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IIT Kanpur : कंप्यूटर साइंस के बाद सतत ऊर्जा के विशेषज्ञ देगा आईआईटी

IIT Kanpur : देश को तकनीकी मजबूती देने के लिए आईआईटी हमेशा कारगर साबित हुआ है। कंप्यूटर साइंस की जरूरत पड़ी तो आईआईटी कानपुर में देश के पहले संस्थान की स्थापना हुई। अब भविष्य में सतत ऊर्जा की जरूरत...

IIT Kanpur : कंप्यूटर साइंस के बाद सतत ऊर्जा के विशेषज्ञ देगा आईआईटी
वरिष्ठ संवाददाता,कानपुरMon, 01 Mar 2021 07:01 PM
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IIT Kanpur : देश को तकनीकी मजबूती देने के लिए आईआईटी हमेशा कारगर साबित हुआ है। कंप्यूटर साइंस की जरूरत पड़ी तो आईआईटी कानपुर में देश के पहले संस्थान की स्थापना हुई। अब भविष्य में सतत ऊर्जा की जरूरत है तो एक बार फिर आईआईटी कानपुर ने विशेषज्ञ व नई तकनीक विकसित करने के लिए एक विभाग की स्थापना की है। यह देश का पहला विभाग है, जहां पेट्रोल, डीजल, कोयला जैसे वर्तमान ऊर्जा के माध्यमों को छोड़ इकोफ्रेंडली ऊर्जा विकसित करने पर शोध होगा व विशेषज्ञ तैयार होंगे।

पेट्रोल व कोयले के घटते भंडारण व पर्यावरण के प्रति नुकसानदायक साबित होने से पूरी दुनिया सतत ऊर्जा की ओर बढ़ रही है। देश में भी वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में आईआईटी कानपुर ने सतत ऊर्जा पर देश का पहला विभाग शुरू किया है। इसके प्रभारी प्रो. आशीष गर्ग को बनाया गया है। फिलहाल परास्नातक व पीएचडी की पढ़ाई शुरू होगी। इसमें 10 से 20 सीटें निर्धारित की जाएंगी। प्रो. गर्ग ने बताया कि अभी तक ऊर्जा पर जहां भी कार्य हो रहा है, उसमें पेट्रोल, डीजल, कोयला समेत सभी शामिल हैं।

सोलर, हवा, हाइड्रोजन व बैटरी पर होगा शोध
प्रो. गर्ग ने बताया कि इस विभाग में नई ऊर्जा पर शोध किया जाएगा, जो सस्ती व वातावरण के हित में हो। सोलर, हवा व हाइड्रोजन से तैयार ऊर्जा लंबे समय तक चलने वाली व सस्ती होगी। इसके उत्पादन, भंडारण, विकास आदि पर शोध किया जाएगा।

अभी तक पाठ्यक्रम में शामिल है ऊर्जा
प्रो. गर्ग ने बताया कि सतत ऊर्जा को काफी समय से पढ़ाया जा रहा है। मगर अभी तक यह एक पाठ्यक्रम के अंदर शामिल था। इस क्षेत्र में विशेष रूप से शोध नहीं किया जा रहा था।

चीन युद्ध के बाद शुरू हुई थी कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई
कंप्यूटर साइंस विभाग की स्थापना सबसे पहले आईआईटी कानपुर में हुई थी। वर्ष 1962 में चीन से युद्ध के बाद देश को कंप्यूटर साइंस की आवश्यकता पड़ी। तब देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को विशेषज्ञों ने सलाह दी कि उन्हें अपने देश में ही कंप्यूटर के जानकार व विशेषज्ञ तैयार करने होंगे। वैज्ञानिकों की सलाह पर वर्ष 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निर्देशन पर आईआईटी कानपुर में देश में सबसे पहले कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई शुरू हुई।

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