अमूमन 12वीं के बाद किया जा सकता है। यहां प्राय: मेरिट अथवा चयन परीक्षा के आधार पर एडमिशन दिये जाते हैं। सरकारी एवं प्राइवेट संस्थाओं द्वारा यह कोर्स कईजगह संचालित किया जा रहा है। कोर्स की अवधि डेढ़ से दो वर्ष तक हो सकती है। ट्रेनिंग के दौरान टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री से छात्रों को परिचित करवाने के साथ ही स्वागत अधिकारियों के दायित्व, होटल बुकिंग, बिजनेस कम्युनिकेशन, विजिटर्स के साथ व्यवहार करने से संबंधित व्यावहारिक पहलुओं, कम्युनिकेशन स्किल्स, कस्टमर केयर आदि से संबंधित सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं के बारे में इस इंडस्ट्री के अनुभवी लोगों द्वारा जानकारियां प्रदान की जाती हैं। यही नहीं, कोर्स के दौरान इंटर्नशिप के लिए भी बाहरी संस्थानों में भेजा जाता है।

निस्संदेह कुछ सप्ताह की अवधि वाली इस इंटर्नशिप में इस प्रोफेशन को और करीब से जानने और समझने का मौका मिल जाता है। इससे क्षेत्र की पुख्ता जानकारी हो जाती है। कंप्यूटर, इंटरनेट, टाइपिंग, स्कैनर तथा अन्य ऑफिस उपकरणों के प्रयोग में भी पारंगत करने का प्रयास इसी क्रम में करवाया जाता है। पर्सनेलिटी ग्रूमिंग भी इसी कोर्स का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गुरु मंत्र
इस पेशे में अमूमन इंटर पर्सनल कम्युनिकेशन पर ज्यादा जोर होता है। भाषा के साथ स्वभाव में ठहराव की भी अधिक जरूरत पड़ती है। कस्टमर की नाराजगी को दूर करने से लेकर उसकी समस्याओं का समाधान निकालने तक का हुनर इस दौरान उपयोगी साबित होता है।
 

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