सरकारी माध्यमिक स्कूलों में अभिभावक भी बच्चों को पढ़ाई करा सकेंगे। शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को कार्य योजना की जानकारी दी गई है। स्कूलों में शिक्षा दान करने वाले अभिभावकों की स्कूल स्तर पर तलाश शुरू हो गई है।
यूपी बोर्ड परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र छात्राओं को अतिरिक्त पढ़ाई कराने के लिए पिछले वर्ष भी शिक्षा विभाग की ओर से अभिभावकों की ओर से स्कूलों पढ़ाई कराई गई थी। उस दौरान जिले के 9 स्कूलों में अभिभावकों ने शिक्षा दान कार्यक्रम चलाया था। इस कार्यक्रम में बुजुर्ग अभी बाबू कौन है सबसे अधिक शिक्षा दान कार्यक्रम में सहभाग किया था। शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को दी गई जानकारी के अनुसार ऐसे अभिभावक जिन्होंने किसी विशेष कोर्स में बेहतर शिक्षा हासिल की है वह अपने घर के पास मौजूद सरकारी स्कूलों में यूपी बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चों को अतिरिक्त कक्षा के दौरान पढ़ाई करा सकते हैं। विभाग की ओर से स्कूलों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वह शिक्षा दान करने वाले अभिभावकों को किसी तरह का शुल्क नहीं देंगे। जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ नीरज कुमार पांडे ने कहा कि अभिभावकों की ओर से यदि स्कूलों में शिक्षा दान करने के लिए सहमति दी जाती है तो सिर्फ प्रधानाचार्य की सहमति मान्य होगी। बच्चों को पढ़ाई कराए जाने से पहले अभिभावकों का कोरोना टेस्ट कराए जाने के साथ ही रोजाना उन्हें कोरोना सम्बन्धी नियमों का भी पालन करना होगा। बच्चों को अतिरिक्त पढ़ाई कराने के बाद उन्हें प्रधानाचार्य को यह भी जानकारी देनी होगी कि उन्होंने पाठ्यक्रम में किस तरह से बच्चों को पढ़ाई कराई है।
पढ़ाई में बढ़ेगी रोचकता
स्कूलों का मानना है कि अभिभावकों की ओर से पढ़ाई कराने के दौरान बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में नयापन दिखाई देगा। इसके अलावा स्कूलों में यदि किसी वजह से कोई शिक्षक अपनी कक्षा में उपस्थित नहीं हो पा रहा है तो अभिभावक उस कक्षा का संचालन कर बेहतर पढ़ाई करा सकते हैं। इसके अलावा इस बार हुई ऑनलाइन पढ़ाई के बाद छात्र छात्राओं को कक्षाओं में होने वाले टेस्ट मे भी अभिभावक बेहतर भूमिका निभा सकते हैं।
पाठ्यक्रम का हो सकेगा दोहराव
अभिभावकों के स्कूलों में शामिल हो जाने से स्कूलों में शिक्षकों के अलावा पढ़ाई कराने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो सकेगा। इससे छात्र छात्राओं को ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान पूरा किया क्या पाठ्यक्रम के दोहराव कराए जाने में भी आसानी हो सकेगी। अभिभावकों की ओर से छात्र छात्राओं को ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान पूरा किए गए पाठ्यक्रम को दोबारा पढ़ाई जाने के लिए भी सहमति प्रदान की जा सकेगी। एक ही पाठ्यक्रम के दो या तीन बार दौरा होने से छात्र-छात्राओं को लाभ हासिल हो सकेगा।