सरकारी बैंक से रिटायर मैनेजर दे रहा MA की परीक्षा, PhD डिग्री है अगला टारगेट
मुम्बई में इंडियन बैंक के मैनेजर पद से वर्ष 2016 में रिटायर होने के बाद धर्मराज ने अधूरी शिक्षा पूरी करने के लिए पढ़ाई शुरू की। LLB डिग्री लेने के बाद इस वर्ष वह एमए प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रहे हैं।

इस खबर को सुनें
सीखने, पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, इस कहावत को हकीकत का रंग दे रहे हैं बैंक मैनेजर के पद से रिटायर 67 वर्षीय धर्मराज मिश्र। मुम्बई में इंडियन बैंक के मैनेजर पद से वर्ष 2016 में रिटायर होने के बाद उन्होंने अधूरी शिक्षा पूरी करने के लिए पढ़ाई शुरू की। एलएलबी की डिग्री लेने के बाद इस वर्ष वह एमए (एजुकेशन) प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रहे हैं। मूलरूप से अमेठी के पूरेगंगा गांव निवासी धर्मराज 1975 में मुम्बई चले गए थे। इससे पहले उन्होंने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा पीबी इंटर कॉलेज प्रतापगढ़ सिटी से पास की थी।
मुम्बई में अलग-अलग प्राइवेट संस्थानों में नौकरी करने के बाद उन्हें 1982 में इंडियन बैंक की नौकरी मिल गई। नौकरी के दौरान उन्होंने वर्ष 1986 में बीए व एमए (हिंदी) की डिग्री बतौर प्राइवेट परीक्षार्थी हासिल की। इसके बाद भी उन्हें शिक्षा अधूरी लग रही थी। ऐसे में वर्ष 2016 में बैंक से रिटायर होने के बाद उन्होंने वर्ष 2019 में एलएलबी में दाखिला लिया।
यह परीक्षा उन्होंने प्रथम श्रेणी में पास की। धर्मराज यहां भी नहीं रुके और एजुकेशन से परास्नातक करने के लिए दाखिला ले लिया। वर्तमान में वह रानीगंज के कुंती देवी महाविद्यालय में परास्नातक की परीक्षा दे रहे हैं। यह कॉलेज प्रयागराज के प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध है। साथ में परीक्षा दे रहे परीक्षार्थियों के लिए धर्मराज प्रेरणा भी बन गए हैं।
एमए के बाद करेंगे पीएचडी
हिन्दुस्तान से बातचीत में धर्मराज मिश्र ने बताया कि पढ़ाई के साथ उन्हें हिन्दी साहित्य में लेखन भी पसंद है। बाबा भीमराव आंबेडकर, आम्टे सहित पांच महापुरुषों के जीवन पर आधारित उनकी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। पढ़ाई के बारे में उन्होंने कहा कि एमए की डिग्री हासिल करने के बाद उनका लक्ष्य पीएचडी करना है।