जेईई एडवांस्ड रैंक होल्डर की मां ने बेटे के लिए IIT बॉम्बे में मांगा फ्लैट, डायरेक्टर ने दिया शानदार जवाब
आईआईटी बॉम्बे हर साल की तरह इस बार भी जेईई एडवांस्ड टॉपरों की पहली पसंद बना है। टॉप 100 रैंक होल्डर्स में से 69 स्टूडेंट्स ने यहां एडमिशन लिया है। यानी ज्यादातर टॉपर यही से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं।
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आईआईटी बॉम्बे हर साल की तरह इस बार भी जेईई एडवांस्ड टॉपरों की पहली पसंद बना है। टॉप 100 रैंक होल्डर्स में से 69 स्टूडेंट्स ने यहां एडमिशन लिया है। यानी ज्यादातर टॉपर यही से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं। लेकिन बहुत से स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स यहां बीटेक सीट के अलावा और भी कई सुविधाएं चाहते हैं। आईआईटी बॉम्बे के डायरेक्टर शुभाशीष चौधरी ने फेसबुक पर उन अनुरोधों को शेयर किया है जो उन्हें हाल में एडमिशन लेने वाले बच्चों के माता-पिता की ओर से मिले हैं। एक स्टूडेंट की मां की ओर से की गई रिक्वेस्ट को उन्होंने शेयर किया जो काफी चौंकाने वाली है।
आईआईटी डायरेक्टर ने फेसबुक पोस्ट में बताया कि उन्हें जेईई एडवांस्ड में काफी अच्छी रैंक हासिल करने वाले एक स्टूडेंट के पेरेंट्स का फोन आया था। पेरेंट्स ने उनसे दो अटपटे सवाल पूछे। उन्होंने डायरेक्टर से पूछा कि अगर उनका बेटा आईआईटी बॉम्बे जॉइन करता है तो क्या इंस्टीट्यूट की ओर से उसे जेईई एडवांस्ड में हाई रैंक के कारण स्कॉलरशिप दी जाएगी? आईआईटी डायरेक्ट ने जवाब में कहा, 'अगर परिवार की आय कम है और स्टूडेंट स्कॉलरशिप के लिए एप्लाई करता है तो हम निश्चित तौर उसे सपोर्ट करेंगे वरना नहीं।'
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जेईई एडवांस्ड के टॉप रैंकर्स में शामिल स्टूडेंट की मां ने डायरेक्टर से यह भी पूछा कि क्या वे उनके बच्चे को आईआईटी बॉम्बे कैंपस में फ्लैट उपलब्ध कराएंगे? पेरेट्स का यह प्रश्न डायरेक्टर शुभाशीष चौधरी को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। उन्होंने जवाब में कहा, 'आपके बच्चे की जेईई ए़डवांस्ड में हाई रैंक आई है, क्या इसलिए आप मुझसे मोलभाव कर रहे हैं? जिस तरह से एक मांग के लिए उसके सभी बच्चे बराबर होते हैं उसी तरह आईआईटी बॉम्बे के लिए भी उसके सभी स्टूडेंट्स बराबर हैं। एक बार जब स्टूडेंट आईआईटी बॉम्बे जॉइन कर लेता है तो उसे अन्य छात्रों जैसी सुविधाएं मिलती हैं। सब छात्रों के बराबर अधिकार होते हैं। छात्रों की रैंक, आय, संस्कृति और सोशल स्टेटस का उन्हें मिलने वाले अधिकारों और सुविधाओं पर कोई असर नहीं पड़ता।'
आईआईटी बॉम्बे के डायरेक्टर शुभाशीष चौधरी ने फेसबुक पोस्ट में आगे लिखा, 'मुझे उम्मीद है कि मैंने माता-पिता को एक उचित मैसेज दिया है। अपने बच्चे को अन्य सभी बच्चों के बीच एक बच्चा ही रहने दें, उसे उनके बीच रहकर ही बड़ा होने दें न कि उसे दूर करके।
आईआईटी दिल्ली के पूर्व निदेशक रामगोपाल राव ने इस पर कहा कि यह किस्सा समाज का प्रतिबिंब और एक दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता बताता है।